दयानंद पांडेय
लेकिन बीते दिनों एक रात दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी l
एक लड़की रोज़ की तरह आधी रात टहल रही थी l दो शोहदों ने उस के साथ छेड़खानी की l अभद्रता की l बाद में पता चला कि वह दोनों लड़के पिए हुए भी थे l लड़की कॉरपोरेट सेक्टर में काम करती है l उस ने घर जा कर तुरंत यह बात बताई l उस के पिता ने तुरंत यह बात सोसाइटी के वाट्सअप ग्रुप पर विस्तार से लिख दी l आधी रात हंगामा हो गया l रात भर वाट्सअप ग्रुप पर क्रांति होती रही l लेकिन दूसरी सुबह लड़की के पिता ने पुलिस को भी इनफ़ॉर्म किया l पुलिस आई l लड़कों की शिनाख़्त हुई l पता चला वह दोनों लड़के एक फ्लैट में किराएदार थे l बैचलर थे l शराब पी कर मस्ती कर रहे थे l हफ़्ते भर पहले ही किराएदार बन कर सोसाइटी में आए थे l
पूरी सोसाइटी के लोग इकट्ठे हुए l मीटिंग हुई l मेंटेनेंस से मकान मालिक का नंबर ले कर मकान मालिक से संपर्क किया गया l पुलिस ने तो उन दोनों लड़कों को थाने ले जा कर टाइट किया ही , मकान मालिक ने भी उसी दिन घर ख़ाली करने को कह दिया l दूसरी सुबह वह लड़के इस सोसाइटी से मय सामान के घर ख़ाली कर गए l फिर दुबारा नहीं दिखे l इस मसले पर पूरी सोसाइटी एक हो गई l आपस में बहुतों के बहुत मतभेद थे , झगड़े और विवाद थे पर सब कुछ , सब लोग भुला कर एकजुट हो गए l शोहदों को बेइज्जत हो कर भागना पड़ा l सोसाइटी में वैसे भी बैचलर को किराए पर घर देने की मनाही है l
लड़की के पिता ने वाट्सअप ग्रुप पर ही पूरी सोसाइटी को धन्यवाद ज्ञापित किया l न अपनी पहचान छुपाई , न बेटी की l सब ने उन को सैल्यूट किया l गौर तलब है कि वह लड़की या अन्य स्त्रियां आज भी सोसाइटी में बेधड़क टहलती हैं l जब चाहती हैं तब l आधी रात भी l
बहरहाल एक छोटी सी सोसाइटी में एक लड़की से छेड़खानी पर पूरी सोसाइटी में एकजुटता दिखी और परिणाम भी तुरंत मिला l पर क्रांति की अलख जगाने वाले , व्यवस्था परिवर्तन की बात करने वाले , मोदी , ट्रंप की रोज माँ-बहन करने वाले हिंदी लेखक ऐसे किसी मसले पर एकजुट नहीं हो सकते l आधी रात भी l जान सभी गए पर आहिस्ता-आहिस्ता l गोया रुख़ से सरकती जाए है नक़ाब आहिस्ता-आहिस्ता !
एक लंपट और शराबी लेखक का नाम लेने में , उस की निंदा करने में लेखक लोग भयभीत हो गए l हाई हैडेड स्त्री लेखिकाएं भी हिजाब ओढ़ कर बैठ गईं l घाघरा पलटन टाइप लेखिकाएं भी गुदगुदा कर रह गईं l अजब है हमारा हिंदी लेखक समाज भी l राजनीतिक दलाली करने वाले लेखकों से , अपनी अम्मा और आत्मा बेच कर एजेंडा चलाने वाले लेखकों से तो कोई उम्मीद करना अपने ही से घात करना है l
पुनश्च : बात बेबात फेसबुक पर हवा ख़ारिज करने और विवादित रहने की बीमारी से ग्रसित कृष्ण कल्पित इस पूरे मसले पर सिरे से ख़ामोश हैं। और वह कहते हैं न कि जग अभी जीता नहीं है और मैं अभी हारा नहीं हूं कि ध्वनि भी है। शिवांगी गोयल की कोई बात सामने नहीं आई है। कयास भी बहुत सारे हैं। फिर भी यह एक पोस्टर भी तैर रहा है। बाक़ी रमानाथ अवस्थी की गीत पंक्ति है : किसी से कुछ कहना क्या , किसी से कुछ सुनना क्या , अभी तो और चलना है ! अभी तो और थकना है।
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