साहित्य अकादमी के साठ साल
साहित्य अकादमी ने अपने साठ साल का होने पर दिल्ली में बीते 10 मार्च से 15 मार्च तक साहित्योत्सव, 2014 का आयोजन किया। देश भर से विभिन्न भारतीय भाषाओं के रचनाका्रों ने इस में शिरकत की। रचना पाठ और व्याख्यान के कई-कई सत्र हुए। इसी साहित्योत्सव में 15 मार्च को मेघदूत परिसर, रवींद्र भवन में उत्तर-पूर्व एवं क्षेत्रीय लेखक सम्मिलन में आयोजित कहानी-पाठ में मैं ने भी अपनी एक कहानी का पाठ किया। कहानी का शीर्षक है सपने में सिनेमा। यह मेरी बिलकुल नई कहानी है। और कि अनूठी प्रेम कहानी है। जिसे चार दिन पहले ही लिखा है। बहुत दिनों बाद।
हालां कि दो उपन्यास और चार-पांच कहानियां एक साथ मन में चल रहे हैं। बहुत दिनों से। लेकिन सपना बन कर। मन ही मन लिख रहा हूं। कलम से हो कर कागज़ पर नहीं। यह बताते हुए ज़रा संकोच भी होता है कि कोई तीन साल बाद मुझ से कोई कहानी लिखना हो पाया है। इस नई कहानी के पहले फ़ेसबुक में फंसे चेहरे लिखी थी। इस के बाद एक और कहानी विपश्यना में विलाप कुछ समय पहले लिखना शुरु किया था, पर अभी भी यह कहानी पूरी नहीं हो पाई है। जाने क्यों। कोशिश है कि जल्दी ही उसे भी पूरा करुं। इस बीच छिटपुट लेखों और टिप्पणियों के अलावा कुछ रचनात्मक नहीं लिख पाने का बहुत अफ़सोस भी है। इस गहरे अफ़सोस को आप मित्रों के साथ बड़ी शर्मिंदगी के साथ शेयर कर रहा हूं। बहरहाल सपने में सिनेमा मेरी नई -नवेली कहानी है। सरोकारनामा पर जल्दी ही यह कहानी आप मित्रों को पढ़वाऊंगा।
खैर, इस कहानी पाठ सत्र की अध्यक्षता चंद्र त्रिखा ने की। सत्र समापन पर त्रिखा जी का संबोधन सोने पर सुहागा था। असमिया से शिवानंद काकती, अंगरेजी से राहुल सैनी, हिंदी से मैं खुद था और मणिपुरी से राजकुमा्री हेमवती देवी ने कहानी-पाठ किया। राजकुमारी हेमवती देवी का कहानी पाठ अदभुत था। संवेदना में भीगा ऐसा कहानी पाठ मैं ने अभी तक नहीं सुना। इस मौके पर विभिन्न भाषा के बहुत सारे रचनाकार मित्रो से भेंट भी सुखद थी। पेश है इस मौके पर मेरे कहानी पाठ की कुछ फ़ोटो। रंगों के महापर्व होली की अनंत और अशेष शुभकामनाएं !
हालां कि दो उपन्यास और चार-पांच कहानियां एक साथ मन में चल रहे हैं। बहुत दिनों से। लेकिन सपना बन कर। मन ही मन लिख रहा हूं। कलम से हो कर कागज़ पर नहीं। यह बताते हुए ज़रा संकोच भी होता है कि कोई तीन साल बाद मुझ से कोई कहानी लिखना हो पाया है। इस नई कहानी के पहले फ़ेसबुक में फंसे चेहरे लिखी थी। इस के बाद एक और कहानी विपश्यना में विलाप कुछ समय पहले लिखना शुरु किया था, पर अभी भी यह कहानी पूरी नहीं हो पाई है। जाने क्यों। कोशिश है कि जल्दी ही उसे भी पूरा करुं। इस बीच छिटपुट लेखों और टिप्पणियों के अलावा कुछ रचनात्मक नहीं लिख पाने का बहुत अफ़सोस भी है। इस गहरे अफ़सोस को आप मित्रों के साथ बड़ी शर्मिंदगी के साथ शेयर कर रहा हूं। बहरहाल सपने में सिनेमा मेरी नई -नवेली कहानी है। सरोकारनामा पर जल्दी ही यह कहानी आप मित्रों को पढ़वाऊंगा।
खैर, इस कहानी पाठ सत्र की अध्यक्षता चंद्र त्रिखा ने की। सत्र समापन पर त्रिखा जी का संबोधन सोने पर सुहागा था। असमिया से शिवानंद काकती, अंगरेजी से राहुल सैनी, हिंदी से मैं खुद था और मणिपुरी से राजकुमा्री हेमवती देवी ने कहानी-पाठ किया। राजकुमारी हेमवती देवी का कहानी पाठ अदभुत था। संवेदना में भीगा ऐसा कहानी पाठ मैं ने अभी तक नहीं सुना। इस मौके पर विभिन्न भाषा के बहुत सारे रचनाकार मित्रो से भेंट भी सुखद थी। पेश है इस मौके पर मेरे कहानी पाठ की कुछ फ़ोटो। रंगों के महापर्व होली की अनंत और अशेष शुभकामनाएं !
मणिपुरी कहानीकार राजकुमारी हेमवती देवी , मैं खुद और अंगरेजी कहानीकार राहुल सैनी
छात्र जीवन से ही मुझे निरंतर बढ़ावा देने और मेरा लिखा छाप-छाप कर मुझे आगे
बढ़ाने वाले, मुझे स्नेह करने वाले मेरे प्रिय कवि मंगलेश डबराल और हम
साहित्य अकादमी के साठ साल पूरा होने पर आयोजित साहित्योत्सव, २०१४ दिल्ली
में। मंगलेश जी के साथ जनसत्ता, दिल्ली में जनसत्ता की पहली टीम के रुप में
काम करने का सुखद संयोग भी मिला बाद के दिनों में।
इस साहित्योत्सव के बारे में पढ़कर बहुत खुशी हुई l नई कहानी पाठन पर आपको बहुत बधाई l
ReplyDeleteजै जै सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
बहुत बधाई !
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteGreat :)
DeleteGood Going !
आप कुछ भी पढ़ें- लिखें सब महत्त्वपूर्ण होता है, यह मेरा अनुभव है मों औरों की नहीं जानता----
ReplyDeleteबहुत बधाई .
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