कामरेड कन्हैया में लेकिन आग बहुत है। और लासा भी । ललक और लोच भी बहुत है। लेकिन कुतर्क की
तलवार भी तेज़ हो गई है । वह जेल से जे एन यू लौट आए हैं। जैसे आग में लोहा
तप कर आया हो । जैसे सोना कुंदन बन कर आया हो । जे एन यू में बोल गए हैं धारा प्रवाह । कोई पचास मिनट । आधी रात में । तेवर तल्ख़ हैं ।
उम्मीद बहुत दिखती है इस कामरेड में । लोकसभा में बस पहुंचना ही
चाहता है । वक्ता भी ग़ज़ब का है । बस हार्दिक पटेल याद आता है। उस का हश्र
याद आता है। फिसलना मत कामरेड । डगर कठिन ही नहीं , चिकनी भी बहुत है ।
नेक्स्ट लालू प्रसाद यादव की भी गंध आती है बोलने के लबो लहजे में ।
हंसगुल्ले वाली बात भी बहुत है। हरिशंकर परसाई के व्यंग्य की ताप और धार
भी। तोड़ने ही होंगे मठ और गढ़ जैसी मुक्तिबोध की कविता की आंच और कालिदास की कविता की करुणा भी । नरेंद्र मोदी की तरह का स्टोरी टेलर भी है कन्हैया के भीतर। अब की बार हमले में भावनात्मक सादगी भी है । मां की याद है , ममत्व है , मां की बात है । मुक़ाबला तगड़ा ही नहीं , बहुत महीन भी है । सिपाही है , सिपाही की लाचारी है । और सब से ऊपर जे एन यू का मान और स्वाभिमान है । लहराता तिरंगा है । तिरंगे के नीचे हुंकार भरी ललकार है ।
देशद्रोह का कार्ड डिस्कार्ड हो गया है । जे एन यू में भारी भीड़ के बीच आज कन्हैया के भाषण के दौरान तिरंगा हमला लहराया । कामरेड ही नहीं , जे एन यू भी बहुत बदल गया है । लाल सलाम की यह आग नरेंद्र मोदी , भाजपा और संघ के लिए तेजाबी हमला है । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर अभी तक का यह सब से बड़ा हमलावर भाषण है कामरेड कन्हैया का । राहुल गांधी तो लतीफ़ा हैं लेकिन अरविंद केजरीवाल , सोनिया गांधी , नीतीश कुमार जैसे लोग भी कन्हैया कुमार के आगे मोदी विरोध और मोदी विरोधी भाषण में बहुत पीछे हो गए हैं । कन्हैया कुमार की तरह नरेंद्र मोदी पर ऐसा बड़ा हमला अभी तक कोई भी नहीं कर पाया था । नरेंद्र मोदी को आज नींद नहीं आएगी , यह पक्का है । कोई ज़मीनी आदमी पहली बार उन पर चढ़ाई कर गया है । अब उन के सामने कोई राहुल गांधी नाम का पप्पू टाईप लतीफ़ा नहीं , कामरेड कन्हैया कुमार जैसा शेर है ।
narendra modi ke samne nali ke keeden hain kanheya kumar. netagiri ka bhoot sawar ho gaya hai.jnu mein desh virodhi activities hoti hai sara desh janta hai
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ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (05-03-2016) को "दूर से निशाना" (चर्चा अंक-2272) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
कोई जात के पलंग पर लेटकर,
ReplyDeleteकोई मजहब की चादर लपेटकर,
कोई क्षेत्रवाद के सजीले,
सपनों में खो रहा है।
धीरे हॉर्न बजा पगले,
मेरा देश सो रहा है।
भारत की राजनीति का आईना।
ReplyDeleteभारत की राजनीति में चोर, डाकू , लुटेरे, देशद्रोही, स्मगलर, हत्यारे, दंगे करवाने वाले जैसे अनेक लोग सफल होते रहे हैं। अब तो लोग इन चीजों को राजनीति की योग्यता मानने लगे हैं।
देश-द्रोह के मामले में इसी के चलते जमानत पर बाहर आए कन्हैया की भी अच्छी खासी माँग है। ज्यादातर दल ऐसे होनहार के लिए पलक पावडे बिछा कर बैठी हैं।
देश के लिए जान की बाजी लगाने वालों को ये नजदीक भी न आने देंगे।