Tuesday 24 November 2015

सुन रहे हो आमिर ख़ान और शाहरुख़ ख़ान !


ज़रूरत किसी को देशभक्ति साबित करने की है भी नहीं। ज़रूरत देश से प्रेम करने की है। इस प्रेम को परवान चढ़ाने की है। कांग्रेस को अपनी इस नीचता और नीच राजनीति से मुक्ति पाने की है। भाजपा को अपने कुत्ता नेताओं यथा योगी , साक्षी , साध्वी आदि की जहरीली  जुबान काट लेने की है।अपने घर को साफ करने और सजाने की है। पाकिस्तान भेजने की लफ्फाजी और अय्यासी बहुत हो चुकी । ऐसे बयान देने वालों को भी देशद्रोही ही क़रार देना चाहिए और क़ानूनी कार्रवाई कर जेल भेजना चाहिए। भाजपा और कांग्रेस को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश और देशभक्ति से फ़ुटबाल मैच खेलना तुरंत बंद कर देना चाहिए । बहुत हो गया । क्यों कि यह देश और देश भक्ति कोई फ़ुटबाल नहीं है । यह आमिर , यह शाहरुख़ जैसे लोगों की बात पर तूफ़ान खड़ा करना भी मूर्खता है । यह लोग पैसा कमाने के लिए जमीर तक दांव पर लगा देने वाले अभिनेता लोग हैं। यह वही आमिर ख़ान हैं जो मेधा पाटेकर के साथ नर्मदा बांध के खिलाफ धरने पर भी बैठ जाते हैं और ठंडा यानी कोका कोला भी बेच सकते हैं । यानी कांख भी छुपी रहे और मुट्ठी भी तनी रहे । सहिष्णु इतने हैं और बहादुर भी इतने कि बीवी बच्चों को अचानक छोड़ कर बेसहारा कर देते हैं । यह वही शाहरुख़ ख़ान हैं जो आई पी एल जैसे खेल में नंबर दो का एक करने का गेम खेलते हैं। सिगरेट पीने के लिए वान खेड़े में सिक्योरिटी गार्ड से लड़ सकते हैं। फिर बेइज्जती से मुंह पोछने के लिए बता सकते हैं कि हमारे बाप तो स्वतंत्रता सेनानी थे ।  प्रियंका गांधी से अपनी आशिक़ी के लिए कुछ भी कर सकते हैं।ओम शांति ओम जैसी बकवास फिल्मों से पैसा बटोरने में माहिर हैं ही ।

जैसे भाजपा ने शत्रुघन सिनहा जैसे अभिनेता की ब्लैक मेलिंग और धौंस को दरकिनार किया जनता को भी इन अभिनेताओं को बहुत भाव नहीं देना चाहिए । यह लोग कोई दादा साहब फालके , ह्वी  शांताराम या सदाबहार अशोक कुमार नहीं हैं । सत्यजीत राय या ऋत्विक घटक नहीं हैं। श्याम बेनेगल या राज कपूर , देवानंद या दिलीप कुमार नहीं हैं । विमल राय , सुनील दत्त नहीं हैं । यह खोखले लोग हैं । सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए पैदा हुए हैं । देश नहीं पैसा ही सर्वोच्च है इन के लिए । दाऊद इब्राहिम जैसों के काले पैसों से बनी फ़िल्मों में काम करने वाले इन लोगों को देश प्रेम सिखाना भी वक़्त ख़राब करना है । आज कल कुकुरमुत्तों की तरह उग आए चैनलों में बैठे साक्षर पत्रकारों ने इन्हें सो काल्ड सेलिब्रेटी बना दिया है । जब कि यह अच्छे आदमी भी नहीं हैं तो सेलिब्रेटी भी कांहे के भला ? सो इन का दिमाग ख़राब हो गया है । यह देश इन का भी उतना है , जितना किसी और भारतीय का , यह बताना इन्हें इस लिए भी ज़रूरी नहीं है कि यह कोई बच्चे नहीं हैं । देश प्रेम वैसे भी सीखने की चीज़ है , सिखाने की नहीं । प्रेम कोई भी हो , किसी भी से हो ख़ुद करना पड़ता है । किसी के कहने या सिखाने से नहीं । किसी के हिस्से का कोई और नहीं करता । इस के लिए किसी पटकथा , किसी संवाद , किसी निर्देशक या किसी कैमरे की ज़रूरत नहीं होती । सुन रहे हो आमिर ख़ान और शाहरुख़ ख़ान ! यह हमारा देश है , इस पर उंगली उठाने का अधिकार हम या कोई भी तुम लोगों को देने को तैयार नहीं है । एक अच्छा नागरिक बनना सीखो । इक़बाल का लिखा तराना गाओ , सारे जहां  से अच्छा हिंदोस्ता  हमारा !

2 comments:

  1. जहां तक मुझे लगता है अब इस देश में रहने वाले ऐसे मुस्लिम परिवार के सदस्यों को भारत छोड़कर चले जाना चाहिए जो आमिर और शाहरूख की भावनाओं को तवज्जो देते हैं | यदि देश में असहिष्णुता है, बर्बरता है और यदि किसी अन्य देश में इनको अन्य सभी सुविधाएँ मिल रही हैं जो यहाँ संभव नहीं है, तो फिर नेक कार्यों में देरी नहीं करते | बहरहाल कुछ अधिक कहें ही तो क्या कहें "काटे, चाटे श्वान के दुहूँ भांति विपरीत |"

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  2. बचकर रहना हुआ जरूरी ............की औलादो से ,
    भारत की पावन धरती पर इन जिन्दा जल्लादो से ,
    भारत माँ का अन्न खा रहे पाक निमंत्रण देते है ,
    सँभले सारे भारतवासी उनके गलत इरादो से !

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