Tuesday, 31 March 2020

मरने के लिए मस्जिद से बेहतर कोई जगह नहीं है तो फिर देश लड़ चुका कोरोना से , आप पहुंचिए मस्जिद


दुनिया लड़ रही है कोरोना से। इस्लाम लड़ रहा है मनुष्यता से। इस का श्रेष्ठ उदाहरण दिल्ली के निजामुद्दीन में मरकज में इकट्ठा हुए तबलीगी जमात के हज़ारों लोग , देश भर के 19 राज्यों में अब फ़ैल जाना है। तुर्रा यह कि एक मूर्ख मौलाना बड़ी हेकड़ी से बता रहा है कि निजामुद्दीन से कोरोना पॉजिटव इस लिए निकल रहे हैं कि यहां जांच हो रही है। जांच न हो , तो नहीं निकलेंगे। सोचिए कि इस मौलाना का दिमाग कितना ख़राब है। दिक्क्त यह भी एक बड़ी है कि अपने को सेक्यूलर बताने वाले कुछ कुत्ते लेखक और पत्रकार तबलीगी जमात के इन कमीनों की पैरवी में कुतर्क का जखीरा ले कर खुल कर खेलने लगे हैं। रैबीज से भी ज़्यादा खतरनाक बन गए हैं यह जहरीले लेखक और पत्रकार। मुस्लिम समाज के लोगों को आत्म हत्या के लिए उकसाने वाले सेक्यूलर जमात के यह लोग , तबलीगी जमात से भी ज़्यादा खतरनाक हैं। यह दोनों जमात मनुष्यता की अपराधी है। इन का कुतर्क यह है कि मज़दूरों की भीड़ से कोरोना नहीं फैला। राशन की दुकानों पर भीड़ से कोरोना नहीं फैला। वैष्णो देवी में जो लोग थे , वह फंसे थे लेकिन निजामुद्दीन में लोगों को छुपाया गया बताया जा रहा है। 

गज़ब कुतर्क है यह भी। सोचिए कि मक्का बंद हो गया , वेटिकन बंद हो गया। बड़े-बड़े मंदिर बंद हो गए। हिंदू बहुल इस देश के लोग नवरात्र में भी , भूल कर भी मंदिर का रुख नहीं कर रहे। लेकिन हमारे देश की मस्जिदों से ऐलान हो रहा है कि अगर कोरोना से मरना ही है तो मस्जिद से बेहतर जगह कोई और नहीं हो सकती। मोदी के आह्वान पर लॉक डाऊन को फेल करने का भूत सवार है इन के दिलो-दिमाग पर। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस के विवरण एक चैनल पर परोसते हुए बताया है कि इस तबलीग का मुखिया के भाषण यू ट्यूब पर अस्सी हज़ार से ज़्यादा लोग सुन चुके हैं। वास्तविकता यह है कि भारत का मुस्लिम समाज भारी अंधविश्वास में फंस चुका है। मुस्लिम समाज के एक से एक पढ़े-लिखे , अपने को प्रगतिशील बताने की बीमारी में धुत्त लोग भी इस अंधविश्वास की कालिख में अपना दिल-दिमाग और चेहरा रंगे हुए हैं। सेक्यूलरिज्म का लबादा ओढ़े यह लोग अभी तक हिंदू-मुसलमान की कबड्डी खेल कर अपना कोढ़ छुपाने के लिए सारी तोहमत भाजपा और संघियों पर लगाते रहे हैं। फिर जिस तरह सी ए ए को ले कर जिस तरह शहर दर शहर शाहीन बाग़ खड़े किए , जामिया मिलिया की हिंसा को जस्टीफाई किया। दिल्ली दंगों को अंजाम दिया। वह हैरतंगेज था। वारिस पठान जैसा जहरीला व्यक्ति खुलेआम कहता फिरा कि 15 करोड़ लोग , 100 करोड़ पर भारी पड़ेंगे। लोगों ने तब इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन अब दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में तबलीग कांड को देख कर लगता है कि निःसंदेह , वारिस पठान ठीक ही कहा था। 

मजहब की आड़ में मनबढ़ तो यह लोग पहले से थे पर इस सब से इन का मनोबल इतना बढ़ गया कि अब कोरोना को ले कर निजामुद्दीन का कोढ़ हमारे सामने है। और यह निजामुद्दीन ही नहीं , जगह-जगह की मस्जिदों से ऐसी खबरें निरंतर मिल रही हैं। मुश्किल यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद तमाम मौलाना , मौलवी और इस्लामिक स्कालर कहे जाने वाले लोग अभी भी इस्लाम की आड़ में अपनी गलती को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। बल्कि अभी भी किसी भी कार्रवाई को वह इस्लाम के खिलाफ कार्रवाई का रंग देने पर आमादा हैं। कोरोना से बचने का नहीं , इस्लाम पर हमला , इस्लाम को बचाने का कुतर्क ले कर आज भी खड़े हैं। सेक्यूलर लबादा ओढ़े कुछ कुत्ते इन की हिफाजत में पूरी मुस्तैदी से खड़े हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण कांग्रेस , सपा , बसपा , ममता जैसे लोग ही नहीं , भाजपा इन से ज़्यादा बढ़-चढ़ कर कर रही है। कोरोना की विश्वव्यापी आफत को देखते हुए यह पूरी तरह मनुष्य विरोधी है। 

कोरोना जैसी महामारी से लड़ने की राह में जो भी सेक्यूलर , जो भी कम्यूनल , जिस भी धर्म , जिस भी जाति का खड़ा मिले उस के खिलाफ बिना रियायत कड़ी कार्रवाई करने का समय आ गया है। नहीं किया गया ऐसा तो कोरोना की महामारी की चपेट में आ कर देश अनगिन लाशों से पट जाएगा। रही बात सरकार की तो धृतराष्ट्र बने अमित शाह से दिल्ली त्राहिमाम कर गई है। इस लिए कि दिल्ली पुलिस उन की कमान में आ कर निकम्मी और लाचार हो गई है। पहले दिल्ली ने शाहीनबाग झेला। फिर सीलमपुर , जाफराबाद आदि। फिर भयानक दंगे। और अब कोरोना का निजामुद्दीन कांड। दिल्ली कराह रही है , गृह मंत्री अमित शाह के इस निजाम से। अमित शाह को अपनी विफलता को देखते हुए इस्तीफ़ा देने की गलती कर देनी चाहिए। उन की तमाम गलतियों से छोटी गलती होगी यह। 

2 comments:

  1. इस समय सतर्कता हर किसी के लिए ज़रूरी है.

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  2. सटीक, निर्भीक, चेतावनी देती पोस्ट ! साधुवाद

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