दयानंद पांडेय
कश्मीर में चुनी हुई सरकार है l उमर अब्दुल्ला मुख्य मंत्री हैं l वह लेकिन पहलगाम पर ख़ामोश हैं l ऐसे जैसे उन की कोई ज़िम्मेदारी न थी l न है l
कश्मीर विधानसभा में वक़्फ़ बोर्ड संशोधन बिल पर कोहराम मचाने और बिल फाड़ने वाले लोग तब भी भारत पर हमलावर थे , अब भी हैं l आज का कश्मीर बंद , हरामखोरी का नायाब नमूना है l
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर को इतनी फ़ंडिंग हो रही है , कि उस की लालच में यह हरामखोर दिखावा कर रहे हैं l इस नरसंहार के लिए हरामखोर सेक्यूलरजन भी राज्य सरकार और उमर अब्दुल्ला का नाम लेने में इस लिए भयभीत हैं कि उन का नाम लेते ही उन के सेक्युलरिज्म के पाखंड की पोल खुल जाएगी l उन के अब्बू का नाम लोग जान जाएंगे l
रही बात सरहद की तो पंजाब और गुजरात भी पाकिस्तान की सरहद से लगे सूबे हैं l वहां क्यों नहीं होता कभी धर्म पूछ कर नरसंहार ?
क्यों कि पंजाब और गुजरात के अधिकांश स्थानीय लोग पाकिस्तान के हामीदार नहीं हैं l बहुसंख्यक इस्लाम के सरपरस्त नहीं हैं l
लेकिन कश्मीर घाटी में बहुसंख्यक आतंक और इस्लाम के सरपरस्त हैं l इसी लिए यह नरसंहार होते आ रहे हैं l होते रहेंगे l
बताइए कि अभी इसी 16 अप्रैल को एक लेफ्टिनेंट नरवार की शादी हुई थी l उस की पत्नी के सामने ही उसे मार डाला , मुस्लिम आतंकियों ने l कानपुर के शुभम की शादी दो महीने पहले हुई थी l उस की बीवी के सामने उसे मार डाला गया l एक अधेड़ स्त्री के सामने उस के पति को मारा गया l स्त्री बोली , मुझे भी मार दो l मुस्लिम आतंकी बोला , नहीं मारेंगे तुम्हें l मोदी को जा कर बताना l ऐसे अनेक विवरण हैं l
वह आतंकी मोदी की जगह उमर अब्दुल्ला का नाम भी तो ले सकता था l नहीं लिया l कुछ मतिमंद कह रहे हैं , यह कायराना हमला है l कायराना नहीं वहशियाना हमला है यह l एक दो एयर स्ट्राइक इस हमले का जवाब नहीं हो सकता l इजराइल की तरह मुसलसल हमला जारी रहना चाहिए l तब तक जब तक पाकिस्तान खंडहर न हो जाए l नेस्तनाबूद न हो जाए l हमास की रीढ़ जिस तरह इजराइल ने तोड़ी है , उस से भी ज़्यादा l कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में रह रहे ऐसे राक्षसों तथा इन को शरण देने या पैरवी करने वालों की रीढ़ तोड़नी ज़रूरी है l बेहद ज़रूरी l कश्मीर से लगायत पश्चिम बंगाल तक l
वक़्फ़ संशोधन बिल फाड़ने वाले लोगों को भी फाड़ देना चाहिए l नो रियायत l यह राफ़ेल वाफ़ेल सरहद पार के लिए नहीं तो क्या हवाई पट्टी सजाने के लिए लाए गए हैं ?
गोरखपुर के डाक्टर राधामोहन अग्रवाल राज्य सभा सदस्य हैं l राज्य सभा में वक़्फ़ बोर्ड पर बहस करते हुए एक मुस्लिम सांसद को इंगित करते हुए एक किताब का नाम लेते हुए कहा था कि अगर हम लोग वह किताब पढ़ कर आप से बात करेंगे तो मार हो जाएगी , मार !
सेटेनिक वर्सेज पर बैन लग सकता है , तमाम और किताबों और चीज़ों पर बैन लग सकता है तो जैसे चीन बहुत कुछ पर बैन लगा कर देश में अमन-चैन क़ायम रखता है , सारा रिस्क ले कर भारत को भी क्या यह नहीं कर देना चाहिए ?
आख़िर आइडेंटिटी कार्ड देख कर , पैंट खोल कर ख़तना न देख कर कहीं आतंकी हत्या करते हैं ? कलमा न पढ़ने आने पर हत्या कर देते हैं ? पंजाब का खालिस्तानी आंदोलन याद आता है l सिख और हिंदू बस से उतार कर अलग-अलग खड़े कर दिए जाते थे और सिखों को छोड़ कर बाक़ी को लाइन से खड़े कर गोली मार देते थे
No comments:
Post a Comment