Sunday 16 February 2014

प्रतिभा सिनहा अपने को बदलने वाली नहीं

काजोल और प्रतिभा सिनहा ने लगभग एक ही साथ हिंदी सिनेमा की दुनिया में क़दम रखा था। दोनों ही अपने समय की प्रसिद्ध हीरोइनों की बेटियां हैं। काजोल तनूजा की बेटी हैं तो प्रतिभा सिनहा माला सिनहा की। पर आज काजोल कहां से कहां पहुंच गई। और प्रतिभा सिनहा अभी भी अपने सही समय के आने के इंतज़ार में बैठी हैं। तो क्यों?
इस के एक नहीं कई कई कारण हैं। एक तो वह फ़िल्में शुरू करने के पहले ही कई कई प्रेम प्रसंगों में फंस बैठीं। दूसरे मां माला सिनहा की बात बात में दखलंदाजी़ प्रोड्यूसर्स को नागवार गुजरीं। तीसरे, शुरू शुरू में प्रतिभा सिनहा ‘सती सावित्री’ बन बैठीं। अंग प्रदर्शन के लिए तैयार नहीं थीं। वह कहती थीं, मैं बदन बिलकुल नहीं उघाडूंगी।’ हालां कि अब प्रोड्यूसर्स डायरेक्टर्स जहां तक कहें, वह बदन उघाड़ने को तैयार बैठी हैं। यहां तक कि बैंडिट क्वीन जैसा नग्न दृश्य भी वह देने को तैयार हैं। पर अफ़सोस कि अब कोई कहता ही नहीं। चौथे, उन की असभ्य और आपत्तिजनक भाषा से लोग बिदकते हैं। वह मर्दों जैसी गालियां बकती हैं और बिना किसी शील संकोच के। पांचवें, अब उन की पहचान बी ग्रेड फ़िल्मों तक ही रह गई है।

जब कि दूसरी ओर काजोल बाजीगर, करन अर्जुन और दिल वाले दुलहनिया ले जाएंगे सरीखी फ़िल्में कर के नंबर वन की रेस में खड़ी हो गई हैं। हालां कि वह भी इन दिनों अजय देवगन के प्यार की आंच में जल रही हैं लेकिन कैरियर को उस की आंच से बचाए रख कर। लेकिन प्रतिभा सिनहा? वह तो अभिनय से ज़्यादा अपने अफ़ेयरों के लिए ही चर्चित हैं। बॉय मुखर्जी, नदीम, अजय देवगन, विवेक मुश्रान, अरमान कोहली के बाद इन दिनों उन की सूची में सैफ़ अली ख़ान नया नाम है। सैफ़ के साथ उन्हों ने ‘एक था राज’ और ‘तू चोर मैं सिपाही’ फ़िल्में की थीं। सैफ़ के बारे में प्रतिभा कहती हैं, ‘वह एक प्यारे इंसान है। उन के साथ काम करना पिकनिक मनाने जैसा होता है। हमारे विचार भी उन से मिलते हैं।’ पर साथ ही प्रतिभा यह भी कहती हैं, ‘सैफ़ अपनी बीवी अमृता से सचमुच प्यार करते हैं और उन के प्रति वफ़ादार भी हैं।’ प्रतिभा सैफ़ के साथ अपने प्यार का इज़हार भी नहीं करतीं। उलटे वह कहती हैं, ‘पता नहीं फ़िल्म करते समय लोग कैसे एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। दूसरों के सामने लोग अपनी भावनाएं कैसे जाहिर कर देते हैं। मैं तो अपनी व्यक्तिगत भावनाएं एकांत में ही व्यक्त कर सकती हूं।’ बॉय मुखर्जी की बात चली तो वह बोलीं, ‘उस रिश्ते में प्यार से ज़्यादा आंसू थे। बॉय के साथ के दिनों को तो मैं याद भी नहीं करना चाहती। वह मेरी ज़िंदगी का बड़ा दुःखदाई दौर था।’ प्रतिभा कहती हैं, ‘चूंकि बॉय बहुत असुरक्षित थे, इस लिए मुझ पर बेवज़ह शक करते रहते थे। दिन भर मैं काम कर के लौटती तो पूछने लगते कि सारा दिन मैं कहां रही, क्या किया, किस से बात की? दरअसल वह ग़ज़ब के तानाशाह प्रेमी थे। अच्छा हुआ कि उन से पीछा छूटा, नहीं मैं अलग हो जाती।’
