Saturday, 29 August 2015

मैं तुम्हें ख़ुद से ज़्यादा चाहता हूं ऐसा झूठ बोलना भी अच्छा है पर कभी-कभी

 
पेंटिंग : पिकासो

 ग़ज़ल / दयानंद पांडेय 

पीना-पिलाना अच्छा है पर कभी-कभी
हंसना हंसाना अच्छा है पर कभी-कभी

मैं तुम्हें ख़ुद से ज़्यादा चाहता हूं ऐसा
झूठ बोलना भी अच्छा है पर कभी-कभी

प्यार करना , प्यार में जीना और तड़पना
प्यार में मरना अच्छा है पर कभी-कभी

इश्क-मुश्क और जीना मरना अच्छा है
प्यार में धोखा भी अच्छा है पर कभी-कभी

वफ़ा-बेवफ़ा , माजी , मौजू और हरारत
प्यार का टोटका अच्छा है पर कभी-कभी

यह बारिश , वह सर्दी , या मरी गरमी
इकट्ठा जीना अच्छा है पर कभी-कभी

क्या कहा प्याज खरीदना , प्याज काटना
प्याज खिलाना अच्छा है पर कभी-कभी

ग़ुरबत तोड़ देती है बड़े-बड़े सपने तो क्या  
ग़ुरबत का गर्व भी अच्छा है पर कभी-कभी

 

[ 29 अगस्त , 2015 ]

1 comment:

  1. प्यार में मरना अच्छा है पर कभी-कभी!☺

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