दयानंद पांडेय
फ़ेसबुक के कुछ कुंठित दरबारियों की दीवार पर पूर्व सी ए जी विनोद राय का एक माफीनामा बहुत घूम रहा है। इस में से ज़्यादातर कांग्रेस की पैरवी और खिदमत में लगे बीमार वामपंथी हैं। जो कांग्रेस की चाकरी में क्रांति के नाम पर प्रतिक्रांति का बिगुल बजाते फिरते हैं। इन कुंठित लोगों को यह नहीं मालूम कि अवमानना और मानहानि के मामलों में अदालत में बिना शर्त माफ़ी मांगने का ही चलन है। अलग बात है कि जस्टिस कर्णन तो अवमानना मामले में माफ़ी मांगने के बावजूद छ महीने के लिए जेल भेजे गए थे। अभी कुछ ही समय पहले इन वामपंथियों के वर्तमान पिता जी राहुल गांधी ने राफेल मसले पर सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त लिखित माफी मांगी थी। राहुल गांधी के एक नहीं अनेक लिखित माफीनामे विभिन्न अदालतों में मौजूद हैं। जो इन्हीं तीन-चार सालों में राहुल गांधी ने मांगे हैं।
अच्छा विनोद राय ने माफी मांगी है पूर्व शिव सैनिक और वर्तमान कांग्रेसी संजय निरुपम से। संजय निरुपम ने विनोद राय के खिलाफ मुकदमा किया था मानहानि का। विनोद राय ने किताब में लिखा है कि संजय निरुपम ने उन पर दबाव डाला था कि मनमोहन सिंह का नाम वह टू जी स्कैम मामले में नहीं लिखें। संजय निरुपम का पक्ष है कि उन्हों ने ऐसा कोई दबाव विनोद राय पर नहीं डाला है। इसी एक दबाव बिंदु पर विनोद राय ने मानहानि मुकदमे में माफी मांगी है। बस इतनी सी बात पर कांग्रेस की खिदमत में लगे बीमार वामपंथियों ने अपने बवासीर का बोरा खोल दिया है।
अच्छा संजय निरुपम ने विनोद राय से अगर मनमोहन सिंह का नाम न लिखने का दबाव या तो मिल कर या फोन पर ही डाला होगा। लिख कर तो यह दबाव बनाया नहीं होगा। तब आडियो रिकार्डिंग वाले फ़ोन भी नहीं थे। तो इस दबाव का जब कोई सुबूत नहीं था , तो माफ़ी मांगना ही एक रास्ता था। अच्छा उत्तर प्रदेश के आई पी एस अफ़सर अमिताभ ठाकुर ने तो मुलायम सिंह यादव की धमकी वाले फोन की बातचीत रिकार्ड कर ली थी। एफ आई आर भी लिखवा दी। क्या उखड़ गया मुलायम सिंह का। मुलायम सिंह ने आज तक अपनी आवाज़ का सैंपल भी नहीं दिया जांच ख़ातिर। कभी किसी वामपंथी साथी ने सांस ली इस प्रसंग पर ? सब को लकवा मार गया।
खैर विनोद राय की माफ़ी का एक मार्ग मिला तो एक चादर तान दी है इन हिप्पोक्रेटों ने कि न टू जी हुआ , न कोयला , न कोई और भ्रष्टाचार। मनमोहन सिंह बिलकुल हंस थे। सच यह है कि मनमोहन सिंह हंस के वेश में बगुला हैं। कोयला घोटाले में आई ए एस अफ़सर तक तिहाड़ में सजा काट रहे हैं। तो मनमोहन सिंह की ही कृपा से। टू जी में तो तब के संचार मंत्री ए राजा से लगायत करुणानिधि की बेटी कनु मोजी तक जेल काट चुके हैं। यह ठीक है कि यू पी ए सरकार की विदाई में इन घोटालों की बड़ी भूमिका थी। यू पी ए सरकार की विदाई के बाद वामपंथी लेखकों , पत्रकारों , विचारकों के आगे से मलाई भरी थाली खिसक गई। तब ही से इन की बवासीर की बीमारी जोर मारे हुई है। जब-तब ज़्यादा सिर उठा लेती है।
