Saturday 21 March 2020

कोरोना वायरस , मोदी वायरस और गिलहरी प्रयास


दुनिया भर के लोग इस समय एक ही वायरस से लड़ रहें है , वह है , कोरोना वायरस। लेकिन भारत में स्थिति थोड़ी बदली हुई है। भारत में लोग दो वायरस से लड़ रहे हैं। इन में अधिकांश क्या लगभग 90-95 प्रतिशत लोग कोरोना वायरस से ही लड़ रहे हैं। उस को नेस्तनाबूद करने के लिए कमर कस चुके हैं। पर हैं कुछ मुट्ठी भर लोग जो कोरोना वायरस से नहीं , मोदी वायरस से लड़ रहे हैं। अनंत काल तक मोदी वायरस से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध यह लोग कोरोना से खतरनाक मोदी को मानते हैं। मानते ही रहेंगे। इन की इस बीमारी का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं है। खैर , देर-सवेर कोरोना वायरस का वैक्सीन मनुष्यता खोज लेगी। वैज्ञानिक खोज लेंगे। लेकिन यह लोग तो मोदी वायरस का वैक्सीन 2014 से ही बनाए बैठे हैं। नफरत , घृणा और नित्य जहर उगलने की वैक्सीन लगातार इस्तेमाल में है लेकिन जाने क्यों कारगर नहीं हो रही है। देखना दिलचस्प होगा कि कब कामयाब होती है उन की यह वैक्सीन। फिलहाल तो यह मोदी वायरस से लड़ने वाले लोग कल जनता कर्फ्यू को विफल करने के असंभव प्रयास में संलग्न हैं। 

जनता कर्फ्यू से विरोध इन का मात्र इतना ही है कि इस का आह्वान मोदी नाम के निकृष्ट व्यक्ति ने क्यों किया है। सो विफल करना ही करना है इसे। कोरोना भले इन्हें अपनी गिरफ्त में ले ले , लेकिन यह लड़ेंगे आख़िरी सांस तक मोदी वायरस से ही। कभी एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति बना कर धनुर्विद्या सीखी थी। अब ठीक उसी तरह मोदी वायरस की मूर्ति बना कर इस मूर्ति से लड़ने वालों ने घृणा , नफरत और जहर की मिलीजुली वैक्सीन बना कर , असहिष्णुता तथा सेक्यूलरिज्म के पैकिंग में जो प्रोडक्ट उतारा है , 2014 से उस को लगातार आजमा रहे हैं। कल भी आजमाएंगे। नित्य-प्रति आजमाएंगे। देखना दिलचस्प ही होगा कि जनता कर्फ्यू को विफल करने में उन की यह मोदी वायरस वाली वैक्सीन कितना दम दिखाती है। 

मोदी वायरस की मूर्ति टूटती है या नहीं , यह तो हम नहीं जानते। लेकिन यह ज़रूर जानते हैं कि कोरोना वायरस से लड़ने में हम ज़रूर कुछ न कुछ कामयाब होंगे। क्यों कि देश भर के डाक्टर , सिस्टम , एहतियात , दवाई , सावधानी , आदि-इत्यादि तो सहयात्री हैं ही इस राह और इस लड़ाई में पर कल इस जनता कर्फ्यू के मार्फ़त कोरोना वायरस से लड़ने में मैं भी राम की उस गिलहरी की तरह शामिल हूं। अपने गिलहरी प्रयास में कोई कमी , कोई कसर नहीं छोडूंगा। देश के करोड़ो-करोड़ लोग शामिल होंगे , ऐसा विश्वास है। 

अब आप पूछेंगे कि यह गिलहरी प्रयास क्या बला है।  तो लीजिए यह कथा भी बांच देता हूं। 

हुआ यह कि जब लंका पर आक्रमण के लिए समुद्र पर पुल बन रहा था तो नल-नील , भालू , वानर आदि-इत्यादि समेत हर कोई पुल बनाने में अपनी ताकत भर लगा पड़ा था। एक गिलहरी ने जब यह सब देखा तो वह भी उत्सुक हुई कि कुछ कार्य करे। पर अपनी देह संरचना से लाचार हो गई। पर जल्दी ही उसे एक उपाय सूझ गया। वह समुद्र की रेत पर लोट-पोट करती और पुल बनने की जगह जा कर अपनी देह झाड़ देती। ऐसा वह बार-बार करती रही। यह दृश्य जब राम ने देखा तो गिलहरी के इस प्रयास पर मुग्ध हो गए। फिर राम ने सोचा कि जब गिलहरी अपनी क्षमता भर रेत इकट्ठा कर रही है पुल बनाने के लिए तो मैं ही क्यों ख़ाली बैठूं। उन्हों ने देखा कि लोग पत्थर पर राम-राम लिख कर समुद्र में डाल रहे हैं। तो राम ने भी एक पत्थर उठाया। फिर सोचा कि इस पत्थर पर अपना ही नाम क्या लिखना भला। सो पत्थर पानी में डाल दिया। लेकिन पत्थर डूब गया। एक पत्थर डूबा , दो पत्थर डूबा , तीन पत्थर डूबा। पत्थर डूबते ही जा रहे थे। राम घबरा गए। पीछे मुड़ कर देखा कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा। देखा तो पाया कि यह सब कुछ हनुमान देख रहे थे। सो बुलाया हनुमान को और पूछा कि कुछ देखा तो नहीं ? हनुमान ने कहा कि प्रभु , सब कुछ देखा। तो राम ने कहा , चलो जो देखा सो देखा पर किसी को यह बताना नहीं। नहीं बड़ी बदनामी होगी। हनुमान ने कहा कि न प्रभु , मैं तो सभी को बताऊंगा। बताऊंगा कि राम-नाम के बिना प्रभु राम का भी कल्याण नहीं है। खैर यह राम नाम बिना राम का कल्याण वाली कथा और भी हैं। और इस के मोड़ और परिणाम भी बहुत। फिलहाल तो गिलहरी प्रयास की बात। 

तो मित्रों , कोरोना वायरस से लड़ने के लिए कल जनता कर्फ्यू के मार्फत अपना गिलहरी प्रयास मैं भी जारी रखूंगा। आप क्या करेंगे , यह आप जानें। चाहें तो मोदी वायरस से लड़ें , चाहे कोरोना वायरस से। यह आप का अपना विवेक है। 



3 comments:

  1. सटीक और सामयिक प्रस्तुति

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  2. मोदी वायरस का डसा तडप तडप कर ही जीएगा

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