Saturday 29 February 2020

क्यों कि दिल्ली देश का दिल है , सरहद नहीं


नार्थ ईस्ट दिल्ली में बुलेट प्रूफ जाकेट और हेलमेट पहन कर टी वी चैनलों के रिपोर्टरों की हालत क्या बताती है आख़िर। कश्मीर में भी कभी रिपोर्टरों को इस तरह हेलमेट और बुलेट प्रूफ जाकेट में नहीं देखा गया। और तो और कारगिल के मोर्चे पर भी रिपर्टरों को इस तरह नहीं देखा गया। सिर्फ लोग नहीं मरे हैं इन तीन दिनों में। करोड़ो , अरबों रुपए की संपत्ति ही नहीं स्वाहा हुई है , श्मशान घाट तक जला दिए गए हैं। श्मशान घाट पर शिव जी की मूर्ति तक तोड़ दी गई है। तमाम शो रुम और रेस्टोरेंट जला दिए गए हैं। मान लिया कि इन का तो इंश्योरेंश रहा होगा। लेकिन छोटे-छोटे घर , छोटी-छोटी दुकानों का इंश्योरेंस तो नहीं रहा होगा। लोगों के आपसी संबंधों का तो इंश्योरेंस तो नहीं ही रहा होगा। बच्चों का इम्तहान स्थगित हुआ है , फिर किसी तारीख में हो जाएगा। लेकिन मनुष्यता के इम्तहान में तो हम फेल हो ही गए हैं। शायद ही कभी पास हो पाएंगे। 

फिर दिल्ली को सीरिया बनाने का जो प्रयोग हुआ है कि पहली बार दिल्ली का यह शांतिप्रिय दंगा रोकने के लिए आधुनिक हथियारों के साथ बी एस एफ के जवान उतारे गए हैं। तो क्या दिल्ली अब सरहद में तब्दील है ? इस घिनौने सेक्यूलरिज्म की सरहद आखिर कहां तक जाती है। कि हेड कांस्टेबिल तो हेड कांस्टेबिल , आई बी अधिकारी भी मार दिया जाता है। डिप्टी कमिश्नर का सिर फोड़ दिया जाता है। आई पी एस अफसरों पर तेज़ाब फेंका जाता है तथा जनता और पुलिस पर मुसलसल पत्थरबाजी की जाती है। फायरिंग की जाती है। गज़ब हैं यह शांति प्रिय और सेक्यूलर लोग। इन को प्रणाम कीजिए। यह हिंदुस्तान इन के बाप का है सो इसे यह लोग जला देंगे , आप से मतलब ? 

खजूरी ख़ास में एक परिवार अपनी बेटी की शादी की तैयारी में बनी , जली और बिखरी मिठाइयां दिखाते हुए रो रहा है। बेटी की बारात के स्वागत की तैयारियां स्वाहा हो चुकी हैं। पूरा परिवार रो-रो कर बेहाल है। इस दंगे में तमाम माताओं की कोख सूनी हो गई है। स्त्रियों की मांग सूनी हो गई हैं , बच्चे अनाथ हो गए हैं , बहने भाई खो बैठी हैं। शेष कुछ है तो धुआं , तबाही और शांतिप्रिय लोगों के सेक्यूलरिज्म के नाम पर की गई हैवानियत। 
किन के लिए भाई ?

रोहिंगिया और बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए ? देश को धर्मशाला बना देने के लिए ? इन दंगाइयों को बिना हिंदू , मुसलमान की परवाह किए , लाइन से खड़ा कर सीधे गोली मार देनी चाहिए। बतर्ज पंजाब के पुलिस महानिदेशक के पी एस गिल , नो अरेस्ट , नो सुनवाई , सीधे कार्रवाई। मनुष्यता के दुश्मन लोगों से इसी तरह निपटना ज़रूरी हो गया है। और हां , सोनिया गांधी , ओवैसी आदि के कहे पर न सही , नैतिकता और राजनीतिक शुचिता के नाते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फौरन से पेस्तर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। दिल्ली पुलिस को अमानतुल्ला खान , कपिल मिश्रा जैसे तमाम लोगों को फौरन जेल भेज देना चाहिए। साथ ही दिल्ली के पुलिस कमिशनर को तुरंत हटा कर नया पुलिस कमिशनर तैनात किया जाना भी ज़रूरी है। क्यों कि दिल्ली देश का दिल है , सरहद नहीं।

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