Wednesday, 18 June 2025

सोने की टोटी वाला सद्दाम हुसैन जब भिखारियों की तरह मिला

दयानंद पांडेय

एक समय था कि इराक़ का तानाशाह सद्दाम हुसैन अपने बाथरूम में सोने की टोटी लगाए था l सोने के टोटी से आए पानी से नहाता था l पर अपने अंतिम समय में अखिलेश यादव की तरह सोने की टोटी , टाईल नहीं ले जा पाया l लेकिन तब के दिनों अमरीका और उस के 35 मित्र राष्ट्रों को लंबे समय तक छकाता रहा l मित्र राष्ट्र की सेनाएं रोज़ ऐलान करतीं कि आज इतने टैंक मारे l यह किया , वह किया l पर सचमुच कुछ नहीं l क्यों कि सद्दाम हुसैन ने जगह-जगह रबर के टैंक खड़े किए था l रोज़ यही खड़े कर देता था l

अमरीका और मित्र राष्ट्र हवाई हमला कर ख़ुश रहते l पर सद्दाम हुसैन का यह झांसा बहुत दिन नहीं चल पाया l अपना भूमिगत महल छोड़ कर सद्दाम हुसैन को भागना पड़ा l अमरीकी सैनिकों ने जब सद्दाम हुसैन को गिरफ़्तार किया तब वह एक कच्चे , मिट्टी वाले बंकर में लेटा हुआ मिला l बंकर क्या लगभग कब्र थी वह l ऊपर लकड़ी के पटरे से ख़ुद को ढँक कर छुपा पड़ा था l दीनहीन दशा में l भिखरियों की तरह l लस्त-पस्त l

यहाँ तक कि गिरफ़्तार होने के बाद भी वह लगातार बताता रहा कि मैं सद्दाम हुसैन नहीं हूं l लेकिन भिखारियों की तरह दिखने वाला वह सद्दाम हुसैन ही था l अंतत: सद्दाम हुसैन को फाँसी हुई l

मुस्लिम जगत में मातम मना l

अब वह एक था सद्दाम हुसैन कहलाने के क़ाबिल भी नहीं रहा l मुस्लिम जगत ही उसे भूल चुका है l सद्दाम हुसैन को अपने रासायनिक हथियारों पर बड़ा भरोसा था l मुस्लिम ब्रदरहुड पर बड़ा भरोसा था l और सब से बड़ी बात कि तेल के कुएं पर बड़ा नाज़ था l पर उस की ज़िद , सनक और तानाशाही में कुछ काम न आया l

ईरान के ख़ोमाईंनी भी अब सद्दाम हुसैन की राह पर चलते हुए उसी दुर्गति को प्राप्त होने को उत्सुक दिखते हैं l किसी अज्ञात बंकर में छुपे हुए l एक पुरानी कहावत याद आती है कि बातें चाहे कोई जितनी और जैसी भी कर ले पर उछलना अपने ही दम पर चाहिए l इस लिए भी कि मुस्लिम ब्रदरहुड की सरहद सिर्फ़ आतंक तक ही है l

सीधी लड़ाई में अब मुस्लिम ब्रदरहुड अपनी हैसियत जितनी जल्दी जान ले बेहतर है l तेल के कुएं अब उस का कवच-कुंडल बनने को तैयार नहीं हैं l तेल के कुएं , आतंक और ख़ून खराबा करने का लाइसेंस जब देते थे , तब देते थे l अब वह दिन विदा हुए l

विदा हुए वह दिन जब तलवार के दम पर पारसियों के ईरान को मुस्लिम ईरान बना कर उसे जहन्नुम बना दिया l आतंक का पर्याय बना दिया l यह तलवार नहीं , विज्ञान , तकनीक , डिप्लोमेसी और बुद्धि का दिन है l मनुष्यता और व्यवसाय का है l अब हर चीज़ का विकल्प है l तेल और तेल के कुएं का भी l सर्वदा आतंक की ध्वजा फहराने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड के तहस-नहस का भी l

