दयानंद पांडेय
वोटरों को बिजली , पानी मुफ्त देने की रिश्वत दे वोट लिया। किसान आंदोलन में शामिल दलालों को कुछ सुविधाएं मुफ्त दे कर दिल्ली में हिंसा और अराजकता की खिचड़ी पकाई। अब दिल्ली हाई कोर्ट के जज और उन के परिवारीजन को अशोका होटल में सौ कमरे का अस्पताल की रिश्वत दे कर उन का मुंह बंद करने की नाकाम कोशिश। अंधाधुंध विज्ञापन दे कर दिल्ली की मीडिया का मुंह बरसों से बंद कर रखा है। पिछले साल भी तब्लीग़ियों को शह दे कर कोरोना फैलाया था। मज़दूरों को दिल्ली से भगाया था। दंगाइयों को बचाया था। भगवान अरविंद केजरीवाल जैसी इतनी खल बुद्धि भी न किसी को दे।
बगुले के हंस बनने की कथा तो बहुत पढ़ी , सुनी और देखी है। पर गिद्ध भी हंस बनने की कोशिश करता है , यह कथा पहली बार कान सुन रहे हैं , आंख देख रही है। दो दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि आक्सीजन रोकने वाले को सूली पर चढ़ा देंगे। मी लार्ड अपने कहे को सच कर दीजिए। इस कमीने अरविंद केजरीवाल को कब फांसी पर चढ़ा रहे हैं ? सब कुछ तो साबित हो चुका है। हाई कोर्ट के आब्जर्वेशन में सब कुछ तो कह दिया गया है। इस कमीने केजरीवाल को फांसी चढ़ा कर कोविड की कमान केंद्र सरकार को सौंपने में देरी किस बात की है अब ?
कि दिल्ली के नागरिकों को ही कोरोना की फांसी लगती रहेगी। आखिर कब तक यह गिद्ध दिल्ली को जहन्नुम बनाता रहेगा और हंस बनने का स्वांग रचता रहेगा। इस गिद्ध पर इस का झाड़ू कब फिरेगा। गिद्ध और गिरगिट का ऐसा मिलाजुला कातिल चेहरा शकुनि और दुर्योधन का मिला जुला खल चरित्र भी है। यह अब पूरी तरह साफ़ है। मी लार्ड राजनीति के तराजू में यह सर्वदा जीतता रहेगा। अब आप खुद ही इसे गिद्ध कह रहे हैं। तो इस गिद्ध का इलाज कीजिए। इस का इंसाफ कीजिए। आप के पास सारे सुबूत हैं। कम से न्याय पालिका को खरीदने और हज़ारों लोगों की हत्या में इस के हाथ लाल हैं। का चुप साधि रहे बलवाना।
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