Tuesday 5 May 2020

जिन्ना का डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया का खेल बदस्तूर जारी है , डायरेक्ट ऐक्शन की घोषणा ही शेष


भारत में ऐसे हिंदुओं की , हिंदुत्ववादियों की कमी नहीं है जो अभी भी पाकिस्तान बनाने के लिए गांधी को सब से बड़ा दोषी मानते हैं। मानते रहेंगे। बहुत से हिंदू और हिंदुत्ववादी गांधी को मुस्लिम परस्त भी मानते हैं। इसी कारण नाथूराम गोडसे ने गांधी की हत्या भी की। लेकिन दूसरी तरफ , मुसलमान और इस्लाम के अनुयायी लोग भी गांधी को हिंदूवादी मानते हैं। मानते रहेंगे। बस भाजपा और संघ के विरोध के लिए मुसलमान गांधी को सेक्यूलरिज्म की ढाल बना कर अपनी सांप्रदायिकता पर एक परदा डालने की नाकाम कोशिश ज़रूर करते हैं। पर यकीनी तौर पर वह सच से कोसो दूर है। यकीन न हो तो गांधी की हत्या पर जिन्ना के शोक संदेश पर गौर करें। 

हिंदुओं के लिए यह बेहद अफसोसनाक खबर है कि उस के रहनुमा का इन्तेकाल हो गया।

- मोहम्मद अली जिन्ना , गांधी की हत्या पर

गो कि गांधी बड़ी मुश्किल में हैं। इधर भी और उधर भी। खैर , गांधी कहते थे कि दो लोगों को मैं कभी समझा नहीं सका। एक अपने काठियावाड़ी दोस्त मोहम्मद अली जिन्ना और दूसरे अपने बेटे हरिलाल को। जिन्ना ने गांधी को धमकी देते हुए कहा था कि आप आज़ाद पाकिस्तान और आजाद हिंदुस्तान चाहते हैं या गृह युद्ध। डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया का हामीदार जिन्ना तैमूर , अलाऊदीन खिलजी , औरंगजेब आदि का मिला-जुला कॉकटेल था। याद कीजिए जिन्ना का डायरेक्ट एक्शन प्लान। इतिहास का सब से बड़ा नरसंहार का दिन था वह। कहते हैं कि उस एक दिन में अकेले कोलकाता में दस हज़ार से अधिक हिंदू चुन-चुन कर मारे गए थे। जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन का मतलब ही था कि हिंदुओं को देखते ही मारो। दुर्भाग्य से जिन्ना के ब्लैकमेलिंग के चलते पाकिस्तान तो बन गया लेकिन गृह युद्ध फिर भी जारी है। जाने कब तक जारी रहेगा।

अच्छा , जिन्ना आइडियालोजी को फॉलो करने वाले कितने मुसलमान इस बात को जानते हैं कि जिन्ना इस्लाम को नहीं मानता था । न तो वह नमाज पढ़ता था , न रोजा रखता था। उस ने इस्लाम से बगावत कर के एक पारसी लड़की से शादी की थी । जो उस से उम्र में बहुत छोटी थी। कोई 24 साल। शराब , शबाब , सूअर और सिगार के शौक़ीन जिन्ना ने जब देखा कि हिंदुस्तान में प्रधानमंत्री नहीं बन सकता तो मूर्ख कठमुल्लों का इस्तेमाल कर अंगरेजों से दुरभि संधि कर भारत का बंटवारा कर पाकिस्तान बना कर कायदे आज़म बन गया ।

14 अगस्त , 1947 को जिस दिन पाकिस्तान बना तब रमज़ान का महीना चल रहा था । जिन्ना ने कहा कि ग्रैंड लंच होना चाहिए । लोगों ने उन्हें बताया कि ये रमज़ान का महीना है कैसे लंच का आयोजन करेंगे । जिन्ना तो ऐसा आदमी था । जिन्ना कुछ भी छुप कर नहीं करता था । वो शराब पीता था , सूअर खाता था , सिगार पीता था। ये बातें पूरी तरह से सार्वजनिक थीं ।