नदीम श्रवण वाली जोड़ी के संगीतकार नदीम के प्यार में भी प्रतिभा पागल रहीं। इतना कि उन की मां माला सिनहा को बीच में आना पड़ा। और शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे से हस्तक्षेप करवाना पड़ा। पर प्रतिभा की राय अब नदीम के बारे में भी अच्छी नहीं है। वह छूटते ही कहती हैं, ‘ग़लत लोगों को अब मैं कभी महत्त्व नहीं दूंगी। आंखें बंद कर अब किसी पर विश्वास नहीं करूंगी।’ फिर वह कहती हैं कि, ‘वह मेरी ज़िंदगी का ऐसा अध्याय है जिस के बारे में मैं कुछ नहीं बोलना चाहती।’
अजय देवगन भी एक समय प्रतिभा सिनहा की सूची में थे। पर अजय देवगन ने प्रतिभा को बहुत अहमियत नहीं दी। प्रतिभा अब खुद भी कहती हैं कि, ‘मैं जानती हूं वह काजोल को बहुत प्यार करते हैं। अजय के साथ तो मैं प्यार की सोच भी नहीं सकती। वह शरीफ़ आदमी हैं और बहुत अच्छे को स्टार।’
और विवेक मुश्रान? वह कहती हैं ‘विवेक हमारी क़िस्म के मर्द नहीं हैं। सो हम में अफेयर का प्रश्न ही नहीं उठता।’ वह जोड़ती हैं, ‘फिर हमारे रिश्ते में मैं ‘ब्वायफ्रेंड’ थी और वो ‘गर्ल फ्रेंड’। रही बात अरमान कोहली की तो वह हमारे पारिवारिक मित्र हैं। फिर उन का अफ़ेयर आयशा जुल्का के साथ है।’
बात प्रतिभा सिनहा के कैरियर की उठी है तो उन्हों ने मान लिया है कि, ‘मेरी जाती जिंदगी के कारण मेरा कैरियर हमेशा गड़बड़ाया ही है।’ वह यह भी मानती हैं कि काजोल, करिश्मा, रवीना और मनीषा देखते ही देखते उन से मीलों आगे निकल गई हैं। पर इस के लिए वह अपनी मां की दखलंदाज़ी का दोष नहीं मानतीं। वह कहती हैं, ‘अगर मैं ने मां की सलाह मानी होती तो बहुत तरक्की करती। और मेरी मां ने कभी दखलंदाज़ी की ही नहीं मेरे काम में। हां, सलाह देती हैं। रही बात उन के मेरे साथ सेट पर आने की तो श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, शिल्पा शेट्टी सब की मांएं उन के साथ सेट पर आती हैं। और फिर मेरी मम्मी खुद एक टाप एक्ट्रेस रही हैं। डाइरेक्टरों, प्रोड्यूसरों को हैंडिल करना जानती हैं।’
एक समय प्रतिभा के पिता ने भी उन के फ़िल्मों में काम करने का विरोध किया था। प्रतिभा कहती हैं, ‘फ़िल्मों में काम करने का नहीं, फ़िल्मों में जाने का विरोध किया था। क्यों कि वह मुझे फ़िल्म इंडस्ट्री के हिसाब से ‘इननोसेंट’ समझते थे। पर अब ऐसा नहीं है।’ बी ग्रेड फ़िल्मों की अपनी पहचान पर भी प्रतिभा सिनहा दुखी हैं। वह इसे अपना दुर्भाग्य ही मानती हैं कि ज़्यादातर फ़िल्मों में उन्हें छोटे मोटे रोल ही मिले। फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली तो शायद इस लिए कि शुरू शुरू में वह बहुत चूजी थीं। बहुत सोच समझ कर फ़िल्में साइन करती थीं। इस नाते बहुत सी फ़िल्में उन के हाथ से निकल गईं। वह कहती भी हैं, ‘अगर वो सब फ़िल्में मैं साइन कर लेती, तो क्या पता उन में से कोई फ़िल्म चल भी जाती।’
