दयानंद पांडेय
कभी राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति रहते हुए खुलेआम कहते थे कि इंदिरा गांधी अगर झाड़ू लगाने के लिए कहें तो वह झाड़ू भी लगाएंगे। राजीव गांधी , राष्ट्रपति ज्ञानी का फ़ोन नहीं उठाते थे। इग्नोर करते थे। खुशवंत सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि सिख दंगों के समय राष्ट्रपति भवन में देश की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर ज्ञानी जैल सिंह डर के मारे पत्ते की तरह कांप रहे थे। कि कहीं उन की भी हत्या न हो जाए।
लेकिन मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए सोनिया गांधी और राहुल की झाड़ू भी लगाई और कोर्निश भी बजाई। सर्वदा कांपते रहे। सोनिया , राहुल को देखते ही बतौर प्रधान मंत्री उठ कर खड़े हो जाते थे। यह लोग बैठे रहते थे , और मनमोहन हाथ जोड़े खड़े रहते थे। राहुल कैबिनेट का फ़ैसला फाड़ देते थे और मनमोहन कैबिनेट के उस फ़ैसले को तुरंत रद्द कर देते थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी देखते ही खड़े हो जाते हैं। राहुल के बैठने के लिए कुर्सी छोड़ देते हैं। प्रियंका गांधी के नामांकन के समय बच्चों की तरह झांकते हुए बाहर खड़े रहते हैं। इतना अपमानित और बेशर्म अध्यक्ष , कांग्रेस का कभी नहीं रहा। खड़गे झाड़ू , कोर्निश सहित इन का ट्वायलेट भी साफ़ कर रहे हैं। और यह कांग्रेस अब दिल्ली में केजरीवाल को हरा कर दिल्ली प्रदेश सरकार पर कब्ज़ा करने का मंशा रखती है। ग़ज़ब है।
धन्य हो यह कांग्रेस !
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