खैर , जिन्ना के पाकिस्तान में जो भी मुसलमान भारत से गए , वहां मुहाजिर का दर्जा मिला उन्हें । मुहाजिर मतलब दूसरे दर्जे का नागरिक। आज भी वह वहां मुहाजिर हैं । और जो अपनी कायरतावश वहां नहीं गए , मुहाजिर बनने से बच गए वही अपनी पीठ ठोंकते हुए कहते हैं , इंडियन बाई च्वायस । यह इंडियन बाई च्वायस नहीं हैं , मौकापरस्त लोग हैं । कि जब देखा , उधर मज़ा नहीं है तो यहीं रुक गए । आप ने कभी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे लोगों को कहते सुना है कि वह इंडियन बाई च्वायस हैं । नहीं सुना । क्यों कि यह लोग सच्चे भारतीय थे । बाई च्वायस नहीं थे । इंडियन बाई च्वायस वही लोग कहते हैं जो जिन्ना प्रेमी होते हैं । अलगाववादी होते हैं । श्रीनगर में यह खुल कर अलगाववाद की भाषा बोलते हें , अलीगढ़ और अन्य जगहों में बाई च्वायस बोलते हैं । इस लिए भी कि माता , पिता और देश बाई च्वायस कभी नहीं हो सकते । लेकिन ऐसा कहने वाले लोग अपने को हरामी क्यों बताना चाहते हैं , मैं आज तक नहीं समझ पाया ।

कभी-कभी सोचता हूं तो पाता हूं कि इस्लाम को न मानने वाला जिन्ना कितना तो जानता था इस्लाम जानने वालों को । इतना कि इस्लाम की अफीम चटा कर , नफ़रत के बीज बो कर लाखो हिंदू , मुसलमान की हत्या करवा कर , बेघर करवा कर , पाकिस्तान बना कर कायदे आज़म बन गया । इस बिंदु पर आ कर लगता है कि कार्ल मार्क्स ठीक ही कहते थे कि धर्म अफीम है । यह धर्म की अफीम न होती तो जिन्ना पाकिस्तान की जलेबी कैसे खाता भला । और देखिए कि भारत में अभी भी ऐसे मूर्खों और धूर्तों के अवशेष छोड़ गया है , जो जिन्ना की फ़ोटो ले कर जिन्ना के नारे , डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया को पूरी ताकत से अंजाम दे रहे हैं । और हमारे वामपंथी दोस्त जो दिलोजान से मानते हैं कि धर्म अफीम है लेकिन धर्म के नाम पर देश को बांटने वाले जिन्ना के साथ , जिन्ना प्रेमियों के साथ पूरे दमखम के साथ खड़े हैं । वह जिन्ना जिस ने कभी इस्लाम को नहीं माना लेकिन भारत में इस्लाम मानने वालों को अपने अलगाववादी नज़रिए के लिए आज भी पागल बनाए हुए है । जिन्ना इस्लाम को नहीं मानता था , मुसलमान होने के बावजूद क्यों कि शुरू में वह तरक्कीपसन्द था । इसी लिए इस्लाम के बाबत उस के कोई विचार नहीं मिलते । हां , अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उस की फ़ोटो ज़रूर मिलती है । जिस फ़ोटो की हिफाज़त के लिए लोग खून बहाने पर जब-तब आमादा रहते हैं । जिन्ना के डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया के मकसद को पूरा करने के लिए ।

अलीगढ़ हो या श्रीनगर जिन्ना प्रेमी तत्व दोनों ही जगह उपस्थित है । यह बात कुछ लोग क्यों नहीं समझना चाहते ? दोनों ही लोग एक ही हैं । कोई श्रीनगर में बंदूक उठा लेता है , कोई पत्थर उठा लेता है तो कोई अलीगढ़ में जिन्ना की फ़ोटो । अलगाववादी दोनों ही हैं । जिन्ना कहता ही था , खुल कर कहता था , डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया । जिन्ना का जहर न होता तो कश्मीरी पंडित बेघर न हुए होते । खालिस्तान की आग न लगी होती । याद दिलाता चलूं कि पाकिस्तान का बीज अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में ही बोया गया । जिन्ना जिस का वृक्ष बना और पाकिस्तान का फल उगा । आज तक यह जिन्ना प्रेम , पाकिस्तान प्रेम खत्म नहीं हुआ । बेशर्म लोग जिन्ना की फ़ोटो लगाने के लिए कटने मरने को तैयार क्यों हो जाते हैं ? यह कौन लोग हैं ? वही लोग , और वही प्रवृत्ति जिन्हों ने कश्मीरी पंडितों को विस्थापित किया । स्वर्ग जैसे कश्मीर को जहन्नुम बना दिया । वही लोग जिन्हों ने बंटवारे के समय लाखों हिंदू , मुसलमानों का कत्ल किया । जिन्ना की फ़ोटो उठाए वही लोग घूम रहे हैं । और उप राष्ट्रपति का पद भोगने के बाद भी बता गए हैं कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं । होगा आप की नज़र में यह जिन्ना की फ़ोटो , गौण मुद्दा । लेकिन मेरी नज़र में यह महत्वपूर्ण मुद्दा है । इस लिए कि डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया का जिन्ना का संदेश अभी भी लोग जाने-अनजाने अमल में लिए हुए हैं । डिवाइड इंडिया , डिस्ट्राय इंडिया का खेल अभी भी जारी है ।

