Monday, 1 July 2019

सेक्यूलरिज्म के कमीने दुकानदारों कहां हो तुम ?

आइ ए एस टॉपर शाह फ़ैज़ल भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठित नौकरी को लात मार कर कश्मीर लौट गया। दंगल फेम ज़ायरा वसीम फिल्म इंडस्ट्री को लात मार कर कश्मीर लौट गई। दस बरस तक उप राष्ट्रपति रहा एक हरामखोर मोहम्मद हामिद अंसारी जब-तब कहता ही रहता है कि भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं है। ऐसी ही भाषा एक मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह भी बोलता है। यह सभी इस्लाम के लिये प्रतिबद्ध लोग हैं। तृणमूल की नुसरत जहां सिंदूर , बिंदी , मेंहदी , चूड़ी पहन कर कहती है कि मैं मुसलमान हूं। कश्मीर में मुसलमान पंडितों को मारते रहे , कश्मीरी पंडित कश्मीर से भागते रहे । कैराना से भी कुछ लोग भागते रहे और कुछ कमीने सेक्यूलरिज्म , सेक्यूलरिज्म का पहाड़ा पढ़ते रहे। अब मेरठ से भी कुछ लोग भाग रहे हैं । और योगी हुंकार रहे हैं कि हम हैं , ऐसा नहीं हो सकता है। जब कि हो रहा है। दिल्ली के सुंदर नगर और ब्रहमपुरी को ले कर देश सोया हुआ है क्यों कि उस का मोहल्ला बचा हुआ है। मुसलमान चोर के मरने पर उस की विधवा के खाते में बत्तीस लाख रुपए आ जाते हैं जब कि जूस वाले यादव की हत्या पर उस की विधवा को दो लाख रुपए मिलते हैं। एक कठुआ , एक झारखंड पर कोहराम मच जाता है , ज़रूर मचना चाहिए। पर ऐसे ही गैर मुस्लिम मामलों पर लंबी खामोशी क्यों। यह सब क्या है ?

हालत संस्कृत स्कूलों की भी खस्ताहाल है , न पढ़ने वाले लोग हैं , न पढ़ाने वाले लोग शेष हैं। बनारस में रहने वाले जनवादी लेखक काशीनाथ सिंह द्वारा लिखी , सनी देओल अभिनीत , चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित फिल्म मोहल्ला अस्सी तिल-तिल कर मरती हुई संस्कृत की यातना को बहुत बारीकी से बांचती है। पर एक प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी , जो बनारस का सांसद भी है , को सिर्फ मदरसों की खस्ता हालत सुधारने की फ़िक्र है। जो लोग कुरआन के साथ कंप्यूटर को कुफ्र मानते हैं , उन्हें ही कंप्यूटर देने पर सरकार आमादा हैं। वह संस्कृत जो दुनिया में कंप्यूटर के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानी गई है , उस के लिए कंप्यूटर की ज़रूरत मोदी सरकार को नहीं दिखती। सब का विश्वास के नारे का यह कुफल और छल है। रही बात नुसरत जहां के सिंदूर चूड़ी की लफ्फाजी और विभिन्न मौलानाओं के कुफ्र की तो बताता चलूं कि गोरखपुर में मेरे गांव बैदौली की मुस्लिम महिलाएं बहुत पहले से सिंदूर और चूड़ी पहनती आई हैं। बिछुआ भी। मैं तो बचपन ही से देखता आया हूं। पूर्वी उत्तर प्रदेश की तमाम मुस्लिम औरतें सिंदूर , चूड़ी पहनती हैं। लखनऊ में भी बहुतेरी मुस्लिम स्त्रियों को सिंदूर , चूड़ी पहनते देख रहा हूं। बरसों से यह उन की तहजीब का हिस्सा है । हमारे गांव में चूड़ी पहनाने वाली स्त्रियां भी मुस्लिम हैं , तब जब कि हमारा गांव ब्राह्मण बहुल गांव है। हमारे गांव में उन्हें चूड़ीहार ही कहा जाता रहा है , मुसलमान नहीं। चूड़ीहार टोला में ही वह रहते हैं। लेकिन राजनीति का यह हिंदू-मुस्लिम पहाड़ा कश्मीर से कैराना तक कैसे फैल जाता है। यह समझना कुछ बहुत कठिन नहीं है। 

सेक्यूलरिज्म के कमीने दुकानदारों कहां हो तुम ? सुन रहे हो यह सब ? तुम्हारी चुनी हुई चुप्पियां , चुने हुए विरोध , चुनी हुई विवशताएं तुम्हारी हिप्पोक्रेसी की इबारत को बहुत तल्खी से बांच रही हैं। इन्हें पढ़ो , शर्म करो और चुल्लू भर पानी में डूब मरो । 

राजस्थान की सेक्यूलर कांग्रेसी सरकार ने चार्जशीट में पहलू खान और उस के बेटे को गो तस्कर लिखा है। क्यों कि वह गो तस्कर ही था। मारा गया , यह दुखद था। लेकिन तुम कमीनों अपनी सेक्यूलरिज्म की दुकानदारी में तथ्य भूल कर सिर्फ दुकानदारी ध्यान में रखते हो , अपने जहर की फसल का ख्याल रखते हो , यह भी बहुत दुखद है। बंद करो सेक्यूलरिज्म की यह अपनी जहरीली दुकानें । मनुष्यता कराह रही है , तुम्हारी इन जहरीली दुकानों से। सुनते हैं तुम्हारी जहरीली दुकानों को चलाने वाले तमाम एन जी ओ को फंडिंग भी बंद है। अब तो अपनी जहरीली दुकानें बंद करो।

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