Sunday 6 January 2019

अखिलेश यादव लालू की राह और रणनीति पर चलेंगे कि मुलायम की राह और रणनीति पर ?


लालू यादव अगर चारा घोटाला की सजा काटते हुए जेल भुगत रहे हैं तो हाई कोर्ट के आदेश से । किसी भाजपा , किसी कांग्रेस या किसी देवगौड़ा की साजिशों से नहीं । यह उन के अपने कुकर्म के कुफल हैं , कुछ और नहीं । पटना हाई कोर्ट के आदेश पर ही सी बी आई ने चारा घोटाले की जांच की । हाई कोर्ट ने जब लालू को गिरफ्तार करने के आदेश दिए तब सी बी आई के हाथ-पांव फूल गए । एक तो वह मुख्य मंत्री थे दूसरे उन की यादवी गुंडई का डर । मुख्य मंत्री पद से तो लालू ने खैर इस्तीफ़ा दे दिया और अपनी जगह अपनी पत्नी राबड़ी यादव को मुख्य मंत्री बनवा दिया । तो भी जब लालू को गिरफ्तार करने का समय आया तो सी बी आई ने बिहार पुलिस के बजाय सेना से मदद मांगी । वह भी पूरी ब्रिगेड । सेना के ब्रिगेडियर ने सी बी आई की मदद मांगने पर पटना हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से बात की क्या किया जाए ? चीफ जस्टिस ने ब्रिगेडियर से कहा कि सेना भेज दीजिए । नहीं हालात बिगड़ सकते हैं । यह सामाजिक न्याय सेक्यूलर राजनीति से उपजी लालू की गुंडई का हासिल था । सेना की पूरी ब्रिगेड के पहुंचने पर ही लालू की गिरफ्तारी संभव बनी । सेना देखते ही लालू और लालू ब्रिगेड की हेकड़ी औकात में आ गई थी । वह पेरोल पर आते-जाते अब बाकायदा सजायफ्ता हो चुके हैं । एक समय पूरी बेशर्मी से लालू जेल को गुरुद्वारा बताते नहीं थकते थे और कहते थे कि जेल आते-जाते रहना चाहिए । अब कई सारे मामले में वह सज़ायाफ्ता हैं । संसदीय चुनाव के लायक नहीं रह गए । चारा से लगायत रेल तक के घोटाले उन की मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोड़ने वाले । बीमारी के अलावा अब कोई आसरा नहीं रह गया है उन के जेल से बाहर रहने का । लेकिन लालू , उन के परिवारीजन और चमचों का एक सुर में कहना है कि भाजपा और मोदी ने उन्हें फंसाया है ।

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश में खनन घोटाले की जांच सी बी आई कर रही है । हाई कोर्ट ने यह आदेश भी अखिलेश राज में ही दिया था । अब जांच की कड़ी की आंच अखिलेश यादव तक पहुंच रही है तो अखिलेश यादव भी लालू की तरह पहाड़ा पढ़ने लगे हैं कि भाजपा उन्हें फंसा रही है । जब अवैध खनन से मिले रुपए गिन रहे थे तब शायद भाजपा ने ही कहा था कि रुपए गिनिए । टाइलों और दीवारों में छुपाइए । जाते समय टाइलों को उखाड़ कर रुपए निकाल लीजिए । गौरतलब है कि लालू के साथ ही उन के चीफ़ सेक्रेटरी रहे कई और आई ए एस अफसर भी जेल भुगत रहे हैं । यहां भी अखिलेश के नवरत्न गायत्री प्रजापति अभी जेल में मौज कर ही रहे हैं । तो क्या यहां उत्तर प्रदेश में भी कुछ अफसर और पूर्व मुख्य मंत्री लालू का इतिहास दुहराने जा रहे हैं ?

मुलायम सिंह यादव इस मामले में बहुत होशियार हैं । मुलायम जानते हैं कि वह ख़ुद शीशे के घर में रहते हैं , सो किसी पर खुल कर पत्थर नहीं मारते । इसी मनोविज्ञान के तहत वह अखिलेश के साथ भी रहते हैं और शिवपाल के साथ भी । कांग्रेस से भी बना कर रखते हैं और भाजपा के साथ भी । क्यों कि बुढौती में जेल जा कर अपना बुढ़ापा नहीं ख़राब करना चाहते । अगर लालू की तरह वह भी अपने सामाजिक न्याय और सेक्यूलरिज्म की हेकड़ी बघारते तो तय मानिए आज की तारीख़ में लालू की ही तरह , अखिलेश , डिम्पल समेत जेल भुगत रहे होते । सी बी आई ने आय से अधिक संपत्ति का व्यौरा पहले ही से , कांग्रेस रिजिम से ही सुप्रीम कोर्ट को सौंप रखी है । लेकिन मुलायम ने पहले कांग्रेस और अब भाजपा के आगे पूरी विनम्रता से घुटने टेक कर न्यायिक पैतरेबाजी का लाभ ले कर जेल से दूरी बना रखी है । मुलायम जानते हैं कि सामाजिक न्याय और सेक्यूलरिज्म की हेकड़ी , यादवी गुंडई दिखा कर लालू की गति को प्राप्त होना है । सो उन्हों ने ख़ामोशी से काम चलाना शुरू किया और अभी तक लालू गति से बचे हुए हैं । देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश पिता मुलायम की राह और रणनीति आजमाते हैं कि कभी अपने होने वाले ससुर , जो नहीं हो पाए , उस लालू यादव की राह और रणनीति अपनाते हैं । क्यों कि खनन के बहाने अखिलेश के कुछ और मामले भी बस खुलना ही चाहते हैं । आय से अधिक संपत्ति का मामला पहले से ही लंबित है। अभी तो मीर का लिखा शेर याद कीजिए :

इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या 
आगे-आगे देखिये होता है ।

क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है 
यानी ग़ाफ़िल हम चले सोता है क्या ।

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (08-01-2019) को "कुछ अर्ज़ियाँ" (चर्चा अंक-3210) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    नववर्ष-2019 की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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