दयानंद पांडेय
पंडित बिरजू महाराज कथक के फ़्यूज़न को ठीक नहीं मानते। वह कहते हैं कि फ़्यूज़न मिलाने से कन्फ्यूजन होता है। गड़बड़ भी। मजा तो तब है जब विदेशियों से कहें कि हम तुम से कम नहीं। हां दोस्ती तक तो ठीक है। बिरजू महाराज यह भी कहते हैं कि मेरा हीरो नाच है। गाना तो साइड हीरो है। बिरजू महाराज का सपना लखनऊ में एक कलाश्रम बनाने का है। पर सरकार की दिलचस्पी गायब होने के नाते बरसों पुराना उन का सपना उन की आंखों में ही बुना रह गया है। ज़मीन से वह कोसों दूर हैं। लखनऊ महोत्सव में वह एक कार्यक्रम प्रस्तुत करने लखनऊ आए थे 1997 में। पेश है तब की बातचीत :-
- कथक नृत्य एक-दो-तीन-चार-पांच, के फ्रेम के बाहर क्यों नहीं आ पा रहा है?
- पूरे भारत में कई लोग प्रयास में लगे हैं। कई लोगों के विचार भटकते हुए लगते हैं। वह लोग मॉडर्न चीज़ों का प्रभाव लेते हैं। तो कुछ लोग परंपरा को मेनटेन करतेहैं। कहानी भी लेते हैं। सिर्फ़ राधा कृष्ण के अलावा मनुष्य की भी कहानियां। दिमाग और विचारों की कहानियां।
[ 1997 में लिया गया इंटरव्यू]
- प्रयोग के तौर पर ?
- फिर भी कथक में जो इधर नए प्रयोगों की हवा चली है उस से सहमत हैं आप?
- जिन से आप सहमत हैं उनमें से एकाध नाम लेना चाहेंगे?
- तो फ़्यूज़न को कंडम कहना चाहते हैं आप ?
- आप नाम नहीं ले रहे। मैं चेतना जालान का नाम लेकर पूछ रहा हूं कि कथक में जो प्रयोग कर रही हैं खास कर फ़्यूज़न को ले कर उस पर आप क्या कहेंगे ?
- कथक में अच्छा काम करने वालों का ज़िक्र करेंगे?
- आप इतना अच्छा और मीठा गाते हैं फिर भी गायकी को आपने अपना कैरियर नहीं बनाया। क्यों?
- आप के बहुत से शिष्य और शिष्याएं हैं?
- पर कहा जाता है कि जितना बढ़ावा आप शाश्वती सेन को देते हैं किसी और को नहीं।
- वह तो चलिए बाहर हैं देश में तो शाश्वती सेन हैं?
- आप बरसों पहले लखनऊ के चिनहट में एक नृत्य संगीत का विद्यालय खोलना चाहते थे जिस में कि नृत्य संगीत खेतों के मेड़ों पर सीखा सिखाया जाए ?
- ज़मीन मिल गई ?
- कितनी चाहिए?
[ 1997 में लिया गया इंटरव्यू]
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