दयानंद पांडेय
एक समय था कि इराक़ का तानाशाह सद्दाम हुसैन अपने बाथरूम में सोने की टोटी लगाए था l सोने के टोटी से आए पानी से नहाता था l पर अपने अंतिम समय में अखिलेश यादव की तरह सोने की टोटी , टाईल नहीं ले जा पाया l लेकिन तब के दिनों अमरीका और उस के 35 मित्र राष्ट्रों को लंबे समय तक छकाता रहा l मित्र राष्ट्र की सेनाएं रोज़ ऐलान करतीं कि आज इतने टैंक मारे l यह किया , वह किया l पर सचमुच कुछ नहीं l क्यों कि सद्दाम हुसैन ने जगह-जगह रबर के टैंक खड़े किए था l रोज़ यही खड़े कर देता था l
अमरीका और मित्र राष्ट्र हवाई हमला कर ख़ुश रहते l पर सद्दाम हुसैन का यह झांसा बहुत दिन नहीं चल पाया l अपना भूमिगत महल छोड़ कर सद्दाम हुसैन को भागना पड़ा l अमरीकी सैनिकों ने जब सद्दाम हुसैन को गिरफ़्तार किया तब वह एक कच्चे , मिट्टी वाले बंकर में लेटा हुआ मिला l बंकर क्या लगभग कब्र थी वह l ऊपर लकड़ी के पटरे से ख़ुद को ढँक कर छुपा पड़ा था l दीनहीन दशा में l भिखरियों की तरह l लस्त-पस्त l
यहाँ तक कि गिरफ़्तार होने के बाद भी वह लगातार बताता रहा कि मैं सद्दाम हुसैन नहीं हूं l लेकिन भिखारियों की तरह दिखने वाला वह सद्दाम हुसैन ही था l अंतत: सद्दाम हुसैन को फाँसी हुई l
मुस्लिम जगत में मातम मना l
अब वह एक था सद्दाम हुसैन कहलाने के क़ाबिल भी नहीं रहा l मुस्लिम जगत ही उसे भूल चुका है l सद्दाम हुसैन को अपने रासायनिक हथियारों पर बड़ा भरोसा था l मुस्लिम ब्रदरहुड पर बड़ा भरोसा था l और सब से बड़ी बात कि तेल के कुएं पर बड़ा नाज़ था l पर उस की ज़िद , सनक और तानाशाही में कुछ काम न आया l
ईरान के ख़ोमाईंनी भी अब सद्दाम हुसैन की राह पर चलते हुए उसी दुर्गति को प्राप्त होने को उत्सुक दिखते हैं l किसी अज्ञात बंकर में छुपे हुए l एक पुरानी कहावत याद आती है कि बातें चाहे कोई जितनी और जैसी भी कर ले पर उछलना अपने ही दम पर चाहिए l इस लिए भी कि मुस्लिम ब्रदरहुड की सरहद सिर्फ़ आतंक तक ही है l
सीधी लड़ाई में अब मुस्लिम ब्रदरहुड अपनी हैसियत जितनी जल्दी जान ले बेहतर है l तेल के कुएं अब उस का कवच-कुंडल बनने को तैयार नहीं हैं l तेल के कुएं , आतंक और ख़ून खराबा करने का लाइसेंस जब देते थे , तब देते थे l अब वह दिन विदा हुए l
विदा हुए वह दिन जब तलवार के दम पर पारसियों के ईरान को मुस्लिम ईरान बना कर उसे जहन्नुम बना दिया l आतंक का पर्याय बना दिया l यह तलवार नहीं , विज्ञान , तकनीक , डिप्लोमेसी और बुद्धि का दिन है l मनुष्यता और व्यवसाय का है l अब हर चीज़ का विकल्प है l तेल और तेल के कुएं का भी l सर्वदा आतंक की ध्वजा फहराने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड के तहस-नहस का भी l