मैंने प्यार किया का पीछा आपसे छूटता नहीं है?
- अब छूट जाएगा।
आखि़र कैसे?
- कागज़ की कश्ती से।
आपको लगता है कि मैंने प्यार किया का मिथ भी आप तोड़ देंगी?
- हां। क्यों कि कागज़ की कश्ती में मैंने उतनी ही लगन और मेहनत से काम किया है तो विश्वास है कि यह सीरियल भी उसी ऊँचाई तक पहुंचेगा।
आखि़र ऐसा किस बिना पर आप बोल रही हैं?
- मैंने प्यार किया की भाग्यश्री की पर्सनॉलिटी ज़्यादा स्ट्रांग है मैंने प्यार किया की सुमन से। वही दिल-दिमाग में घर किया, भाग्यश्री ने घर किया। तो लोगों ने उसे पसंद किया। आज आप देख रहे हैं कि लोग बोलते कुछ हैं, करते कुछ। लेकिन मैं ऐसा नहीं करती। तो इस पर्सनॉलिटी को कायम सुमन ने नहीं, भाग्यश्री ने रखा है। अगर ऐसा न होता तो 13 साल पहले की फ़िल्म आज भी लोग याद नहीं करते।
अगर आपकी ज़िंदगी में ‘सुमन’ न होती तो?
- न होती तो? तो भी मैं होती।
फिर भी अगर न होती तो?
- शायद में मैं विश्वास ही नहीं करती। जो है वही है।
मैंने प्यार किया में एक डायलॉग था, ‘होता है, होता है !’ जो ख़ूब चला था, और आज भी चलता है। कागज़ की कश्ती में भी ऐसा कोई डायलॉग है क्या?
- हां, इस सीरियल में भी है ऐसा एक डायलॉग, ‘सच्ची !’
मैंने प्यार किया की सुमन मटर छीलती है। क्या कागज़ की कश्ती में आप की आरती भी मटर छीलेगी?
- बिलकुल छीलेगी। क्यों कि हमारी संस्कृति को कायम रखने के लिए ऐज ए मीडिया पर्सन हमारी रिस्पांसिबिलिटी है कि अपनी संस्कृति को बचाएं। आज भी मैं समझती हूं जो औरत घर का काम नहीं कर सकती, वह घर थोड़े ही बनाएगी।
आप ख़ुद घर का काम करती हैं?
- ख़ूब करती हूं।
मसलन?
- घर का सारा काम करती हूं। खाना भी, सफाई भी और बच्चों की देख-रेख भी।
आपको नहीं लगता कि मैंने प्यार किया की ऊँचाई पर पहुंच कर फ़िल्म में काम न करने का तुरंत फैसला करके आपने कोई बड़ी ग़लती कर दी? अगर फ़िल्मों में काम करती रहतीं तो आज आपका मुकाम कुछ और ही होता?
- जी नहीं, बिलकुल ऐसा नहीं सोचती कि कोई ग़लत फैसला किया। और आपको पहले ही बताया कि शायद पर मैं जिंदगी नहीं जीती। और बहुत सुखी हूं इस फ़ैसले से। इतना कि अगर वापस फिर से ज़िंदगी जीऊं तब भी वही फ़ैसला करूंगी जो 13 साल पहले किया था। आपको मालूम तो है ना कि मैंने प्यार किया की रिलीज के पहले ही मैंने विवाह कर लिया था। और मैं विवाह कर के अपनी पारिवारिक ज़िंदगी से बहुत ही खुश हूं।
और अब कागज़ की कश्ती !
- हां, धारावाहिक भले ही है कागज़ की कश्ती लेकिन इसको बिलकुल फ़िल्म की तरह बना रहे हैं। 260 एपीसोड वाले इस सीरियल में हर 10 एपीसोड पर एक गाना है। क़रीब 50 गानों में 15 गानों पर डांस है। इसमें वेस्टर्न नंबर भी है, क्लासिक नंबर भी है और फोक भी।
यह गाने और डांस की कहां से सूझी?
- सच बताऊं आपको। इस सीरियल पर जब सीटिंग्स चल रही थीं, विचार-विमर्श चल रहा था तो सुझाव मिला कि सीरियल में गाने भी डाले जाएं तो अच्छा रहेगा। यह आइडिया हमने मान लिया। गाना डालने से इस सीरियल में और उठाव आ गया। और अब जब गाने डाले गए तो डांस भी स्वाभाविक रूप से आना था।
आपने बताया कि कहानी में आपके सीरियल का नायक अमरीका से आता है तो क्या अमरीका भी शूटिंग के लिए जाएंगी?
- नहीं, अमरीका नहीं जाऊंगी। क्यों कि लड़का अमरीका से वापस आ गया है। हमारी पूरी शूटिंग महाबालेश्वर से मुंबई के बीच की ही है। अभी तो 50 एपीसोड हमने तैयार भी कर लिए हैं। बाक़ी की शूटिंग महीने के 25 दिन कर रहे हैं।
मैंने प्यार किया में आपके को-स्टार रहे सलमान ख़ान इन दिनों ख़बरों में बहुत ज़्यादा हैं?
- हूं !
आप क्या कहेंगी कि जो भी कुछ वह कर रहे हैं ठीक कर रहे हैं?
- मैं कुछ नहीं कहना चाहती।
क्यों? आखि़र वह आपके को-स्टार रहे हैं?
- हां, लेकिन फ़िल्म के बाद मैं उनसे कभी नहीं मिली !
आने वाली फ़िल्म?
- फ़रवरी, 2003 में आ रही है मां संतोषी मां। जतीन कुमार डायरेक्टर हैं।
सुना है कागज़ की कश्ती की कास्टिंग में भी बड़ी मेहनत की?
- हां, 500 ऐक्टर्स से मिलने के बाद कास्टिंग तय की।
(साल २००२ में लिया गया इन्टरव्यू)
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