Thursday 6 June 2024

अब गांव भर की भौजाई मोदी

 दयानंद पांडेय 

भारतीय राजनीति के महाबली नरेंद्र दामोदर दास ने अभी शपथ भी नहीं ली है लेकिन उन पर चढ़ाई शुरू हो गई है। दुहरी-तिहरी चढ़ाई। क्या सहयोगी , क्या विपक्ष। हर कोई चढ़ाई पर आमादा है। आंख दिखा रहा है। आंख मिला रहा है। नरेंद्र मोदी की हालत गांव के उस ग़रीब की लुगाई जैसी हो गई है , जो अब गांव भर की भौजाई है। भौजाई की इस दुर्गति को देखते हुए एक सवाल पूछने का मन हो रहा है कि नरेंद्र मोदी की नई सरकार की आयु कितनी है ? पूछना इस लिए लाजिम है कि दस बरस बाद सही भारत को मिलीजुली सरकार फिर मिल गई है। विशुद्ध मिलीजुली सरकार। गो कि हमारे मित्र और भोजपुरी के अमर गायक बालेश्वर एक समय गाते थे ‘दुश्मन मिलै सबेरे लेकिन मतलबी यार न मिले / हिटलरशाही मिले मगर मिली-जुली सरकार न मिले / मरदा एक ही मिलै हिजड़ा कई हजार न मिलै।’ यहीं दुष्यंत कुमार का एक शेर याद आता है :

कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये

कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये

तो चार सौ सीट का सपना था। लक्ष्य था। कहां-कहां , कब और कैसे यह टूटा। राजनीतिक पंडित लोग लोग गुणा-भाग में लगे हुए हैं। पक्ष भी विपक्ष भी। घमासान मचा हुआ है। विपक्ष का भी सपना टूटा है। दुष्यंत फिर याद आ गए हैं : शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। लेकिन बुनियाद तो हिली नहीं। लक्ष्य तो नरेंद्र मोदी को हटाना था। हटा नहीं मोदी। चाहे जैसे भी हो नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधान मंत्री बन गए हैं। मनो बुनियाद बच गई है। 

सांप-सीढ़ी का खेल बन कर रह गई है राजनीति। राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। पर भाजपा लोकसभा के इस सत्र में बहुमत के 272 के जादुई आंकड़े को अब किसी सूरत नहीं छू सकती। छोटी पार्टियां भाजपा में विलय करने से रहीं। हां , नीतीश और नायडू की ब्लैकमेलिंग का घनत्व कम करने के कुछ उपाय अवश्य संभव हैं। होंगे भी देर-सवेर। जैसे कि इंडिया गठबंधन के कुछ धड़ों को तोड़फोड़ कर एन डी ए परिवार को बढ़ा कर बड़ा करना। लेकिन यह भी टेम्परेरी इंतज़ाम है। 272 का जादुई आंकड़ा न होने से बड़े-बड़े काम का जो वादा , डंका बजा कर महाबली कर चुके हैं , उन का क्या होगा। समय-बेसमय चौआ , छक्का मारने की जो आदत है , जो धुन और सनक है , उस का क्या होगा। क्या होगा उन तमाम सुधारों का , विकास कार्यों का , इंफ्रास्ट्रक्चर का , जो अपेक्षित हैं। एन आर सी , जनसंख्या नियंत्रण , मुसलमानों का आरक्षण ख़त्म करने का वायदा क्या पूरा होगा ? वन नेशन , वन इलेक्शन का क्या होगा ? 

अभी और अभी तो मदारी की रस्सी बंध चुकी है महाबली नरेंद्र दामोदर दास मोदी के लिए। देखना दिलचस्प होगा कि महाबली मदारी की भूमिका में इस रस्सी पर कैसे और कितनी देर चल सकते हैं। धराशाई होते हैं या अटल बिहारी वाजपेयी की तरह संतुलन बना कर पांच बरस निकाल लेते हैं। क्यों कि सरकार अभी बनी नहीं और नीतीश कुमार के के सी त्यागी अग्निवीर का त्याग खुल कर मांग रहे हैं। इशारों में कई और सारी लगाम लगा रहे हैं। विशेष दर्जा बिहार को भी चाहिए और आंध्र को भी। 

यह लगाम तोड़ पाएंगे , महाबली ? 

