[कहानी-संग्रह]
-अब की पुस्तक मेले में मेरी तीन नई किताबें-
१-ग्यारह पारिवारिक कहानियां
[कहानी-संग्रह]
२-सात प्रेम कहानियां
[कहानी-संग्रह]
३-सिनेमा-सिनेमा
[सिनेमा से संबंधित लेखों और इंटरव्यू का संग्रह]
यह सभी किताबें जनवाणी प्रकाशन,दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं।
दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित पुस्तक मेले में जनवाणी प्रकाशन,दिल्ली के स्टाल पर
आप को यह किताबें मिल सकती हैं।
अकथ कहानी प्रेम की। तो कबीर यह भी कह गए हैं कि ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो
पंडित होय ! कबीर के जीवन में दरअसल प्रेम बहुत था। जिस को अद्वितीय प्रेम
कह सकते हैं। उन की जिंदगी का ही एक वाकया है। कबीर का विवाह हुआ। पहली रात
जब कबीर मिले पत्नी से तो पूछा कि क्या तुम किसी से प्रेम करती हो? पत्नी
भी उन की ही तरह सहज और सरल थीं। दिल की साफ। सो बता दिया कि हां। कबीर ने
पूछा कि कौन है वह। तो बताया पत्नी ने कि मायके में पड़ोस का एक लड़का है।
कबीर बोले फिर चलो तुरंत तुम्हें मैं उस के पास ले चलता हूं और उसे सौंप
देता हूं। पत्नी बोलीं, तुम्हारी मां नाराज हो जाएंगी। तो कबीर बोले, नहीं
होंगी। और जो होंगी भी तो मैं उन्हें समझा लूंगा। पत्नी बोलीं, लेकिन बाहर
तो बहुत बारिश हो रही है। भींज जाएंगे। कबीर ने कहा होने दो बारिश। भींज
लेंगे। पत्नी बोलीं, बारिश बंद हो जाने दो, सुबह चले चलेंगे। कबीर बोले
नहीं फिर तो लोग कहेंगे कि रात बिता कर आई है। सो अभी चलो ! पत्नी बोलीं,
और अगर उस लड़के ने नहीं स्वीकार किया मुझे तो? कबीर बोले तो क्या हुआ, मैं
तो हूं न ! तुम्हें वापस लौटा लाऊंगा। पत्नी बोलीं, अरे, इतना परेम तो वह
लड़का भी मुझे नहीं करता। और कहा कि मुझे कहीं नहीं जाना, तुम्हारे साथ ही
रहना है। कबीर और उन की पत्नी जैसा यह निश्छल प्रेम अब बिसरता जा रहा है। यह
अकथ कहानी अब विलुप्त होती दिखती है। आई लव यू का उद्वेग अब प्यार का नित
नया व्याकरण, नित नया बिरवा रचता मिलता है। प्यार बिखरता जाता है। प्यार की
यह नदी अब उस निश्छल वेग को अपने आगोश में कम ही लेती है। क्यों कि प्यार
भी अब शर्तों और सुविधाओं पर निसार होने लगा है। गणित उस का गड़बड़ा गया है।
प्यार की केमेस्ट्री में देह की फिजिक्स अब हिलोरें मारती है और उस पर हावी
हो जाती है। लेकिन बावजूद इस सब के प्यार का प्याला पीने वाले फिर भी
कम नहीं हैं, असंख्य हैं, सर्वदा रहेंगे। क्यों कि प्यार तो अमिट है।
प्यार की इन्हीं अमिट कथाओं को इस संग्रह में संग्रहित कुछ कहानियां बांच
रही हैं। इन कहानियों की तासीर और व्यौरे अलग-अलग हैं जरूर लेकिन आंच और
प्याला एक ही है। वह है प्यार। मैत्रेयी की मुश्किलें कहानी का ताप और उस
की तपिश उसे हिंदी की अनन्य कहानी बना देती है। बर्फ में फंसी मछली की
आकुलता प्रेम के हाइटेक होने का एक नया बिरवा रचती है। एक जीनियस की
विवादास्पद मौत में प्रेम का एक नया रस और आस्वाद है जो अवैध संबंधों की आग
में दहकता और भस्म होता मिलता है। फोन पर फ़्लर्ट आज के जीवन और प्रेम का
दूसरा सच है। प्रेम कैसे देह की फितरत में तब्दील हुआ जाता है, इन कहानियों
का एक प्रस्थान बिंदु यह भी है। मैत्रेयी की मुश्किलें, बर्फ़ में फंसी
मछली, एक जीनियस की विवादास्पद मौत और फ़ोन पर फ़्लर्ट कहानियां अगर एडल्ट
प्रेम में नहाई कहानियां हैं तो सुंदर भ्रम, वक्रता और प्रतिनायक मैं जैसी
कहानियां टीनएज प्रेम के पाग में पगलाई, अकुलाई और अफनाई कहानियां है। इन
कहानियों की मांस-मज्जा में प्रेम ऐसे लिपटा मिलता है जैसे किसी लान में
कोई गोल-मटोल अकेला खरगोश। जैसे कोई फुदकती गौरैया, जैसे कोई फुदकती
गिलहरी। जीवन में परेम का यह अकेला खरगोश कैसे किसी की जिंदगी में एक
अनिर्वचनीय सुख दे कर उसे कैसे तो उथल-पुथल में डाल देता है, तो भी यह किसी
फुदकती गौरैया या गिलहरी की सी खुशी और चहक किसी भी प्रेम की जैसे
अनिवार्यता बन गया है। प्रेम की पवित्रता फिर भी जीवन में शेष है। प्रेम की
यह पवित्राता ही उसे दुनिया में सर्वोपरि बनाती है। कृष्ण बिहारी नूर का
एक शेर मौजू है यहां:
मैं तो चुपचाप तेरी याद मैं बैठा था
घर के लोग कहते हैं, सारा घर महकता था।
जीवन में प्रेम इसी पवित्रता के साथ सुवासित रहे। ऐसे ही चहकता, महकता और बहकता रहे। सात जन्मों के फेरे की तरह। तो क्या बात है !
मैं तो चुपचाप तेरी याद मैं बैठा था
घर के लोग कहते हैं, सारा घर महकता था।
जीवन में प्रेम इसी पवित्रता के साथ सुवासित रहे। ऐसे ही चहकता, महकता और बहकता रहे। सात जन्मों के फेरे की तरह। तो क्या बात है !
बधाई दयानंद जी ! यह तो एक उपलब्धि है । तीन किताबें एक साथ!
ReplyDeleteइला
बधाई बहुत- बहुत , जाउंगी तो जरुर लाऊँगी !
ReplyDeleteबधाई व शुभकामनायें !
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