ट्रंप और नेतन्याहू मोदी की तरह ढकोसलेबाज़ नहीं हैं

दयानंद पांडेय


यह अच्छा ही है कि नेतन्याहू और ट्रंप नरेंद्र मोदी की तरह सब का साथ , सब का विकास और सब का विश्वास जैसे ढकोसले में नहीं पड़ते l अर्जुन की तरह सीधे मछली की आंख देख रहे हैं l उन की नज़र में ही नहीं , उन की कार्रवाई में भी आतंकी , आतंकी दिख रहा है l ईरान जिस तरह तमाम इस्लामिक आतंकी संगठन खड़े कर दुनिया में आतंक का तराना गाता रहता है , उसे करेक्ट करना बहुत ज़रूरी है l बहुत ज़रूरी l

नेतन्याहू ने खोमैनी को आगाह किया है कि सद्दाम हुसैन जैसी दुर्गति हो सकती है l ख़बर यह भी है कि खोमैनी , ट्रंप की हत्या की फ़िराक़ में था l ट्रंप और अमरीका दोनों ही गुंडई में मास्टर हैं l नेतन्याहू जुनून से लबालब l इस्लामिक ब्रदरहुड के नाम पर आतंक का सफाया बहुत ज़रूरी है l इस दुनिया से विदा होना ही चाहिए आतंक का हर कोना l हर हाल होना चाहिए l

मनुष्यता और शांति के लिए यह बहुत ज़रूरी है l तेल के कुएं, मनुष्य का ख़ून बहाने का लाइसेंस नहीं है , यह बात हर किसी को जान लेने में ही भलाई है l

अलग बात है इस पूरे परिदृश्य में भारत की स्थिति त्रिशंकु जैसी है l भारत , चीन , टर्की और पाकिस्तान को छोड़ कर हर किसी के साथ है l रूस के साथ भी , अमरीका के साथ भी l ईरान के साथ भी , इजराइल के साथ भी l

लिख कर रख लीजिए कि तमाम इफ बट के बावजूद तीसरा विश्व युद्ध नहीं होना है , न परमाणु युद्ध l लेकिन इस्लामिक आतंकवाद इतना ख़तरनाक है कि अगर उस के पास परमाणु बम हो तो जाने क्या कर दे l

पाकिस्तान के परमाणु बम की कुंजी , अमरीका के हाथ है इस लिए उस के हाथ बंधे हुए हैं l ईरान , परमाणु बम बनाए , अमरीका इसी लिए नहीं चाहता l उस की दादागिरी को घाव भी लगता है l इजराइल इस मुहिम में अमरीका का सहचर है l रूस और चीन, अमरीका के ख़िलाफ़ होते हुए भी , प्रेक्षक l भारत त्रिशंकु ! इधर का होते हुए भी उधर का दिखाई देता है l उधर का होता हुए भी इधर का दिखाई देता है l

सरकार अगर मोदी की नहीं , किसी और की होती तब भी शायद यही मंजर होता l आप्रेशन सिंदूर प्रसंग में कांग्रेस तो तुर्कीए का नाम लेने में भी कांप जाती है l नहीं लेती l मुस्लिम वोट बैंक का भय है कांग्रेस को l भारत से ही आज काले कपड़े पहने एक समूह का वीडियो आया है l जिस में नारा लग रहा है : ईरान से आवाज़ आई , शिया-सुन्नी भाई-भाई ! इस लिए मोदी सरकार मुसलमानों के दंगे और हिंसा से डरती है l बुरी तरह भयभीत !

और दुनिया ?

