Thursday 21 July 2016

कांशीराम ने तब नरेंद्र मोहन की बेटी मांगी थी , अब इन को दयाशंकर सिंह की बेटी बहन दोनों चाहिए


भाजपा के दयाशंकर सिंह ने मायावती के लिए जो कहा , निश्चित रूप से आपत्तिजनक है । किसी भी सूरत उसे जस्टिफाई नहीं किया जा सकता । लेकिन जो अभी कुछ दिन पहले से दुर्गा को सेक्स वर्कर कहा जाने लगा है वह भी किसी सूरत सही नहीं है । सहमति या असहमति की बात अलग है लेकिन मर्यादा तो सभी की होती है । लेकिन इस मुद्दे पर एक खास पाकेट के लोग न सिर्फ़ खामोशी अख्तियार करते हैं बल्कि इस का भरपूर मज़ा भी लेते हैं । इस मानसिकता की भी पड़ताल ज़रूरी है । क्यों कि दोनों ही सूरत शर्मनाक है । हालां कि यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है कि चुनाव कोई भी हो मायावती पैसे ले कर ही अपनी पार्टी का टिकट किसी को देती हैं । यह बात इतनी बार , इतने सारे  लोग , कितने सारे तरीके से कह चुके हैं कि वह बेहिसाब है । दयाशंकर सिंह ने भी उसी बात को दुहराया है । लेकिन उन का बात करने का तरीका निहायत ही गंदा और शर्मनाक है । देखिए क्या है कि महाभारत में दुर्योधन की मांग कहीं से भी नाज़ायज़ नहीं थी कि अगर मेरा बाप अंधा था तो इस में मेरा क्या कसूर ? लेकिन दुर्योधन के लाक्षागृह जैसे तरीके गलत थे । इसी लिए वह खलनायक  हो गया । दयाशंकर सिंह यहीं दुर्योधन हो गए । नहीं अभी-अभी कुछ दिन पहले ही यही आरोप स्वामी प्रसाद मौर्य और आर के चौधरी भी बसपा छोड़ते समय लगा गए हैं मायावती पर । लेकिन तब  इस बात पर हंगामा नहीं हुआ । क्यों कि यह तथ्य था और रूटीन भी । लेकिन दयाशंकर सिंह मां को बाप की बीवी कह गए । सच कहा लेकिन सच कहने की मर्यादा भूल गए ।

लेकिन भारतीय राजनीति में यह गाली गलौज कोई नई बात नहीं है ।  राजनीति में इस गाली गलौज की शुरुआत भी बसपा ने ही की है । बसपा के संस्थापक कांशीराम और आज की उस की मुखिया मायावती ने ही की है । तो जो बोया है , वह काटना भी पड़ेगा । याद कीजिए वह अस्सी-नब्बे  का दशक । जब   तिलक , तराजू और तलवार , इन को मारो जूते चार ! जैसे जहरीले और नीचता भरे नारों के दिन थे । गांधी को शैतान की औलाद कहने के जहरबुझे  दिन थे वह । उस गांधी को शैतान की औलाद कहा जा रहा था जिसे दुनिया पूजती है । मुझे बहुत अच्छी तरह याद है कि एक बार दैनिक जागरण , लखनऊ  ने मायावती की ही पार्टी के एक पूर्व मंत्री रहे और बनारस के दलित नेता दीनानाथ भास्कर के इंटरव्यू के मार्फत छापा था कि मायावती विवाहित हैं और कि उन के एक बेटी भी है । उन का पति एक सिपाही है । आदि-आदि । इस इंटरव्यू के छपने के कुछ दिन बाद लखनऊ के बेगम हज़रत महल पार्क में बसपा की एक रैली हुई । इस रैली में कांशीराम ने इस मुद्दे पर जितना भला बुरा कहना था कहा । और अचानक समूची भीड़ से कांशीराम ने आह्वान किया कि चलो दैनिक जागरण का दफ्तर घेर लो । तब दैनिक जागरण का दफ्तर लखनऊ के हज़रतगंज बाज़ार में जहां अब तेज कुमार प्लाजा है के पहले ही था , ठीक कोतवाली के सामने । अब कोतवाली तोड़ कर पार्किंग बना दी गई है ।

खैर पगलाई भीड़ ने पूरे हज़रतगंज बाज़ार को जिस तरह बंधक बना लिया , वह तो शर्मनाक था ही । उस से भी ज़्यादा शर्मनाक था , काशीराम का अपनी जांघ ठोक-ठोक कर माइक पर बार-बार बहुत अश्लील ढंग से यह कहना कि नरेंद्र मोहन की बेटी लाओ ! इस से कम पर बात नहीं होगी । नरेंद्र मोहन तब दैनिक जागरण के स्वामी और संपादक थे । अब वह दिवंगत हैं । तब वह कोहराम कोई तीन चार घंटे चला । और कांशीराम का वह अश्लील नारा भी कि नरेंद्र मोहन कि बेटी लाओ ! इस पूरी कवायद में मायावती उन के साथ थीं । दैनिक जागरण दफ्तर के सभी कर्मचारी तब दफ्तर छोड़ कर भाग गए थे । जो दो-चार लोग मिले भी वह लोग बुरी तरह पीटे गए थे । लहूलुहान हो गए थे । पुलिस के हाथ पांव तब फूल गए थे । लगभग असहाय सी थी । सारा प्रशासन हाथ बांधे मूक दर्शक बना खड़ा था ।