तिस पर 12 सांसद पर आधा दर्जन मंत्री पद की फरमाइश। उस में भी रेल सहित तमाम मलाईदार विभाग। उधर चंद्र बाबू , चंद्र खिलौना लैहों पर आमादा हैं। 16 सांसद पर आधा दर्जन मलाईदार विभाग वाले मंत्री पद और लोकसभा अध्यक्ष के पद की फरमाइश। जीतन राम माझी , अठावले जैसे एक-एक सीट वाले भी हौसला बांधे हुए हैं। अगर यह ख़बरें सच हैं तो महाबली का बल तो सारा छिन जाएगा। गृह , वित्त , रक्षा , कृषि ,परिवहन , रेल आदि तो महाबली किसी सहयोगी को देने से रहे। न लोकसभा अध्यक्ष पद। तमाम सुधार अपेक्षित हैं इन हलकों में। फिर इन सहयोगियों पर सारे सपने न्यौछावर हो जाएंगे तो मोदी के अपने भाजपाई सिपहसालार क्या करेंगे ? लोकसभा का सत्र शुरू नहीं हुआ है , कांग्रेस के मोहम्मद बिन तुग़लक़ ने शेयर की उछल-कूद पर जे पी सी की फरमाइश कर दी है। मतलब महफ़िल सजी नहीं और मुजरे पर मुजरे की फरमाइश शुरू ! 

सूर्योदय हुआ नहीं , सुबह हुई नहीं कि गरीब की लुगाई यानी गांव भर की भौजाई की सांसत शुरू। 

गांव में मैं ने देखा है कि तमाम मुश्किलों के बावजूद गरीब की लुगाई यानी गांव भर की भौजाई भी लेकिन सम्मान सहित जीने की जुगत लगा लेती है। गरीबी में अपना आन और अना बचा कर रख लेती है। सारे शोहदों की सनक शांति से उतार कर अपना शील बचा लेती है। फिर यह महाबली नरेंद्र दामोदर दास मोदी तो इवेंट मैनेजर ठहरे। डिप्लोमेट ठहरे। अहमदाबादी व्यापारी ठहरे। 

कांग्रेस के मोहम्मद बिन तुग़लक़ से तो निपटना आसान है। वह तो बैटरी वाला खिलौना हैं। जितनी चाभी भरी वामियों ने उतना चले खिलौना वाली बात है। लेकिन यह सुशासन बाबू और नायडू बाबू की ब्लैकमेलिंग ? यह तो मुंबई में मुसलसल बरसात की तरह जारी रहने वाली है। यह फरमाइश पूरी तो वह फरमाइश। 272 का जादुई आंकड़ा होता तो यही लोग समर्पित सहयोगी होते। पर जैसे रखैलें होती हैं न , न जीने देती हैं , न मरने देती हैं। सुकून भर सांस नहीं लेने देतीं। बहुमत न होने पर सहयोगी पार्टियां सत्ता के सरदार के साथ वही सुलूक़ करने की सनक पर सवार रहती हैं। एक समय नरसिंहा राव तो बिना किसी सहयोगी दल के अल्पमत की सरकार बड़े ठाट से पांच साल चला ले गए थे। लेकिन चरण सिंह , अटल बिहारी वाजपेयी , विश्वनाथ प्रताप सिंह , चंद्रशेखर , देवगौड़ा , गुजराल , मनमोहन सिंह हर किसी सरकार की यही कहानी रही है। सहयोगी डिक्टेट करते रहे। पैरों में बेड़ियां डाले रहते। 370 , राम मंदिर आदि तमाम सवाल पर अटल बिहारी वाजपेयी तो अकसर लाचार हो कर कहते रहते थे कि हमारी बहुमत की सरकार नहीं है , मिलीजुली सरकार है , क्या करें ! 

मनमोहन सिंह सरकार के सहयोगी दलों ने तो जम कर भ्रष्टाचार और अनाचार किए। पर मनमोहन सिंह तो मूदें आँखि कतहुँ कोउ नाहीं। में ही दस बरस बिता ले गए। शेष लोग भी थोड़ा-थोड़ा। मनमोहन सिंह के लिए तो एक बड़ी आफत सोनिया गांधी भी थीं। सुपर प्राइम मिनिस्टर थीं। कोई राष्ट्राध्यक्ष आए तो सोनिया गांधी ही आगे बढ़ कर हाथ मिलाती थीं। स्वागत करती थीं। मनमोहन सिंह निठल्लों की तरह कठपुतली बने सोनिया गांधी के पीछे खड़े रहते थे। लोग मजा लेते हुए कहते फिरते थे कि मनमोहन सरकार इतनी अमीर सरकार है कि हाथ मिलाने के लिए भी एक रख रखा है। हां , देवगौड़ा ज़रूर एक बार जब बहुत परेशान हुए लालू प्रसाद यादव जैसे सहयोगी की ब्लैकमेलिंग से तो चारा घोटाले में लालू को बांध कर दुरुस्त कर दिया। सी बी आई इंक्वायरी करवा कर उन्हें रगड़ दिया। लालू अब इसी चारा घोटाले में बाक़ायदा सज़ायाफ्ता हैं। भूसी छूट गई है लालू प्रसाद यादव की। बीमारी के बहाने जेल से बाहर हैं। पर कब तक ? 