पर अब तो उन के पास फ़्लाप फ़िल्मों की एक फ़ेहरिस्त है। और वह कहती हैं कि, ‘मैं अपना सही वक़्त आने का इंतज़ार कर रही हूं।’ वीनस के रतन जैन का मानना है कि, ‘प्रतिभा बहुत अच्छी एकट्रेस हैं, लेकिन अब तक उन्हें सही ब्रेक नहीं मिला है।’ उन्हों ने प्रतिभा को तुरंत-तुरंत तो कोई फ़िल्म नहीं दी है पर यह ज़रूर कहा है कि उन के लिए अगर कोई रोल मिलता है तो वह ज़रूर उन्हें देंगे। कहा यह भी जाता है कि प्रतिभा ने दरअसल अब जोड़-तोड़ का रास्ता अपनाया है। शिल्पा शेट्टी की देखा देखी ही उन्हों ने रतन जैन के आगे पीछे घूमना शुरू कर दिया। नतीज़ा सामने है। रतन जैन ने उन्हें प्रमोट करना शुरू कर दिया है।
प्रतिभा सिनहा अब अपने रवैए में भी बदलाव ला चुकी हैं। पहले वह इधर उधर, इन से उन से भले ही फ़्लर्ट करती घूमती रही हों पर फ़िल्मों में अंग प्रदर्शन से वह कतरा जाती थीं। तो शायद इस लिए भी कि उन के फिगर में मुटापा समाया हुआ था। पर प्रतिभा का कहना है, ‘मैं ऐसी भी मोटी नहीं लगती कि भद्दी लगूं। मैं सही-सही जगहों पर मोटी हूं। और मुझे लगता है हर भारतीय मर्द हीरोइनों को इसी रूप में देखना चाहता है।
शुरू शुरू में प्रतिभा कहती थीं कि मैं बदन बिलकुल नहीं उघाडूंगी। पर अब वह फ़िल्मों में तो छोड़िए पत्रिकाओं तक के लिए कपड़े उतार फेंकती हैं। और अब वह कहने लगी हैं, ‘जब मेरा बदन अच्छा है, तो उसे दिखाया क्यों नहीं जाए? उसे बुरके में छुपाए रखने के लिए थोड़े ही मैं हर रोज़ घंटों काम करती हूं।’ अब वह यह बताते नहीं अघातीं कि कई प्रोड्यूसरों और डाइरेक्टरों को मुझ में ज़ोरदार सेक्स अपील नज़र आती है। वह इस बाबत बी.आर. चोपड़ा और रवि चोपड़ा का नाम लेती हैं। अब वह यह भी कहने लगी हैं कि टापलेस सीन देने में भी उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं। और बात सिर्फ़ यहीं तक नहीं है। वह दो नहीं चार कदम आगे भी जा कर कहने लगी हैं कि मुझे बैंडिट क्वीन जैसे नग्न दृश्य देने में भी कोई ऐतराज़ नहीं है। वह कहती हैं, ‘शेखर कपूर, मृणाल सेन जैसे डाइरेक्टरों की फ़िल्मों के लिए तो मैं पूरा बदन उघाड़ सकती हूं।’ पर वह यह भी कहती हैं कि सिर्फ अंग प्रदर्शन के ख़ातिर बदन नहीं उघाडूंगी। पर मर्दों जैसा व्यवहार और गालियों के बाबत वह फिर भी नहीं बदली हैं। वह पूछती हैं कि, ‘सिर्फ मर्दों को ही इजाजत मिलनी चहिए गालियां बकने की?’ उन की दलील है कि किसी को खुश करने के लिए वह अपना व्यक्तित्व नहीं बदलने वाली। उन का मानना है कि जिस को उन्हें स्वीकार करना हो, वह उन्हें इसी रूप में स्वीकार करे, वरना वह भाड़ में जाए।
तो ऐसा क्यों करती हैं प्रतिभा सिनहा? हो सकता है कि जैसे अफे़यर, अभिनय और अंग प्रदर्शन जैसे मसलों पर उन का नज़रिया बदला है, कल को यह गाली गलौज वाला उन का व्यक्तित्व भी बदल जाए! हो सकता है, न भी बदले।
क्या पता? पर यह भी एक अनबूझ पहेली ही है कि प्रतिभा सिनहा मरदों की तरह गालियां क्यों बकती हैं और कि उसे छोड़ना भी नहीं चाहतीं।
[ 1995 में लिखा गया लेख]

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