बाद के दिनों में मायावती मुख्य मंत्री बनीं तो अजब यह हुआ कि सब से पहला इंटरव्यू उन का दैनिक जागरण में ही छपा। उसी दैनिक जागरण में जिस के मालिक नरेंद्र मोहन की बेटी कांशीराम मांग रहे थे माइक पर चीख - चीख कर । उसी दैनिक जागरण में जिस में कभी बतौर मुख्य मंत्री मुलायम सिंह की  एक फोटो छपी थी जिस में कांशीराम और मायावती के सामने कान पकड़े मुलायम झुके हुए खड़े थे । जिस के प्रतिकार में मुलायम के समाजवादी कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाऊस कांड किया । मायावती को मारने कि कोशिश में उन के कपड़े फाड़ दिए थे । उन की जान पर बन आई थी । लोकसभा में अगर अटल बिहारी वाजपेयी ने उसी दिन यह मामला उठा कर मायावती की जान न बचाई होती तो शायद तब वह इतिहास के पृष्ठों में समा गई होतीं । खैर , जातीय राजनीति के ऐसे कई दागदार पृष्ठ भरे पड़े हैं । किन-किन को पलटा जाए ? उत्तर प्रदेश विधान सभा में हुई सपा बसपा भाजपा की खूनी लड़ाई क्या  लोग भूल गए हैं ?

लेकिन आज फिर जैसे इतिहास अपने को दुहरा रहा है । लखनऊ के उसी हज़रतगंज में बसपा की मजलिस सजी हुई है । और जिस तरह से गाली-गलौज हो रही है खुले आम माइक पर वह अचरज में नहीं डालता । दयाशंकर सिंह की बहन और बेटी मांग रहे हैं , बहन जी के कार्यकर्ता । कांशीराम की याद आ रही है । कांशीराम ने बार-बार अपनी दोनों जांघ ठोक - ठोक कर कहा था , नरेंद्र मोहन की बेटी लाओ ! इस से कम पर बात नहीं होगी । आज लखनऊ के हज़रतगंज में कई कांशीराम आ गए हैं । यह सारे कांशीराम दयाशंकर सिंह की बेटी बहन दोनों मांग रहे हैं । आज की राजनीति में ईंट का जवाब पत्थर शायद इसी को कहते हैं । यह पत्थर अभी और आएंगे ।  पुलिस और प्रशासन के हाथ-पांव तब भी फूल गए थे , आज भी फूल गए हैं । वोट की गंगा में बह कर राजनीति तेरी बोली गंदी हो गई !  तिलक , तराजू और तलवार , इन को मारो जूते चार ! की राजनीति के पड़ाव अभी और भी हैं । कुतर्क की राजनीति की आग अभी और भी है ।

जो भी हो जाने-अनजाने दयाशंकर सिंह ने जाने-अनजाने बसपा को संजीवनी बूटी दे दी है ।  जिस बसपा की  सांस उखड़ रही थी , लोकसभा में शून्य हो गई थी , जिस बसपा से दलित अब छिटक कर भाजपा में शिफ़्ट  हो रहे थे अब वह बसपा में बने रह सकते हैं । मायावती और बसपा को दिल ही दिल कृतज्ञ होना चाहिए । भाजपा को तो वह तार-तार कर ही गए हैं । भाजपा दयाशंकर सिंह के मूर्खता भरे इस एक बेशर्म बयान द्वारा दिया यह घाव बहुत जल्दी नहीं भूल पाएगी । फ़िलहाल यह घाव कोई एंटीबायोटिक भी नहीं सुखा पाएगी ।


15 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-07-2016) को "आतंक के कैंसर में जकड़ी दुनिया" (चर्चा अंक-2412) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सटीक बात कही आपने

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  4. बहुत सटीक बात कही आपने

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  5. Bahut hi achhi baat h aapne bilkul such bola

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  6. सत्य कहा आप ने। वोट बैंक की राजनीति में और भी ऐसे मौके दिखेंगे।

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  7. सत्य कहा आप ने। वोट बैंक की राजनीति में और भी ऐसे मौके दिखेंगे।

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  8. बिलकुल बेबाक राय ... बहुत खूब |




    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " २२ जुलाई - राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. बहुत ही सही बात कही आपने

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  9. गलत गलत होता है । उसको जस्टीफाई करना उससे ज्यादा गलत होता है । क्या होता है इससे सबको सब पता होता है आपको भी अपना पता होता है और हमको भी अपना पता होता है ।

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  10. बहुत अच्छा लिखा, जो बहनजी कर रही है वो गैर जिम्मेदाराना रवैया है।

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  11. yai saaraa shdtantra Raaj-Naath kaa hi hai, Yai Adwaani gang kaa Khaajnaath PM bannay kay sapnay daykh rahaa thaa, Ab yai khaajnaath UP kaa CM bananay kay sapnay daykhnay lagaa...jab iskay sapnay pooray hotay huai nahi lagay ,tho isnay apni hi jaat kay Thaakur say yai kaam karwaayaa.....Yai Sawarno ko BJP say doorkarnay ki iski saajis hai, ....Pahlay bhi yai Thaakuro ko BSP kay saath rahany ki salaah day rahaa thaa, jab baat nahi bani tho isnay yai shadyantr rachaa.....App sabhi bhai isper bhi tho vichaar karo, yahi Raajnaath hai jiskay kaaran UP may BJP doob gai thi....

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  12. Wapis jawab mil raha h to manuwadiyo ko khin ho rahi hai.....
    Dekhte jaiye.... Ya to sudhar jao nahi to fir jhelne ko bhi teyar raho

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  13. उम्दा..

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  14. Kya be dhart. Kya jehelney ko taiyaar Kat raha hai. Beech wali ungli le le money under.u doggy. Stop barking

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