Monday, 13 January 2025

विपक्ष यू ट्यूबर्स को पैसा देना बंद कर दे , मोदी पराजित हो सकता है

 दयानंद पांडेय 

मज़रूह सुल्तानपुरी ने लिखा ही है :


ज़माने ने मारे जवाँ कैसे-कैसे
ज़मीं खा गई आसमाँ कैसे-कैसे l

जब जिस की सत्ता , तब तिस के अख़बार, तब तिस के चैनल l यह तो एक ज़माने से हो रहा है l ब्रिटिश पीरियड से l अब तो सोशल मीडिया है , लोग कह ले रहे हैं l उन दिनों की सोचिए कि जब सोशल मीडिया नहीं था , तब हम लोग कैसे जिये l दलाली का आलम यह कि हमारे साथ काम करने वाले लोग देखते-देखते अख़बारों और चैनलों के मालिक बन गए हैं l

जिन यू ट्यूबर्स का ज़िक्र किया है आप ने , यह लोग भी साफ़ सुथरी पत्रकारिता के लिए परिचित नहीं रहे हैं l न हैं l आज भी करोड़ो की पॉलिटिकल फंडिंग न मिले तो यह लोग यू ट्यूब चलाना भूल जाएं l सांस लेना भूल जाएं l भगत सिंह बनाना भूल जाएं l एजेंडा पत्रकारिता ने बहुत नुकसान किया है l दलाली पी आर और जुगाड़ वाली पत्रकारिता में हमारे जैसे लोग तो खड़े भी नहीं हो सके l सर्वदा हाशिए से भी बाहर रहे l और हम जैसे लोग ही क्यों तमाम लोग l मीर लिख ही गए हैं :

हम हुए तुम हुए कि मीर हुए
सब इसी ज़ुल्फ़ के असीर हुए l

रही बात मीडिया मालिकों की तो बड़े-बड़े रामनाथ गोयनका जो कभी ब्रिटिशर्स के आगे नहीं झुके , इंदिरा गांधी की इमरजेंसी में नहीं झुके , सहसा राजीव गांधी के आगे झुक गए l समर्पण कर गए l ट्रस्ट के थ्रू चलने वाला हिंदू झुक गया l टेलीग्राफ़ भी ममता बनर्जी के आगे सरेंडर है l आज अंबानी , अदानी की पूंजी हर छोटे-बड़े मीडिया हाऊस में लगी है l आप के आज तक , तक में भी l अब तो बिल्डर मीडिया मालिक भी हैं l प्रणव रॉय के एन डी टी वी तक में पोंटी चड्ढा और अन्य बिल्डर का पैसा लगा था l तहलका में भी l आऊटलुक है ही बिल्डर का l वायर आदि की कहानी भी कहां छुपी है l धूमिल की कविता पंक्ति है न , जिस-जिस की पूंछ उठाया , मादा पाया l शुरू तो किया था नेहरू ने कोआपरेटिव पर नेशनल हेराल्ड , नवजीवन , कौमी आवाज़ l क्यों कि नेहरू मीडिया पर पूंजी के ख़तरे को जानते थे l अफ़सोस कि वही नेशनल हेराल्ड अब घोटाला हेराल्ड बन कर उपस्थित है l

कितना और क्या-क्या बताएँ l मुख़्तसर में यह कि समूची मीडिया काले धन की गोद में बैठी हुई है l बाक़ी हम लोग हैं न आदर्श , नैतिकता और शुचिता वग़ैरह की आइस-पाइस खेलने के लिए l खेल रहे हैं l आत्म-वध के लिए अभिशप्त खेलते ही जा रहे हैं l