इस्लामिक आतंकवाद से तो समूची दुनिया डरती है l चीन और रूस भी l कई मुस्लिम देश भी l

Friday, 6 June 2025

भारत की डिप्लोमेसी का यह सूर्य समूची दुनिया में चमक रहा है

दयानंद पांडेय


एलन मस्क और ट्रंप कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ने लगे हैं। ट्रंप के स्त्रियों के साथ आपत्तिजनक वीडियो बाज़ार में उतर चुके हैं। एलन मस्क ने ट्रंप को चंदा देने से इंकार कर दिया है। एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक को आज भारत ने सेटेलाइट इंटरनेट का लाइसेंस दे दिया है। आज ही कनाडा के राष्ट्रपति ने जी सेवन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री को निमंत्रण दे दिया है। आज ही चीन का जानी दुश्मन ताइवान , भारत से हथियार ख़रीदने भारत आ गया है। एप्पल ने डोनाल्ड ट्रंप की 25 प्रतिशत टैरिफ की धमकी के बावजूद भारत में अपनी रणनीति को मजबूत करते हुए टाटा ग्रुप को आईफोन और मैकबुक की मरम्मत का बड़ा जिम्मा सौंप दिया है। टाटा, जो पहले से ही भारत में आईफोन असेंबल करता है। अब कर्नाटक में विस्ट्रॉन की इकाई के साथ मिलकर आफ्टर-सेल्स सर्विस प्रदान करेगा। राफेल का महत्वपूर्ण हिस्सा अब भारत में बनेगा। शशि थरुर , सलमान खुर्शीद , असदुद्दीन ओवैसी , सुप्रिया सुले जैसे तमाम लोग भारत और आपरेशन सिंदूर के यशोगान में हर्षित हैं। और भी बहुतेरी बातें हैं। क्या - क्या गिनवाएं। इस तरह भारत की डिप्लोमेसी का यह सूर्य समूची दुनिया में चमक रहा है।

ताइवान भारत से वही हथियार ख़रीदने आया है , जिन्हों ने आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को और चीनी हथियारों को उन का रसगुल्ला घुमा कर खिला दिया। सिंधु जल के लिए पाकिस्तान चिट्ठी पर चिट्ठी लिख कर रोज गिड़गिड़ा रहा है। फिर भी एक श्वान बहादुर गांधी निरंतर नरेंदर , सरेंडर की काल्पनिक अंत्याक्षरी के नशे में धुत्त हो कर कह रहा है कि मोदी कुछ बोल नहीं रहा है। इस श्वान बहादुर गांधी को नहीं मालूम कि डिप्लोमेसी भी एक तत्व है। श्वान बहादुर गांधी की तरह सर्वदा पृष्ठ भाग से नहीं भौंका जाता। हताशा में अग्र भाग से शौच नहीं किया जाता। सकारात्मक परिणाम पाने के लिए चालें चुपचाप चली जाती हैं।

जिस कश्मीर को लोग पत्थरबाजी और आतंक के कारण जानते थे , उसी कश्मीर में दुनिया का सब से ऊंचा , पेरिस के एफिल टॉवर से भी ऊंचा , चिनाब पुल भी इस श्वान बहादुर गांधी को नहीं दिखता। श्वान बहादुर गांधी के इस बेसुरे गायन में कुछ लेखक , पत्रकार भी मिले सुर मेरा तुम्हारा के गायन में गच्च हैं। इन नितंब नरेशों ने भेड़ की भीड़ बनने में ही अपने को खर्च करने में व्यस्त कर रखा है। आपरेशन सिंदूर की पीड़ा में उपजे इस आपरेशन को आप क्या नाम देना चाहेंगे ?

यह भी कि श्वान बहादुर गांधी , पाकिस्तान और इन लेखकों , पत्रकारों की युगलबंदी को कौन सा सलाम देना चाहेंगे ? लाल सलाम , कि हरा सलाम ! कि कोई और सलाम !

कि बकरीद मनाने के लिए गटर का ढक्कन चुराने वाले पाकिस्तानियों की बारात में बैंड बजाने के लिए भेज देंगे ? हरिशंकर परसाई का वह लिखा याद कीजिए :

इस देश के बुद्धिजीवी सब शेर हैं। पर वे सियारों की बारात में बैंड बजाते हैं।

आज की तारीख़ में पाकिस्तान वही सियार है और भारत के बुद्धिजीवी वही शेर !