बहुत गुरुर था अलगाववादी महबूबा मुफ्ती को , फारुख अब्दुल्ला , उमर अब्दुल्ला एंड गैंग को कि धारा 370 और 35-ए को कोई छू कर तो देखे , कश्मीर ही क्या पूरा देश जला देंगे ! ठीक वैसे ही जैसे बालाकोट एयर स्ट्राइक के पहले पाकिस्तान बात-बेबात अपने परमाणु संपन्न देश होने का रौब बहुत झाड़ता रहता था। कि मार देंगे एटम बम ! पर दोनों ही का तिलिस्म टूट गया। तोड़ दिया एक चाय वाले नरेंद्र मोदी ने। मोदी ने यह भी बता दिया कि आतंक की दवा धारा 370 की जड़ी-बूटी में ही उपस्थित थी। खामखा दुनिया भर में आतंक की दवा खोजते फिरते थे। एक पाकिस्तानी चैनल तो कह रहा है कि मोदी ने ट्रम्प के लाल-लाल गाल पर बहुत ज़ोर का थप्पड़ मारा है। जो हो , इस एक 370 से ट्रम्प का मध्यस्थता का बुखार भी उतर गया है। जब कि डरे और बौखलाए इमरान खान आज़ाद पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाले हैं। डर है कि कहीं आज़ाद पाकिस्तान भी न हाथ से निकल जाए। अभी बहुतों के बहुत से डर हैं। क़यामत की तफ़सील धीरे-धीरे खुलेगी। पर जाने वह चिट्ठी लिखने वाले मोहतरम लोग कहां हैं। कि 370 हटा कर मोदी ने देश के सेक्यूलर ढांचे को तहस-नहस कर दिया है। लिखिए , मोहतरम लोग जल्दी लिखिए। यू एन को ही सही , लिखिए तो। असहिष्णुता की चिलम में थोड़ी पिनक भरिए तो सही। ले के रहेंगे आज़ादी का तराना गाइए तो सही। अब की तो आप सभी को कोई सुबूत की भी दरकार नहीं होगी। कि दहाड़ मार कर पूछें , सुबूत क्या है कि आप ने 370 हटा ही दिया है।
370 हटा है , केंद्र शासित हुआ है , मतलब मिलेट्री शासन हुआ है। इस बात को समझिए। बोफोर्स तैनात है , राफेल अगले महीने आ रहा है। एक पाकिस्तान चुप , सब चुप। फिकर नाट ! इतना कुछ हो गया पर न कहीं पत्थरबाजी है , न कहीं , ले के रहेंगे आज़ादी ! का नारा।
भाजपा की कश्मीर पिच पर सारा सेक्यूलरिज्म पानी मांग गया है। कांग्रेस , वामपंथी या और भी सेक्यूलर चैम्पियंस जिस दिन इस तथ्य को ठीक से समझ लेंगे कि मुस्लिम वोट बैंक की अवधारणा अब पांव कीचड़ में डालने वाली है। वह कीचड़ जिस में से कमल खिल जाता है। सारी समस्या समाप्त हो जाएगी, जिस दिन यह कीचड़ सूख गया , कमल खिलना बंद हो जाएगा । लेकिन मूर्खों और धूर्तों को अकल देने से भी नहीं मिलती । कांग्रेस की तो खैर जो दुर्गति है सो है ही , ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में इतना ढेर सारा कीचड़ बटोर लिया है कि अब उन की राजनीतिक जान सांसत में आ गई है । गृह युद्ध की धौंस अलग गले पड़ गई है। पर बात वही कि का वर्षा जब कृषि सुखाने !
लाइलाज कश्मीर का इस ख़ूबसूरती से सफल आपरेशन करने के नरेंद्र मोदी सरकार को जितनी बधाई दी जाए , कम है। 3 अगस्त की शाम को ही पोस्ट लिख कर कहा था कि जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाने की खबर है , आज सही साबित हुई है। तीन तलाक़ के तुरंत बाद धारा 370 समाप्त करने से इस्लामिक आतंकवाद और तुष्टिकरण दोनों पर ही गहरी चोट लगी है। इस का संदेश बहुत दूर तक जाएगा। अब नक्सल हिंसा पर भी कुछ ऐसा ही बड़ा मोदी सरकार को सोचना चाहिए। मोदी सरकार की इस कामयाबी को मुट्ठी भर लोग कभी भी हजम नहीं कर सकेंगे और आजीवन बिलबिलाते रहेंगे। पर अभी तो ऐसी और भी चोट होनी है , लिख कर रख लीजिए। जो भी हो कश्मीरी पंडितों की आबरू लौटाने और उन के आंसू पोंछने का जो अविस्मरणीय काम मोदी सरकार ने किया है , किसी और के वश का नहीं था। एक असंभव काम को संभव बनाना मोदी के ही वश का था। इस लिए भी मोदी सरकार को बहुत बड़ा वाला सैल्यूट !