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किसी भी सरकार की आलोचना करना पत्रकार का काम है l फिर संजय सिन्हा जो प्रश्न उठाए हैं , उन्हें ऐसे ही ख़ारिज नहीं किया जा सकता l सवाल तो हैं l अलग बात है , इन सवालों का जवाब या समाधान अब किसी के पास नहीं है l मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की वाली स्थिति है l संविधान में किसी चौथे स्तंभ का ज़िक्र नहीं है l सिर्फ़ तीन ही स्तंभ हैं l विधायिका , न्याय पालिका और कार्यपालिका l मीडिया या प्रेस किसी भी शब्द का ज़िक्र भी नहीं है l यह चौथा खंभा पूंजीपतियों की सुविधा और दलाली का स्तंभ है l सत्तानशीनों से रिश्ते बनाए रखने और मिलने जुलने का प्लेटफार्म भर है l और कुछ नहीं l यह चैनल , यह अख़बार सब उन की दुकानें हैं l बिरला की तिजोरी हिंदुस्तान टाइम्स से नहीं भरती l तिजोरी भरने के लिए उन के पास और भी उपक्रम हैं l यही हाल अन्य मीडिया समूहों का भी है l अब तो तमाम बिल्डर मीडिया ग्रुप के स्वामी हैं l हिंदी पट्टी में आज और जागरण जैसे पुराने मीडिया समूह भी अब बिल्डर बन चुके हैं l और भी कई कारोबार हैं l कारपोरेट पत्रकारिता में ही करोड़ो का पैकेज मिल सकता है , मीडिया के कारिंदों को l

आप बताइए कि बीते तीन दशक में कोई एक ख़बर है , जिस का पर्दाफ़ाश किसी मीडिया हाऊस के खाते में हो ?

एक नहीं है l

आज की तारीख़ में एक मरा हुआ अख़बार है जनसत्ता l कभी सूर्य सा चमकता था l हम भी उस की पहली टीम में रहे हैं l जनसत्ता का एक स्लोगन था : सब की ख़बर ले , सब को ख़बर दे l

पर अब सारी मीडिया के लिए कहा जा सकता है : इन से ख़बर लो , उन को ख़बर दो l बस !

और यह यू ट्यूबर ?

आज की तारीख़ में सब से बड़े पोलिटिकल दलाल हैं l ध्रुव राठी से लगायत, अजित अंजुम , पुण्य प्रसून तक सभी राजनीतिक पार्टियों से उगाही करते हैं l करोड़ो की फंडिंग देती हैं सभी पार्टियां l सोरोस से ले कर सपा , कांग्रेस , जैसी पार्टियां इन्हें करोड़ो करोड़ रुपए देते हैं l

विपक्ष मोदी को पराजित इसी लिए नहीं कर पा रहा है कि यू ट्यूबर्स पैसा ले कर फर्जी माहौल बना देते हैं , मोदी के ख़िलाफ़ l विपक्ष इस माहौल के नशे में लड़खड़ा जाता है l विपक्ष आज इन यू ट्यूबर्स को पैसा देना बंद कर दे , मोदी कल पराजित हो सकता है l असली लड़ाई शुरू हो जाए l

लखनऊ में तो विधान सभा चुनाव में सपा के पेरोल पर रहने वाला एक यूट्यूबर जहां चुनाव नहीं हुआ रहता , वहां के चुनाव भी करवा कर सपा का पलड़ा भारी बता देता था l लंबा चौड़ा स्टाफ रखता है l लखनऊ, दिल्ली से लगायत मुंबई तक में शानदार आफिस खोल लिया है l जब देखिए तब किसी पहाड़ , किसी अन्य देश में घूमता दिखता है l पिछले विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे एक आई ए एस अफ़सर को तमाम यू ट्यूबर और एन जी ओ को खुलेआम करोड़ो रुपए बांटने के लिए अखिलेश यादव ने तैनात कर दिया था l कांग्रेस भी इस काम के लिए परिचित है l

जवाब में मोदी ने अदानी , अंबानी के मार्फ़त मुख्य मीडिया को ख़रीद रखा है l इसी लिए लोग गोदी मीडिया बताते फिरते हैं l

मीडिया क्या है , सत्ता का अंकुश है l जैसे हाथी पर महावत का अंकुश l अफ़सोस कि अब हाथी ने इस अंकुश को नष्ट कर दिया है l कुचल कर रख दिया है l महावत और अंकुश दोनों को l मीडिया आज ठीक हो जाए , राजनीति आज ही ठीक हो जाए l

लेकिन अब यह सब एक कल्पना है l सपना है l पहले सोशल मीडिया पर पेड वर्कर होते थे , आज यू ट्यूबर हैं l क्यों कि तमाम इधर उधर के बावजूद मुख्य मीडिया के पास थोड़ी बहुत लोकलाज है l पर यू ट्यूबर के पास न लोक है , न लाज है l वनली एजेंडा !

[ एक मित्र की पोस्ट पर मेरे यह दो कमेंट ]

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