Friday, 12 October 2018

तारकेश्वरी सिनहा , नेहरु और न्यूड पेंटिंग


तारकेश्वरी सिनहा की याद है आप को ? वही बिहार वाली । बोल्ड एंड व्यूटीफुल । गज़ब की पर्लियामेंटेरियन थीं । उन की शेरो-शायरी से उन के भाषण ही नहीं , संसद भी गुंजायमान रहती थी । उन की शेरो शायरी , उन की सुंदरता , उन की दिलफरेब अदाएं , तिस पर उन का युवा होना चहुँ ओर चर्चा में रहता था । पंडित नेहरु के समय जब वह पहली बार सांसद चुन कर आईं तो एक दिन नेहरु के पी ए मथाई ने उन को फोन कर बताया कि पंडित जी आप से मिलना चाहते हैं । तारकेश्वरी बहुत खुश हुईं । तब वह 26 साल की थीं। तय समय पर वह पहुंचीं भी पंडित नेहरु से मिलने । लेकिन मथाई ने बहुत देर तक अपने पास ही बिठाए रखा और इधर-उधर की बातें करते रहे । मथाई की बातों से ऊब कर तारकेश्वरी ने पूछा कि आखिर कब मिलेंगे पंडित जी । मथाई ने बताया जल्दी ही । फिर कहा कि आइए तब तक आप को कुछ पेंटिंग दिखाते हैं। 

पेंटिंग रुम में जब मथाई के साथ वह पहुंचीं तो वहां बहुत सारी न्यूड पेंटिंग भी दीवार पर उपस्थित थीं , जिन्हें मथाई उन्हें दिखाने लगे । तारकेश्वरी सिनहा सहसा न्यूड पेंटिंग देख कर असहज हो गईं । थोड़ी देर बाद जब वह पंडित नेहरु से मिलीं तो उन्हों ने सकुचाते हुए , मथाई की शिकायत करते हुए बताया कि यह तो आज मुझे न्यूड पेंटिंग दिखा रहे थे । यह सुन कर नेहरु मुस्कुरा कर रह गए । नेहरु ने साथ उपस्थित मथाई से इस बाबत एक शब्द भी नहीं कहा । एक समय धर्मयुग में लिखे अपने एक लेख में तारकेश्वरी सिनहा ने यह विवरण विस्तार से दर्ज करते हुए यह भी दर्ज किया है कि मथाई ने नेहरु की ब्रीफिंग के मुताबिक ही उन्हें न्यूड पेंटिंग दिखाने की हिमाकत की थी । यह न्यूड पेंटिंग दरअसल थर्मामीटर था , जिस से नेहरु तारकेश्वरी का मिजाज और खुलापन नाप कर अपने करीब लाने के लिए आजमा रहे थे । 

तारकेश्वरी ने उस लेख में तो यह बात नहीं दर्ज की है पर समय की दीवार पर यह बात दर्ज है कि वह नेहरु की करीबी बन गई थीं । दिलचस्प यह भी है कि तारकेश्वरी ने यह बात धर्मयुग में छपे लेख में तब लिखी जब नेहरु नहीं रहे थे । नेहरू मंत्रिमंडल में रही तारकेश्वरी सिनहा मोरार जी देसाई से भी जुड़ी रहीं थीं ।  मोरार जी के चक्कर में एक बार तारकेश्वरी ने नींद की गोलियां खा कर आत्महत्या की कोशिश भी की थी ।  मोरार जी ने किसी तरह उन्हें बचा लिया । लोहिया और फिरोज गांधी के साथ भी तारकेश्वरी सिनहा अटैच रही थीं। 

तो क्या यह भी मी टू था ?

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