दयानंद पांडेय
पेंटिंग : अनुप्रिया |
काश कि कोई लड़की आए
आए और मुझ से लिपट कर
मुझे प्यार से चूम ले
ऐसे जैसे मेरी बेटी स्कूल से लौटते ही
अपना बैग पटक कर, दौड़ कर, मुझ से लिपट कर
मुझे चूम लेती है और आहिस्ता से बोलती है पापा !
मैं झूम-झूम जाता हूं उस के इस अबोध प्यार में
दुनिया के सारे सुख मेरे मन में समा जाते हैं
वह उस का निश्छल चूमना
एक अलौकिक सुख में डुबो देता है
लड़कियों को लड़की की तरह नहीं
बेटी की तरह देखिए
लड़कियां और सुंदर हो जाएंगी
आप की दुनिया और सुंदर हो जाएगी
इस लिए कि बेटियां दुनिया की सब से सुंदर नेमत हैं
इस लिए कि बेटियां मुकम्मल होती हैं
उन में कोई कमी नहीं होती
आप आती -जाती अपरिचित लड़कियों को
एक बार बेटी संबोधित कर के तो देखिए
बेटी की नज़र से देख कर तो देखिए
आप के भीतर हजारों फूल खिल जाएंगे
यह अनायास नहीं है कि
बेटियां अधेड़ हो कर भी
बेटियां बूढ़ी हो कर भी
पिता को मान देती हैं
जैसे जब वह नन्ही लाल चुन्नी की उम्र में मानती थीं
पिता को वैसे ही, उसी ललक से याद करती हैं
हर बेटी का वास्तविक हीरो
उन का पिता ही होता है पति या प्रेमी नहीं
बेटियां पिता को सर्वदा हीरो बनाए रहती हैं
पिता के न रहने पर भी
बेटियां पिता को अपने जीवन में सर्वदा बसाए रखती हैं
अपने हीरो को वह अपनी यादों में कभी मरने नहीं देतीं
पेंटिंग : अनुप्रिया |
काश कि मैं दुनिया की सारी बेटियों का पिता होता
यह मेरा अपना स्वार्थ है
क्यों कि बेटियां अनमोल होती हैं
बेटियां मां का सुख होती हैं
बेटियां फूल की तरह होती हैं
सिर माथे पर रखने के लिए
जिन्हें आप पांव के नीचे नहीं आने दे सकते
छोटी होने के बावजूद , बेटी होने के बावजूद
आप उस के पांव छू कर बेबात ख़ुश हो जाते हैं
किसी बच्चे की तरह
वह लोग अभागे होते हैं
जिन के बेटियां नहीं होतीं
जो बेटियों का सुख नहीं जानते
[ 24 मई , 2015 ]
ये भाव भीनी रचना एक पिता के स्नेह की सच्ची अनुभूति है l इसे पढ़कर हर बेटी का मन खुशी से भीग उठेगा l
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है।भावुक कर देने वाली।एक बेटी के लिए पिता और पिता के लिए बेटी का होना क्या मायने रखता है,इस भाव को सार्थक करती कविता!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है।भावुक कर देने वाली।एक बेटी के लिए पिता और पिता के लिए बेटी का होना क्या मायने रखता है,इस भाव को सार्थक करती कविता!
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअति सुंदर। आनंद दायक। ...आभार।
ReplyDeleteव्यक्ति अपने कर्म को पुत्र में देखता है और अपने अंदर के आदमी को अपनी बेटी में। यही कारण है की हरेक बेटी अपने पिता में हीरो देखती है।
ReplyDeleteव्यक्ति अपने कर्म को पुत्र में देखता है और अपने अंदर के आदमी को अपनी बेटी में। यही कारण है की हरेक बेटी अपने पिता में हीरो देखती है।
ReplyDeleteआपकी हर रचना दिल को छू जाती है। मन के आभा मंडल में अलौकिक प्रकाश बिखेर जाती है।
ReplyDeleteआपकी हर रचना दिल को छू जाती है। मन के आभा मंडल में अलौकिक प्रकाश बिखेर जाती है।
ReplyDeleteHeart Touching
ReplyDeleteश्रीमान आपके लेख की तारीफ करने के लिए शब्द नहीं मिलते, चरणस्पर्श
ReplyDeleteBahut khoob.nice line.
ReplyDeleteसपनों की साक्षात्कार
ReplyDeleteएक पिता का पुत्री के लिए अगाध स्नेह, बेटी रूप में अनमोल उपहार एवं पुत्री के लिए पिता सदैव प्यार के साथ ही सम्मान का सूचक है.... आपकी यह रचना बहुत मार्मिक, हृदयस्पर्शी व प्रेम के सर्वोच्च रूप को प्रदर्शित करती है. धन्यवाद
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