Friday 16 April 2021

थैंक यू योगी जी कि आप ने सामान्य नागरिकों की तकलीफ को समझा और उस का निवारण भी किया

दयानंद पांडेय 


बहुत आभार योगी जी। बहुत थैंक यू योगी जी कि आप ने सामान्य नागरिकों की तकलीफ को समझा और उस का निवारण भी किया। सच यही है कि अगर गुहार लगाने वाला और गुहार सुनने वाला दोनों ही ईमानदार हों तो फर्क तो पड़ता है। जैसे कि आज पड़ा। आप मित्रों को याद ही होगा कि बीती देर रात कोरोना के इलाज में लखनऊ के लोगों को हो रही परेशानी पर एक पोस्ट लिखी थी। फेसबुक पर , अपने ब्लॉग सरोकारनामा पर वाट्सअप पर भी। खूब वायरल हुई यह पोस्ट। घूम-घूम कर मुझ तक भी पचासियों बार आई। मुख्य मंत्री योगी जी ने सिर्फ़ इस पोस्ट का संज्ञान लिया बल्कि फौरन कार्रवाई भी की। 

तब जब कि योगी जी खुद भी कोरोना पीड़ित हैं इस समय। पर उन्हों ने नागरिकों की पीड़ा को समझा और लोगों की सुविधा खातिर सीधे अस्पतालों में लोगों को नामित कर संबंधित लोगों की सूची जारी कर दी है। 

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यह लिस्ट आज शाम जारी हुई है । सरकार की तरफ से ।

लखनऊ के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजो के इलाज का प्रबंध योगी सरकार ने किया है. लखनऊ जिला प्रशासन की तरफ से हर अस्पताल के नोडल अफसर का नाम औऱ नंबर भी जारी कर दिया गया है ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या न आए. 

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एंडवांस न्यूरो एंड जनरल हॉस्पिटल - डॉ. विनोद कुमार- 9415022002

एवन हॉस्पिटल-खुर्रम अतीक रहमानी- 9450374007

अपोलो मेडिक्स.- प्रमित मिश्रा- 8429029801

कैरियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड हॉस्पिटल- कर्नल डॉ. मोहम्मद एजाम-8318527150

फेहमिना हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर ब्लड बैंक-सलमान खालिद- 9935672929

ग्रीन सिटी हॉस्पिटल-डॉ. विनीत वर्मा- 8400000784

जेपी हॉस्पिटल- आरवी सिंह- 9554936222

किंग मेडिकल सेंटर-डॉ. अभय सिंह- 9415328915

मां चंद्रिका देवी हॉस्पिटल- गायत्री सिंह- 9415020266

पूजा हॉस्पिटल एंड मल्टीस्पेशियिलिटी सेंटर-आशुतोष पांडेय-9670588871

राजधानी हॉस्पिटल- चंद्र प्रकाश दुबे-9415162686

संजीवनी मेडिकल सेंटर- सुनील कुमार सोनी- 8840466030

श्री साईं लाइफ हॉस्पिटल-योगेश शुक्ला- 9450407843

वागा हॉस्पिटल- संदीप दीक्षित- 9839165078

विनायक मेडिकेयर हॉस्पिटल- डॉ मनीष चंद्र सिंह- 9984735111

विनायक ट्रामा सेंटर एंड हॉस्पिटल- अमित नंदन मिश्रा- 9919604383

लखनऊ के जिलाधिकारी ने भी दोपहर ही इस बाबत एक नया आदेश जारी किया था। इसी लिए मैं योगी सरकार का प्रशंसक हूं। ज़रा सोचिए और एक बार सोच कर देख ही लीजिए कि अगर इस समय योगी जी की जगह मायावती या अखिलेश यादव की सरकार होती तो यह सब लिखने के बाद मेरे साथ क्या सुलूक़ करती। हल्ला बोल देती मुझ पर। जाने क्या-क्या कर गुज़रती। यहीं देखिए न कि फेसबुक पर ही कभी किसी पोस्ट पर अगर इन लोगों की असलियत बता देता हूं तो असहमति की जगह कैसे तो पूरी यादव ब्रिगेड , दलित ब्रिगेड मुझ पर अभद्र टिप्पणियों , गाली-गलौज के साथ टूट पड़ती है। अंतत: आजिज आ कर ऐसे लोगों से विदा लेना पड़ता है। 

