कुछ समय पहले मैं राजस्थान गया था। इस बार बेटा गया । यानी पधारो म्हारो देश ! फिर-फिर ! मैं लौटा था तो यादों और अनुभव की दास्तान ले कर । बेटा मुझ से ज़्यादा , बहुत ज़्यादा ले कर लौटा है । मैं एक सेमिनार के सिलसिले में गया था । बेटा कॉलेज टूर के बहाने घूमने । तो वह ढेर सारी मस्ती और उस मस्ती में लिपटी किसिम-किसिम की यादें , व्यौरे , फेहरिश्त , खाना , घूमना , क़िला देखना , महल में रहना , यह और वह के अलावा सैकड़ो फ़ोटो आदि ले कर लौटा है । मैं न तो रेगिस्तान देखने जा पाया न ऊंट की सवारी गांठ पाया । बेटा जैसलमेर , बाड़मेर का रेगिस्तान देख कर , वहां तंबू में रह कर , ऊंट की सवारी गांठ कर आया है जोधपुर आदि घूमते हुए । वहां की बातें और यादें उस की जैसे ख़त्म ही नहीं हो रहीं । उस की बातों से लगता है गोया जवान हो कर मैं ही घूम आया हूं । बहरहाल जवानी , राजस्थान और उस की मस्ती का जादू जानना हो तो यहां लुक कीजिए उस की कुछ फ़ोटो फ़िलहाल :
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