Wednesday 6 July 2016

तुम अपनी ईद अकेले मना लो अभी दुनिया रो रही है


समूची दुनिया घायल है , खून-खून है अल्ला मियां
मैं ईद मनाऊं तो मनाऊं भी कैसे
बधाई दूं तो भला दूं भी कैसे किस को

माफ़ करना अल्ला मियां 
अब की ईद पर मैं तुम्हें बधाई नहीं देना चाहता
मैं तुम्हें ईद की बधाई नहीं दूंगा 
तुम अपनी ईद अकेले मना लो अभी दुनिया रो रही है

मनुष्यता रो रही है
मैं रो रहा हूं
कि अभी मेरी बेटी तारुशी रो रही है
रो रही है हलाल होती हुई
तुम्हारा छुरा अभी उस की गरदन पर है
वह हलाल हो रही है और रो रही है
सिसक सिसक कर चीख़ रही है
उस के गले के भीतर छुरा है
और वह चीख़ रही है

चीखते-चीखते सो गई है
अपनी अंतिम नींद में है

ढाका का महीन मलमल खून से भीगा हुआ है
किस से पोछूं अपने आंसू
फ़िरोज़ाबाद की टूटी चूड़ियां बटोरूं कैसे
तारुशी अभी-अभी सोई है
आवाज़ होगी तो जाग जाएगी

हे अल्लाह , हे पैगंबर
माफ़ करना
गंगा-जमुनी तहज़ीब का ताना-बाना कमज़ोर हो गया है
इस का सूत सड़ गया है खून में सन कर

यह ढाका , यह मदीना , वह पेरिस ,
मुंबई , कश्मीर , पाकिस्तान , अमरीका के खून अभी ताज़ा हैं
स्कूली बस्ते लिए खून में सने पेशावर के बच्चे अभी आंखों में हैं
ऐसे में मैं ईद की बधाई कैसे दूं , किस मुंह से दूं
ईद मनाऊं भी तो कैसे भला , किस मुंह से
मीठी सिवई मुंह में उतरेगी भी तो कैसे

सीरिया , फिलिस्तीन , इसराईल की कराह अभी कान में है
समूची दुनिया घायल है
खून-खून है अल्ला मियां

तुम कोई नया पैगंबर क्यों नहीं भेजते
कुरआन की कैद से मुक्त क्यों नहीं करते
आप जानते हैं अल्ला मियां कि अब दुनिया को 
रमजान के महीने और जुमे की नमाज़ से डर लगने लगा है  

मनुष्यता से ऐसी भयानक दुश्मनी 
कि सारी दुनिया काप गई है 
कि तुम एक तरफ पूरी दुनिया एक तरफ 
अजब है यह भी

हां लेकिन मैं ने कुरआन की आयत पढ़ना सीख लिया है
रोते-रोते , डरते-डरते
बच्चों ने भी सीख लिया है
ताकि कोई वहशी उन्हें मारे नहीं , गला नहीं रेते

लेकिन अब हम ईद नहीं मनाएंगे
बधाई नहीं देंगे ईद की किसी को भी
अल्ला मियां तुम को भी नहीं
कि अभी हम तुम से बहुत खफ़ा हैं
तुम्हारे पैगंबर से भी यह कह दिया है
सुनना हो तो तुम भी सुन लो अल्ला मियां

[ 6 जुलाई , 2016 ]

6 comments:

  1. अतिउत्तम कटु सत्य मर्मस्पर्शी कविता है - सादर नमन 🌹

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-07-2016) को "ईद अकेले मना लो अभी दुनिया रो रही है" (चर्चा अंक-2397) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. गजब लिखा वाह !! बहुत खूब .

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  4. क्या आपकी कविता को आपके नाम के साथ मैं अपने फेसबुक पर पोस्ट करूँ ? या आपने की हो तो कृपया लिंक दे , उसे शेयर करुँगी. बहुत मर्म स्पर्शी लिखा है आपने.

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  5. बेहद मार्मिक और मौज़ू

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  6. बेहद मार्मिक और मौज़ू

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