तुलसी दास का एक क़िस्सा याद आता है। 

हम सब जानते ही हैं कि तुलसीदास अकबर के समय में हुए। बल्कि यह कहना ज़्यादा ठीक होगा कि तुलसीदास के समय में अकबर हुए। खैर आप जैसे चाहें इस बात को समझ लें। पर हुआ यह कि अकबर ने तुलसी दास को संदेश भिजवाया कि आ कर मिलें। संदेश एक से दो बार, तीन बार होते जब कई बार हो गया और तुलसी दास नहीं गए तो अकबर ने उन्हें कैद कर के बुलवाया। तुलसी दरबार में पेश किए गए। अकबर ने पूछा कि, ' इतनी बार आप को संदेश भेजा आप आए क्यों नहीं?' तुलसी दास ने बताया कि, 'मन नहीं हुआ आने को। इस लिए नहीं आया।' अकबर ज़रा नाराज़ हुआ और बोला कि, 'आप को क्यों बार-बार बुलाया आप को मालूम है?' तुलसी दास ने कहा कि, 'हां मालूम है।' अकबर और रुष्ट हुआ और बोला, 'आप को खाक मालूम है !' उस ने जोड़ा कि, 'मैं तो आप को अपना नवरत्न बनाना चाहता हूं, आप को मालूम है?' तुलसी दास ने फिर उसी विनम्रता से जवाब दिया, 'हां, मालूम है।' अब अकबर संशय में पड़ गया। धीरे से बोला, 'लोग यहां नवरत्न बनने के लिए क्या नहीं कर रहे, नाक तक रगड़ रहे हैं और आप हैं कि नवरत्न बनने के लिए इच्छुक ही नहीं दिख रहे? आखिर बात क्या है?'

तुलसी दास ने अकबर से दो टूक कहा कि, 'आप ही बताइए कि जिस ने नारायण की मनसबदारी कर ली हो, वह किसी नर की मनसबदारी कैसे कर सकता है भला?'

हम चाकर रघुवीर के पटौ लिख्यौ दरबार

अब तुलसी का होहिंगे, नर के मनसबदार। 

- तुलसी दास 

अकबर निरुत्तर हो गया। और तुलसी दास से कहा कि, 'आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं। अब आप जा सकते हैं।' तुलसी दास चले गए। और यह नवरत्न बनाने का अकबर का यह प्रस्ताव उन्हों ने तब ठुकराया था जब वह अपने भरण-पोषण के लिए भिक्षा पर आश्रित थे। घर-घर घूम-घूम कर दाना-दाना भिक्षा मांगते थे फिर कहीं भोजन करते थे। शायद वह अगर अकबर के दरबारी बन गए होते तो रामचरित मानस जैसी अनमोल और अविरल रचना दुनिया को नहीं दे पाते। सो उन्हों ने दरबारी दासता स्वीकारने के बजाय रचना का आकाश चुना। आज की तारीख में तुलसी को गाली देने वाले, उन की प्रशंसा करने वाले बहुतेरे मिल जाएंगे पर तुलसी का यह साहस किसी एक में नहीं मिलेगा। शायद इसी लिए तुलसी से बड़ा रचनाकार अभी तक दुनिया में कोई एक दूसरा नहीं हुआ। खैर , गनीमत थी कि तुलसी दास अकबर के समय में हुए और यह इंकार उन्हों ने अकबर से किया पर खुदा न खास्ता जो कहीं तुलसी दास औरंगज़ेब के समय में वह हुए होते और यही इंकार औरंगज़ेब से किया होता , जो अकबर से किया, अकबर ने तो उन्हें जाने दिया, लेकिन औरंगज़ेब होता तो? 'निश्चित ही सिर कलम कर देता तुलसी दास का!'

