दयानंद पांडेय
फ़ेसबुक नशा है। शराब और शबाब की तरह। फ़ेसबुक इश्क़ भी है। बक़ौल ग़ालिब दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन वाले फुरसतिया लोगों का चौराहा है। दिलक़श चौराहा। कम्युनिकेशन का एक बड़ा मीडियम भी। ऊब और उमंग का कोलाज। शराफ़त भी , शरारत भी। अगर कहूं कि फ़ेसबुक अपने आप में एक प्रयाग भी है। तो ग़लत न होगा। जाने कितनी नदियों का संगम है।
इस की शोखी और शेखी दोनों ही का अपना रंग है। हर्ष , विषाद , बधाई , दुश्मनी , शोक , संवाद सब इसी पर। अच्छे और दिलचस्प लोग ज़्यादा हैं यहां। विष वमन के अभ्यस्त और अराजक लोग कम। बहुत कम। लेकिन यह कम लोग ही ज़्यादातर लोगों को हलकान करने के लिए बहुत हैं। फिर मोदी वार्ड के मरीजों के क्या कहने। बिना किसी शुल्क , बिना किसी टैक्स के मनोरंजन करते हैं। विष-वमन के नित्य व्यसन की इन की हसरत फ़ेसबुक पर ही पूरी होती है। कहीं और नहीं। पर मोदी समर्थक इन पर भारी हैं। फ़ेसबुक पर अगर एजेंडा न हो , एकपक्षीय राजनीतिक टिप्पणियां न हों , तो बहुत से विवाद स्वत: अंतर्ध्यान हो जाएं। दिलों की दूरियां स्वाहा हो जाएं।
कुछ कड़ाकुल टाइप की स्त्रियां भी रंग में भंग करने के लिए उपस्थित हैं। अपने स्त्री अहंकार में चूर। जैसे पृथ्वी और फ़ेसबुक पर इसी के लिए उपस्थित हैं। बावजूद इस के फ़ेसबुक पर दिल की लगी भी है और दिल्लगी भी। आप के हिस्से और नसीब में क्या आता है , आप ही जानिए। मदिरालय के इस आंगन में किसिम - किसिम के जीव-जंतु हैं। आत्ममुग्ध भी हैं , लफ़्फ़ाज़ भी। ह्वेन आई वाज की दुनिया भी है। चोर और चार सौ बीस भी हैं। फ़ेसबुक के इस हमाम में बहुत से लोग अनायास अपनी पैंट उतारे उपस्थित हैं। नंगई की कोई सीमा नहीं है।
और इन दिनों तो रील की दुनिया भी है। लिखने - पढ़ने से ज़्यादा देखने और सुनने की दुनिया। इस रील में ज्ञान की दुनिया , मनोरंजन की दुनिया। गीत - संगीत की दुनिया। रंग-रंग की दुनिया। ऐसी बहुरंगी दुनिया फ़ेसबुक पर ही मिलती है। ऐसी बहुरंगी दुनिया किसी एक प्लेटफ़ार्म पर मेरी जानकारी में कोई और नहीं है। हो तो बताइए भी। हम भी स्वाद ले लें !
kadaakul striyaan.. rochak post.. padhkar khoob hansi aayi.
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