आखिर यह कौन लोग हैं जो कभी मनुष्यता प्रेमी और उदारमना अब्दुल कलाम के लिए नहीं , अत्याचारी औरंगजेब के लिए लड़ते हैं । गांधी को भूल , जिन्ना की फ़ोटो पर मातम और कोहराम रचते हैं । पहचानिए इन जहरीले लोगों को और इन का पूरी ताकत से विरोध कीजिए । इन में सिर्फ़ मुस्लिम ही नहीं हैं , बाकी हिप्पोक्रेट्स भी हैं , इन का इगो मसाज करने के लिए । अच्छा यह मालूम करना भी दिलचस्प होगा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में महात्मा गांधी की भी कोई फ़ोटो क्यों नहीं है ।  सोचिए कि यह कैसे लोग हैं जो लाखो लोगों की लाश पर पाकिस्तान बनाने वाले जिन्ना की फ़ोटो लगाने के लिए धरती आसमान एक किए रहते हैं । लेकिन उसी अलीगढ़ यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए जिस राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने ज़मीन दान में दी उन की एक मूर्ति लगाने का भी विरोध करते हैं । मूर्ति आज तक नहीं लगाने दी है । अच्छा  फ़ोटो यानी बुत इस्लाम विरोधी है। तो कैसे क़ुबूल करते हैं। फिर एक जिन्ना प्रेम ही नहीं है। हमारे मुस्लिम दोस्तों को और भी बेशुमार दिक्कत होती है । जैसे कि इस्लाम और भारत में कोई एक विकल्प चुनने को कहा जाए तो वह कतरा जाएंगे ।

स्पष्ट है कि देश को भी वह चाहते हैं लेकिन इस्लाम की कीमत पर नहीं । इस्लाम उन के लिए पहले नंबर पर है , देश नहीं । कश्मीर का आज कोर इशू ही यही है । कि लोग वहां इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान के साथ खड़े हो गए । बच्चे किताब फेंक कर हाथ में पत्थर ले कर खड़े हो गए। यह इस्लाम का दुरूपयोग है । मुसलमान दोस्तों को इस संकट से निकलना चाहिए । अगर देश में , कश्मीर में , दुनिया में अमन-चैन से रहना है तो देश और मनुष्यता से प्यार करना होगा । देश ही पहला और आख़िरी धर्म है । देश है तो इस्लाम भी है , नहीं सब बेकार और व्यर्थ है । यह समझना बहुत ज़रुरी है ।

कश्मीर की चर्चा वह लोग अमूमन नहीं करते । जब कभी भी करते हैं , सेना की निंदा करने के लिए पत्थरबाजों की पैरवी में । लेकिन आज अभी वह सभी सांस खींचे खामोश हैं । असल में उन कुछ लोगों को लगता है कि औरंगजेब और जिन्ना जैसे लोगों की पैरवी कर के वह भाजपा और संघ को पटकनी देते हैं । इस लिए इस काम में पूरे जोशो-खरोश से लगे रहते हैं । बस मौका चाहिए । जैसे कि बहुत पहले एक बार एक टी वी चैनल पर शबनम लोन की जुबान पर कुतर्क और पाकिस्तानपरस्ती तो सर्वदा की तरह थी पर आंखों में दहशत भी । लेकिन एक बात उन की सुन कर हंसी आ गई थी। वह कह रही थीं पत्थरबाजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोध के लिए हो रही है। मुस्लिम गोलबंदी और मुस्लिम प्रिवलेज की एक नाकाम कोशिश । शबनम लोन अब बहुत हो गया । इन कुटिलताओं और चालाकियों से छुट्टी लीजिए , आतंकवादियों की पैरवी से भी । सेना अब अपना मिशन पूरा कर के दम लेगी । छापा अब किसी रोज आप के घर में पड़ सकता है । दिल्ली में बैठ कर कश्मीर के सेव में आइसक्रीम लपेट कर खाने के दिन अब विदा हुए ।

उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में आज कुछ आतंकवादियों ने हाइवे से गुजर रहे सी आर पी एफ़ जवानों के एक गश्ती दल पर अचानक से हमला बोल दिया। इस हमले में तीन जवान शहीद व 7 जवान घायल हुए हैं। हमले को अंजाम दे कर आतंकी नजदीकी रिहायशी इलाके में छिप गए हैं। उन की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है।कश्मीर को बरबाद कर देने के बाद ही , थोड़ी देर से ही सही सैनिक कार्रवाई शुरु हुई , यह शुभ है । यह कांबिंग , गांव-गांव , गली-गली , शहर-दर-शहर , चप्पे-चप्पे पर चलनी चाहिए । एक दिन के लिए भी नहीं रुकनी चाहिए । नतीज़े अच्छे निकलेंगे । क्यों कि इन अलगाववादियों का इलाज अब , होम्योपैथी या एलोपैथी से नहीं आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से ही संभव है । समूल जड़ से समाप्त करने के लिए । बिना किसी राजनीतिक दखलंदाज़ी के सेना जैसे चाहे , जो करे , करने देना चाहिए । कोई मुस्लिम प्रिवलेज नहीं ।

इस्लाम फिस्लाम को ताक पर रख कर सिर्फ़ देश और देश की आन-बान-शान सामने हो । इस के बरक्स जो भी कोई चिल्ल-पो करे उसे वहीँ मौके पर ही शांत कर दिया जाना चाहिए । वह कोई भी हो । महबूबा हो , फारूख हो , गिलानी , पिलानी , लोन , पोन , मलिक , पलिक जो भी हो । हर किसी के साथ एक सुलूक हो । बिना भेद-भाव के । भले बहत्तर हूरों से मुलाकात के लिए भेजना पड़े , भेज दिया जाना चाहिए । इन के जेहाद का मकसद भी तो यही है । देश का मकसद शांति और अमन चैन है । उसे हर हाल हासिल करना चाहिए ।

अच्छा इंडियन बाई च्वायस कहने वाले ऐसे कितने मुस्लिम लोग हैं जो पाकिस्तान से चल कर भारत में बसने आए हैं । किसी के पास कोई आंकड़ा , कोई तथ्य हो तो ज़रूर बताए । बहुत दिलचस्प होगा । फिर यह लोग अगर ऐसा कहते हैं तो फिर तो उन्हें सलाम है । लेकिन मेरी जानकारी में ऐसे लोग नहीं हैं । हां , पर जो यहीं बैठ कर अलगाववादी बन कर चूहों की तरह देश को कुतर रहे हैं , उन का इंडियन बाई च्वायस कहना , अपने को हरामी कहना हुआ ।

यह कौन लोग हैं जो कभी मनुष्यता प्रेमी और उदारमना अब्दुल कलाम के लिए नहीं , अत्याचारी औरंगजेब के लिए लड़ते हैं । गांधी को भूल , जिन्ना की फ़ोटो पर मातम और कोहराम रचते हैं । पहचानिए इन जहरीले लोगों को और इन का पूरी ताकत से विरोध कीजिए । इन में सिर्फ़ मुस्लिम ही नहीं हैं , बाकी हिप्पोक्रेट्स भी हैं , इन का इगो मसाज करने के लिए । मुझे तो लगता है कि जिन्ना अगर आज की तारीख में जीवित होता तो यह जिन्ना प्रेमी लोग अपनी बेटी का विवाह भी कूद कर उस के साथ कर देते । उस की उम्र की परवाह किए बगैर , बेटी की मर्जी जाने बगैर । इंडियन बाई च्वायस वाला फार्मूला लगा कर ।

3 comments:

  1. बहुत खूब सरजी बहुत बढिया तरीके से देश की दुखती रग का वर्णन किया है, प्रणाम

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  2. शानदार लेखन। नमन।

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  3. आपकी सोच बहुत सशक्त है, पर गांधी को आपने जो बेगुनाही का तगमा दिया है वह पूर्णतया सत्य नहीं है। गांधी के बिना डायरेक्ट एक्शन डे हो नहीं सकता था। जो १०,००० लोग उस दिन मारे, एका उनमें भी हो सकता था। वे एक ऐसे नेता का अनुसरण कर रहे थे, जो उनकी रक्षा करना तो दूर, उन्हे आत्मरक्षा भी करने नहीं देता था। आज भी वही हाल है। बुद्धिजीवियों को जामिया वालों के हाथ का पत्थर बटुआ नजर आता है। एकतरफा पत्रकारिता होती है, और लोगों के जायज गुस्से को नाजायज करार दिया जाता है। इस देश का १ विभाजन और होगा अभी। २०२४ में।

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