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सिर्फ मंडल लागू कर ही देश को नहीं जलाया था। कश्मीरी पंडितों को भी बेवतन करने में अपना कमीनापन खूब दिखाया था। मुफ्ती मोहम्मद सईद जैसे कमीने को केंद्रीय गृह मंत्री भी बनाया । इस कमीने मुफ्ती ने अपनी ही बेटी यानी महबूबा मुफ्ती की बड़ी बहन रुबिया सईद का अपहरण का ड्रामा कर दिया। और इस रुबिया को छुड़ाने के लिए आतंकियों को छोड़ दिया। सोचिए कि क्या ड्रामा था। दो धुर विरोधी , भाजपा और वामपंथियों के समर्थन से 2 दिसंबर , 1989 को प्रधान मंत्री बने विश्वनाथ प्रताप सिंह और 8 दिसंबर को रुबिया का अपहरण हो गया। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में पहला मुस्लिम गृह मंत्री था मुफ्ती मोहम्मद सईद। जे के एल एफ़ के लोगों ने रुबिया का अपहरण किया था , मुफ्ती की मिलीभगत से । यासीन मलिक भी अपहरणकर्ताओं में एक था। बहरहाल , रुबिया के बदले 5 खूंखार आतंकियों को छोड़ा गया। अब इसी के बाद से कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को मारा, पीटा जाने लगा। कश्मीरी पंडितों की औरतों के साथ बलात्कार शुरू हो गया। घरों में आग लगाई जाने लगी।
मस्जिदों से माइक पर ऐलान होने लगा , पोस्टर लगने लगे कि कश्मीरी पंडित अपनी औरतें और घर छोड़ कर भाग जाएं। औरतों के सामूहिक बलात्कार के बाद उन्हें जिंदा आरा मशीनों में चीरा जाने लगा। मंदिरों को तोड़ कर नदियों में बहाया जाने लगा। लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह , मुफ्ती , और तत्कालीन मुख्य मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने न यह सब कुछ न देखा , न सुना। नतीजतन लाखो कश्मीरी पंडित बेघर हो गए। आज तक बेघर हैं। शरणार्थी शिविरों में हैं। विश्वनाथ प्रताप सिंह की तब सारी चिंता मंडल लागू कर देश के नौजवानों का भविष्य नष्ट कर देश को जातीय आग में झोंकने और मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोकने की थी। गरज यह कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने न सिर्फ देश को जातीय आग में झोंक दिया बल्कि कश्मीर और कश्मीरी पंडितों को भी आग में झोंक दिया था। जैसे आज नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर में अमन-चैन कायम करने के लिए सेना उतार दिया है , कश्मीरी पंडितों को बचाने के लिए क्या विश्वनाथ प्रताप सिंह को भी कश्मीर में तब सेना नहीं भेज देनी चाहिए थी ? तब शायद देश का , कश्मीर का और कश्मीरी पंडितों का मुकद्दर कुछ और होता। अफ़सोस कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश का बहुत ज़्यादा नुकसान किया।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-08-2019) को "पूरे भारतवर्ष में, होगा एक विधान" (चर्चा अंक- 3420) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
देश की अखंडता के लिये लिया एक अभूतपूर्व फैसला ।
ReplyDeleteसही मायनों में अब वह धरती हमारी हुई पर उसकी बांबियों में छिपे विषधरों का सर कुचला जाना बाकी है
ReplyDeleteअब होगा इनका सही इलाज़
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा, पांडेय जी, बहुत दिनों बाद देखा सरोकारनामा ... मगर वही तेवर ... गजब
ReplyDelete" विडीओ ब्लॉग पंच में आपकी इस ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा ब्लॉग पंच पार्ट 2 के एपिसोड में की गई है । "
ReplyDelete" जिसमे हमने 5 ब्लॉग लिंक पर चर्चा की है और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा पाठको के द्वारा वहाँ पर की गई कमेंट के आधार पर । आपको बताना हमारा फर्ज है की चर्चा की गई 5 लिंक में से एक ब्लॉग आपका भी है । तो कीजिये अपनो के साथ इस वीडियो ब्लॉग की लिंक शेयर और जीतिए बेस्ट ब्लॉगर का ब्लॉग पंच "
" ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले । "
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