Tuesday, 4 June 2024

जिस की पताका ऊपर फहराई

दयानंद पांडेय 


नरेंद्र मोदी की जीत को सैल्यूट कीजिए। ई वी एम की जीत को सैल्यूट कीजिए। लोकतंत्र की इस ख़ूबसूरती को भी सैल्यूट कीजिए कि लोग अपनी हार में भी जीत खोज ले रहे हैं। ख़ुशी में झूम रहे हैं। सैल्यूट कीजिए कि काशी में मोदी हारते-हारते बचे। इतना कुछ करने-कराने के बावजूद। पास ही रायबरेली में राहुल गांधी नरेंद्र मोदी से कहीं ज़्यादा मार्जिन से जीते। अमेठी में के एल शर्मा की जीत मोदी से अच्छी है। अमित शाह , शिवराज सिंह चौहान , नितिन गडकरी जैसे लोग लाखों की मार्जिन से रिकार्ड तोड़ते हुए जीते। लेकिन उन के नेता मोदी , जिन के नाम पर एन डी ए ने समूचा चुनाव लड़ा , वही अच्छी मार्जिन पाने के लिए तरस गए। 

आरक्षण भक्षण प्रेमी लोगों के आरक्षण खत्म हो जाने के भय की मार्केटिंग और साढ़े आठ हज़ार रुपए महीने की मुफ़्तख़ोरी की लालसा में लोगों ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को कुचल कर रख दिया। बंग्लादेशी और रोहिंगिया ने पश्चिम बंगाल में भाजपा को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भाजपा को कंगाल बना दिया। संदेशखाली कार्ड पिट गया। सारे अनुमान धराशाई हो गए। तो भी 2024 के इस लोकपर्व में आप भी उत्सव मनाइए और जानिए कि जीत कैसी भी हो , खंडित भी हो तो भी जीत लेकिन महत्वपूर्ण होती है। फिर भी जो आप कुछ नहीं समझ पा रहे हैं तो आप को कन्हैयालाल नंदन की यह कविता ज़रूर ध्यान में रख लेनी चाहिए। 

तुमने कहा मारो

और मैं मारने लगा 

तुम चक्र सुदर्शन लिए बैठे ही रहे और मैं हारने लगा

माना कि तुम मेरे योग और क्षेम का

भरपूर वहन करोगे

लेकिन ऐसा परलोक सुधार कर मैं क्या पाऊंगा

मैं तो तुम्हारे इस बेहूदा संसार में/ हारा हुआ ही कहलाऊंगा 

तुम्हें नहीं मालूम 

कि जब आमने सामने खड़ी कर दी जाती हैं सेनाएं 

तो योग और क्षेम नापने का तराजू 

सिर्फ़ एक होता है

कि कौन हुआ धराशायी

और कौन है 

जिस की पताका ऊपर फहराई 

योग और क्षेम के

ये पारलौकिक कवच मुझे मत पहनाओ

अगर हिम्मत है तो खुल कर सामने आओ 

और जैसे हमारी ज़िंदगी दांव पर लगी है

वैसे ही तुम भी लगाओ।

सो तमाम तकलीफ़ और मुग़ालते के बावजूद दिल थाम कर मान लीजिए। दिल कड़ा कर लीजिए। और  सारे इफ-बट के बावजूद मान लीजिए कि नरेंद्र मोदी अब तीसरी बार प्रधान मंत्री बनने जा रहे हैं। अपनी क़िस्मत के पट्टे में वह ऐसा लिखवा कर लाए हैं। अब सारी कसरत के बावजूद कोई इसे रोक नहीं सकता। पार्टी कार्यालय में आज के भाषण में मोदी ने अपनी पुरानी गारंटी वाली बातें दुहरा दी हैं। तीसरी अर्थव्यवस्था जैसी बातें उसी तेवर में दुहराईं जो चार सौ की गुहार में दुहराते थे। बड़े-बड़े काम करने का ऐलान भी किया। 

अलग बात है कि इंडिया गठबंधन के कुछ सूरमा भोपाली नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडू में अपनी सत्ता की भूख को मिटाने ख़ातिर मुंगेरीलाल का हसीन सपना देखने में लग गए हैं। गुड है यह भी। पर बिना यह सोचे कि तोड़-फोड़ का यह काम उन से बढ़िया अमित शाह करने के लिए परिचित हैं। सो क़ायदे से आगे के दिनों में इंडिया गठबंधन को इस तोड़-फोड़ से सतर्क रहना चाहिए। जो कि देर-सवेर होना ही होना है। अरुणाचल और उड़ीसा में भाजपा की सरकार बनना , आंध्र में एन डी ए की सरकार का बनना लोग क्यों भूल रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी वाली भाजपा जैसी नैतिकता और शुचिता अगर कोई मोदी वाली भाजपा में तलाश कर रहा है तो उसे अपनी इस नादानी पर तरस खानी चाहिए। 

हां , राहुल गांधी को अभी चाहिए कि अभी और दूध पिएं और खेलें-कूदें। उत्तर प्रदेश में जो भी फतेह है , वह अखिलेश यादव और उन के पी डी ए की फ़तेह है। आरक्षण भक्षण प्रेमी लोगों के आरक्षण खत्म हो जाने के भय की मार्केटिंग और साढ़े आठ हज़ार रुपए महीने की मुफ़्तख़ोरी की लालसा की फ़तेह है। राहुल गांधी या इंडिया गठबंधन की नहीं। अच्छा अगर नीतीश और नायडू इंडिया गठबंधन रातोरात ज्वाइन ही कर लेते हैं तो भी बहुमत के लिए 272 के हिसाब से बहुमत का शेष आंकड़ा कहां से ले आएंगे ? बाक़ी नैतिक हार का पहाड़ा पढ़ने पर कोई टैक्स नहीं लगता। न कोई फीस लगती है। 

नैतिकता और शुचिता वैसे भी आज की राजनीति की किसी भी पाठशाला में शेष है क्या ? सब के सब अनैतिक और लुटेरे हैं। 


3 comments:

  1. सटीक विश्लेषण

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  2. Dadda ek vishleshan kijye pura chunav par kya yogi vs shah bhi vajah rahi agniveer aaraksan mehngai ram mandir koi mudda nahi tha up m aur kya yogi k liye khatre ki ghanti h ye chunav ye yogi ka akhri cm period kya my humble request to you apke lekh se janna chata hu aap kya sochte h . Namaskar dadda

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  3. 🚩🚩🚩जय जय श्री राम 🚩🚩🚩

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