सच यही है। पिता मुलायम ने भले पुकारने का नाम अखिलेश यादव का टीपू रखा है पर अखिलेश को उन के शासन काल में ही उन्हें औरंगज़ेब के रूप में जाना गया। मुलायम की पीठ में औरंगज़ेब की तरह ही अखिलेश ने छुरा घोंपा। पूरी पार्टी उन से छीन ली।  टोटी-टाइल चोर के रूप में कुख्यात अखिलेश ने 2015 में वाराणसी में गंगा में गणेश प्रतिमा का विसर्जन नहीं करने दिया था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस से पिटवाया था। अब यही अखिलेश यादव घूम-घूम कर इन संतों के चरणों में सिर रख कर माफी मांग रहे हैं। पर साथ ही संतों की पिटाई का वीडियो भी वायरल हो गया है। कहने का कुल मतलब है कि अगर शासक ईमानदार है तो उस से सही बात कहने में किसी को डरना चाहिए। और मैं तो बेईमान शासकों से भी सच कहने में कभी नहीं डरा। बेधड़क लिखता रहा हूं। मुश्किलें भी झेलता रहा हूं। पर सरकार कोई भी रही हो कभी सच कहने या लिखने से डिगा नहीं। कृष्ण बिहारी नूर ने लिखा ही है :

सच घटे या बढ़े तो सच न रहे

झूट की कोई इंतिहा ही नहीं।

एक बार पुन: बहुत आभार योगी जी। बहुत थैंक यू योगी जी कि आप ने सामान्य नागरिकों की तकलीफ को समझा और उस का निवारण भी किया। शुक्र है यह भी कि हम औरंगज़ेब के शासनकाल में नहीं हैं। और हां , हम तुलसी दास भी नहीं हैं। तुलसी दास बहुत बड़े रचनाकार हैं। बहुत बड़े आदमी हैं। मैं बहुत सामान्य आदमी हूं । सामान्य आदमी की आवाज़ हूं लेकिन। 



इस लिंक को भी पढ़ें 

2 comments:

  1. यूपी के पत्रकार विनय श्रीवास्तव जब तक जिंदा रहे, एक एम्बुलेंस और अस्पताल में बेड के लिए ट्वीट पर ट्वीट करते रहे।
    परिवारजन भी यहां-वहां भागते, गुहार लगाते रहे।
    यह सब देख आज मन बहुत व्याकुल है।
    परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना हैं।
    https://www.google.com/amp/s/navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/other-news/lucknow-poor-health-system-took-1-more-lives-old-man-died-due-to-lack-of-treatment/amp_articleshow/82118655.cms

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  2. Lucknow is dying

    Testing unavailable
    Beds unavailable
    Oxygen unavailable.

    It doesn’t matter who you are or who you know, Lucknow is experiencing an impossible state of affairs !

    Any data coming out is misleading - the real numbers would be staggering. All healthcare workers are exhausted and demotivated.

    The entire healthcare sector has completely collapsed. If you get infected you won’t find a doctor, or medicines, or beds. The government stopped private labs from testing stating that they aren’t following...the regulations.

    But what seems a more believable explanation is that private labs have been stopped from testing so that the number of detected cases remains low.

    Getting beds, however, is completely out of the question. Even the most well-connected doctors can’t find beds for their own families.

    It’s our worst nightmare come true in Lucknow right now.

    Some citizens like Vasu are trying to fulfill the #oxygencylinder demand but they too are exhausted !

    I have collected information about #Covid help and shared it all in my Facebook story. Unlocked my account so it can be shared for #Lucknow and #delhi

    Hope someone gets some help.
    We are all on our own in this war.

    P.S: All this is coming out from a Covid Positive person. So if someone wants to tell me that I don't know the pain or ground reality. I am just clearing the air, I have been Covid +ve as well and recovering with a belief that I wouldn’t need any of my city resources for myself. These are really trying times and I hope the list of numbers shared in story helps as many people as possible.
    Stay strong!

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