चुनाव जीत कर सरकार बनाते ही पहला राऊंड तो नीतीश कुमार आज हार गए हैं तेजस्वी यादव को उप मुख्य मंत्री बना कर। हां लालू प्रसाद यादव ज़रूर जीत गए हैं । उन का भ्रष्टाचार , जातिवाद और उन का परिवारवाद जीत गया है । आगे भी लालू के जीतते रहने के आसार हैं और नीतीश के हारने के । नीतीश कुमार को अपनी इस बेवकूफी की हार से बचना चाहिए था । हर संभव बचने की कोशिश करनी चाहिए थी । जो उन्हों ने नहीं की । ठीक है जनादेश का सम्मान होना चाहिए पर क्या इस तरह ?
इसी तरह पटना में आज नरेंद्र मोदी विरोधी लोग इकट्ठे हुए यह कहना ग़लत है। सच यह है
कि आज पटना में नरेंद्र मोदी से सभी डरे हुए लोग इकट्ठे हुए। इसी लिए
नरेंद्र मोदी को अब सचमुच डर कर नहीं रहना चाहिए। क्यों कि इस में से
ज़्यादातर चोर और बेईमान लोग थे । परस्पर अंतर्विरोधी लोग थे । शिव सेना ,
वामपंथी और ममता बनर्जी का एक साथ एक मंच पर होना क्या बताता है ? शरद पावर
, लालू प्रसाद जैसे बेईमान , चोर और अरविंद केजरीवाल जैसे ईमानदार का एक
साथ , एक मंच पर होना । और तो और देवगौड़ा जिन्हों ने लालू को चारा घोटाला
में बंद करवा कर जेल भेजा था , वह भी लालू के सैल्यूट में खड़े थे। अकाली के
बादल भी । आपस में लड़-लड़ कर मर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा । इन
डरे हुए लोगों में एक कमी थी तो बस लाल कृष्ण आडवाणी और शत्रुघन सिनहा की
।
शेर और मेमने एक साथ एक घाट पर पानी पीने लगें क्या भारतीय राजनीति में यह
मुमकिन है ? राजनीति के जंगल में रहें यह तो मुमकिन है पर सत्ता के घाट पर ?
नामुमकिन । नीतीश कुमार ख़ुद इंजीनियर हैं पर नौवीं पास तेजस्वी यादव बतौर
उप मुख्य मंत्री उन के नंबर दो हैं । उन की कैबिनेट के एक और लाल तेज
प्रताप यादव भले बारहवीं पास हों पर अपेक्षित और उपेक्षित का फर्क नहीं
जानते । शपथ में राज्यपाल को इसे ठीक करवाना पड़ा । इन दोनों के पिता सिर्फ़
चारा और जाति जानते हैं ।
नीतीश कुमार अपने सुशासन के तंत्र में इन और इन जैसे और माननीय लोगों को
कैसे नियोजित और संतुलित करेंगे यह समय की कसौटी पर है । पर यह तो तय है कि
नरेंद्र मोदी से कहीं ज़्यादा कड़ी परीक्षा और चुनौती नीतीश कुमार की है ।
क्यों कि उन की कैबिनेट में एक से एक बाजीगर हैं । एक बार मेढक संभालना
आसान है , लेकिन इन बाजीगरों को संभालना कठिन है । जंगल राज की दस्तक हो
चुकी है । अपहरण और हत्याओं की हालिया घटनाओं के मद्दे नज़र नीतीश के लिए
बहुत शुभ नहीं है । नीतीश कुमार , लालू प्रसाद यादव और उन से उपजी
चुनौतियों को अगर सचमुच मैनेज कर लेते हैं तब तो पक्का वह आगामी संसदीय
चुनाव में नरेंद्र मोदी के लिए कड़ी चुनौती साबित होंगे । लेकिन अभी तो वह
नरेंद्र मोदी से डरे हुए लोगों से घिरे हुए हीरो हैं । इन डरे हुए लोगों को
अपनी ताकत में बदल पाना और उन का सकारात्मक उपयोग नीतीश कुमार की परीक्षा
है । क्यों कि हर बार मोहन भागवत का आरक्षण संबंधी बयान उन के लिए लाटरी बन
कर उपस्थित हो यह ज़रूरी नहीं है । दाल और प्याज की क़ीमत हर बार बढ़ी हुई तो
नहीं होगी ।
डर अब यही है कि मोदी की हवा निकालने के फेर में इन हारे और
डरे हुए लोगों से घिरे नीतीश कुमार कहीं अपनी हवा न निकाल बैठें । नीतीश
कुमार के लिए फ़िलहाल बहुत कठिन है डगर पनघट की। ईश्वर उन की मदद करे और वह
सफल हों , मोदी की नाक में दम करने की अपनी मुहिम में । इस से भी ज़्यादा यह
कि लालू प्रसाद यादव और उन के कुनबे से उन का दोस्ताना भी कामयाब रहे ।
बताईए भला उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्य मंत्री और बिहार में तेजस्वी यादव उप मुख्य मंत्री और तेज प्रसाद यादव मंत्री । फिर भी इन के पिता मुलायम और लालू लोग कहते हैं कि वह समाजवादी लोग हैं । अरे बेशर्मों डूब मरने के लिए जाति और भ्रष्टाचार क्या कम पड़ गया था ? जो परिवारवाद का इतना तगड़ा पहाड़ा भी जनता को पढ़ाने लगे । लोहिया और जे पी को इतना बड़ा जूता मारना भी ज़रूरी है ? इतना उपेक्षित कर दिया इन लोगों को ?
बताईए भला उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव मुख्य मंत्री और बिहार में तेजस्वी यादव उप मुख्य मंत्री और तेज प्रसाद यादव मंत्री । फिर भी इन के पिता मुलायम और लालू लोग कहते हैं कि वह समाजवादी लोग हैं । अरे बेशर्मों डूब मरने के लिए जाति और भ्रष्टाचार क्या कम पड़ गया था ? जो परिवारवाद का इतना तगड़ा पहाड़ा भी जनता को पढ़ाने लगे । लोहिया और जे पी को इतना बड़ा जूता मारना भी ज़रूरी है ? इतना उपेक्षित कर दिया इन लोगों को ?
No offense but Hamre gorakhpur me ek badi aasan si line hoti thi aisi situation pe jo usually university ke netao ko dekhkar bade bujurg kaha karte the ... - " aa maaruyo goli bh**di walo ko... ;) "
ReplyDeleteBhaut acha likha hai Pandey ji
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