नीतीश कुमार पर तो कोई कुछ नहीं कर सकता। जातीय राजनीति और पलटी वह चाहे जितनी मारें , जैसे और जब मारें , भ्रष्टाचार का कोई दाग़ , कोई छींटा उन पर नहीं है। नायडू पर जांच की तलवार ज़रूर है। 

कई सारी कहानियां , कई सारे दृष्टांत हैं मिलीजुली सरकारों के। बीते दस बरस नरेंद्र मोदी ने भी मिलीजुली सरकार चलाई है। पर भाजपा अकेले स्पष्ट बहुमत में थी सो मोदी महाबली बन कर उपस्थित हुए। पर अब महाबली के पंख कट गए हैं। गगन को गाना कठिन हो गया है। 32 सीट कम पा कर ग़रीब की लुगाई बन गांव भर की भौजाई बने नरेंद्र दामोदर दास मोदी की यह कड़ी परीक्षा की घड़ी है। उन की तानाशाह की छवि अब चूर-चूर है। यह वही आदमी है जो एक सांस में किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सारे मंत्री बदल देता रहा है और पार्टी में कोई चूं नहीं बोल पाता था। समूचा प्रदेश जीत कर आए लोगों को घर बैठा देता था। केंद्र में , प्रदेश में ताश की तरह मंत्रिमंडल फेट देता था। अमरीका को चिढ़ा कर रूस से तेल ले लेता रहा है। अमरीका और चीन जैसे महाबलियों को पानी पिलाने वाला महाबली , इजराइल और फिलिस्तीन को एक साथ चाहने वाला मोदी , पाकिस्तान को घुटने के बल खड़ा कर कटोरा थमा देने वाले विश्व नेता को घर में ही घात मार कर लोगों ने रगड़ दिया है। कंबल ओढ़ा कर। 

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने वाला मोदी अयोध्या में ही मात खा गया है। देश में विकास की चहुंमुखी चांदनी खिलाने वाला , गरीबों के लिए बेशुमार कल्याणकारी योजनाएं फलीभूत करने वाला मोदी अब ख़ुद बहुत ग़रीब हो गया है। इन गरीबों का ही श्राप लग गया है। काशी में हज़ारो करोड़ की विकास योजना लाने वाला मोदी ख़ुद हारते-हारते बमुश्किल बचा है। ऐसे में क़ायदे से झोला उठा कर चल देना चाहिए था। अपमान का यह घूंट पीने से बेहतर था झोला उठा कर चल देना। जाने क्यों सहयोगी दलों का विष पीने को आतुर है यह महाबली। लगता है देश सेवा और देश को दुनिया के नक्शे में नंबर वन बनाने का नशा टूटा नहीं है अभी। बहुत मुमकिन है जल्दी है टूटे। अपमान कथा अभी शायद पूरी नहीं हुई है। हो सकता है जल्दी ही पूरी हो। क्यों कि इस देश के चुनाव के चक्के को विकास के आनबान शान की बयार नहीं , जाति की धरती , आरक्षण की हवा और मुसलमान का आसमान चाहिए। 


7 comments:

  1. अंतिम पैरा निःशब्द कर रहा है या विरक्त उदास कर रहा है या फिक्रमंद. बहुत कष्ट है..जो भूल गलती हुई है उसे समझते समझते बहुत बहुत देर हो जाएगी मेरे देशवासियों बहुत देर हो जाएगी..बाकी तो आने वाला समय बताएगा कि महाबली कितना अपमान झेल पाएगा l

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  2. मोदी अवश्य विजयी होंगे, अभी भी करोड़ों का विश्वास उनके साथ है

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  3. Modi hai....bhut tapasvi hai..unhe jo krna hai wo kr ke rhege...272 nhi aa paye to kya hua sarkaar to unki hi hai..wo nirash hone wale logo me se nhi hai ..aaj ke mahamanav hai...aap log dekhiyega..kaise wo is baar bhi vikas ki gati ko badate hai air indian culture ko aage le jate hai....mujhe naaz hai apne prime minister pr

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  4. लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि किसी के घमंड को ज्यादा टिकने नहीं देती आसान समय में तो कोई भी निर्णय ले सकता है कठिन समय में सफल राजनीति करना ही बड़ी बात है

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  5. Bahut sateek chitra khencha aapne aur saath saath elaaj bhi bata diya Modi ji ko Lalu verses Devgauda vala bahut sahi vishleshan aap ka aur ant me bahut badhiya bahut sundar lekh So nice

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  6. अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को छोड़ कर भाजपा ने दलबदलुओं पर भरोसा किया , सँघ को दरकिनार किया टिकटों में बदलाव नही किया तो यही परिणाम ही आना था सरकार मुश्किल से दो साल ही चलेगी

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  7. मोदी जी एक बहादुर योद्धा हैं और अपनें सभी सिपाहियो और विश्वसनीय साथियों के साथ जोरदार तरीके से सरकार को पांच साल तक अवश्य चलाएंगे इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। जय हिन्द जय भारत जय नमो🕉️🙏

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