Wednesday 11 November 2015

यह मन के दीप जलने का समय है तुम कहां हो



 ग़ज़ल / दयानंद पांडेय 


यह मन के दीप जलने का समय है तुम कहां हो 
प्राण में पुलकित नदी की धार मेरी तुम कहां हो

रंगोली के रंगों में बैठी हो तुम , दिये करते हैं इंकार जलने से
लौट आओ वर्जना के द्वार सारे तोड़ कर परवाज़ मेरी तुम कहां हो  

लौट आओ कि दीप सारे पुकारते हैं तुम्हें साथ मेरे 
रौशनी की इस प्रीति सभा में प्राण मेरी तुम कहां हो 

देहरी के दीप नवाते हैं बारंबार शीश तुम को 
सांझ की इस मनुहार में आवाज़ मेरी तुम कहां हो 

न आज चांद दिखेगा , न तारे , तुम तो दिख जाओ 
सांझ की सिहरन सुलगती है , जान मेरी तुम कहां हो 

हर कहीं तेरी महक है , तेल में , दिये में और बाती में 
माटी की खुशबू में तुम चहकती,  शान मेरी तुम कहां हो 

घर का हर हिस्सा धड़कता है तुम्हारी निरुपम मुस्कान में 
दिल की बाती जल गई दिये के तेल में , आग मेरी तुम कहां हो 

सांस क्षण-क्षण दहकती है तुम्हारी याद में , विरह की आग में तेरी
अंधेरे भी उजाला मांगते हैं तुम से  , अरमान मेरी तुम कहां हो

यह घर के दीप हैं , दीवार और खिड़की , रंगोली है , मन के पुष्प भी
तुम्हारे इस्तकबाल ख़ातिर सब खड़े हैं , सौभाग्य मेरी तुम कहां हो 





[ 11 नवंबर , 2015 ]

इस ग़ज़ल का मराठी अनुवाद 


🌷मनो दीप उजळण्याचा
समय हा 🌷
मनो दीप उजळण्यास समय हा,
आहेस तू कुठे ?
प्राणात रोमांचित जल धार
सखी माझी ,आहेस तू कुठे?
रांगोळीच्या रंगात बसलीस तू, नकार देत आहेत उजळण्यास हे दिवे,
फिरुनी परत ये, निषेधाचे दरवाजे उघडुनी,
पक्षिणी माझ्या, आहेस तू कुठे?
परत यावेस तू, हाक मारीत हे दिवे, माझ्या सवे तुजला ,
तेजाळल्या या प्रीति सभेत,
मानिनी आहेस तू कुठे?
उम्बर्या वरचे दिप, झुकवित शीश पुनः पुनः
सांजेच्या प्रार्थनेच्या स्वरा माझ्या,
आहेस तू कुठे?
आज न चंद्र, न तारे,
घडो दर्शन तुजे तरी,
तिन्ही सांज, हुरहुर दाटली मनी
प्रिये माझ्या ,आहेस तू कुठे?
सर्वदूर तुझा सुगंध, तेल,दीप ,वातीत तू
मृद्गन्ध हा दरवळ ,ऐश्वर्य माझे, आहेस तू कुठे?
घराच्या प्रत्येक कोपर्यात,
स्पंदन निरुपम सुहास्याचे,
उरीची वात जळुनी गेली
दिव्याच्या तेलाने,
पण दीप्ति माझी
आहेस तू कुठे?
श्वास क्षणोक्षणी दहकतो स्मृतित,
विरहाग्नित तुझिया,
काळोख मागतो उजाळा तुलाच,
मनिषे आहेस तू कुठे?

गृहीचे दिप, भिंति आणि झरोखे,
रांगोळी अन मनोपुष्प हे,
सुसज्ज तुझिया स्वागता,
सुभगे आहेस तू कुठे?

अनुवाद : प्रिया जलतारे 

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