लेकिन बवासीर के मारे इन बीमारों को यह भी जान लेना चाहिए कि यू पी ए सरकार की विदाई में सिर्फ़ भ्रष्टाचार ही नहीं , मुस्लिम तुष्टिकरण और इस्लामिक आतंक की अति की भी बड़ी भूमिका थी। कहीं ज़्यादा थी। गुजरात मॉडल आख़िर क्या है ? सिर्फ़ विकास ? हुंह ! ख़ैर , मनमोहन सिंह ने तब संसद में बतौर प्रधान मंत्री कहा था कि देश के सभी संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का ही है। जब कि प्रधान मंत्री होने के बाद बतौर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह की उपस्थिति में उन्हें इंगित करते हुए यू पी ए सरकार के भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए कहा था कि अलग बात है डाक्टर साहब रेन कोट पहन कर नहाते रहे।
डाक्टर साहब मतलब मनमोहन सिंह। और मनमोहन सिंह ने आज तक इस रेन कोट पहन कर नहाने का प्रतिवाद नहीं किया है। एक वामपंथी साथी ने तो विनोद राय , अन्ना और रामदेव तीनों को यू पी ए सरकार की विदाई का कारण बताते हुए लिखा है कि यह तीनों ही सब से बड़े झूठे हैं। उन का वश चले तो इन तीनों को गोली मार दें। क्यों कि इन तीनों के कारण यू पी ए सरकार गई। और इन की मलाई की थाली इन के आगे से सरक गई। देश गर्त में चला गया। अद्भुत नैरेटिव है।
एक आई ए एस अफ़सर हैं हरीशचंद्र गुप्ता। अलीगढ के रहने वाले। उत्तर प्रदेश कैडर के हैं। मेरे मित्र हैं। डेड आनेस्ट। मजाल क्या है कि किसी काम के लिए उन्हों ने किसी की एक कप चाय भी पी हो। एक पान भी खाया हो। पर इन दिनों तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। इन्हीं रेन कोट पहन कर नहाने वाले मनमोहन सिंह के कारण। हरीश जी उन दिनों कोयला मंत्रालय में सचिव थे। कोयला मंत्रालय में घोटालों की बाढ़ और विवाद के कारण तब के कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल से यह मंत्रालय ले कर मनमोहन सिंह ने अपने पास रख लिया। एक कोयला खदान के मामले में मनमोहन सिंह ने हरीश जी को टेलीफोन पर ही आदेश दे दिया। हरीश जी ने आदेश का अनुपालन कर दिया।
क़ायदे से हरीश जी को बाद में ही सही फ़ाइल पर मनमोहन सिंह की दस्तखत करवा लेनी चाहिए थी। पर मनमोहन सिंह की सदाशयता और ईमानदार छवि के मद्देनज़र वह फ़ाइल पर दस्तखत करवाने में लापरवाही कर गए। और जब कोयला घोटाले की जांच हुई तो फ़ाइल पर हरीश जी के ही आदेश थे। हरीश जी फंस गए। लंबा मुक़दमा चला। बीच मुकदमे में हरीश जी ने अदालत से कहा , मुझे जो भी सज़ा देनी हो दे दीजिए। पर अब और मुक़दमा लड़ने की मेरी हिम्मत नहीं है। अदालत ने पूछा , दिक्कत क्या है ? इतनी जल्दी क्यों ? प्रक्रिया पूरी होने दीजिए। फ़ैसला होने दीजिए। हरीश जी ने कहा , कैसे लड़ूं मुक़दमा ? मेरे पास वकील को फीस देने भर का भी पैसा नहीं है।
मनमोहन सिंह ने एक बार भी भूल कर हरीश जी की मदद नहीं की। जब कि हरीश जी मनमोहन सिंह के कुकर्मों की सज़ा भुगत रहे हैं। अब ऐसा भी नहीं था कि इस मामले में मनमोहन सिंह ने कोई पैसा खाया था। मनमोहन सिंह ने सिर्फ़ सोनिया गांधी का हुकुम बजाया था। कोयले में हाथ काला किया था सोनिया गांधी ने। सज़ा भुगत रहे हैं हरीश गुप्ता। करोड़ों का कोयला घोटाला था यह। हरीश जी अकेले पी गए सारा जहर।
अब वह जेल में भी किसी से नहीं मिलते। एक ईमानदार अफ़सर भ्रष्टाचार की कालिख लगा कर जी रहा है , मरेगा भी इसी कालिख के साथ। पर ईमानदारी की मूर्ति बताए जाए जाने वाले मनमोहन सिंह की आत्मा कभी इस ईमानदार अफ़सर के लिए नहीं जागी। कभी कह नहीं पाए कि कोयला मंत्रालय तब मेरे पास था और कि यह मेरा ही मौखिक आदेश था। कह देते तो उन की गढ़ी हुई ईमानदार की मूर्ति खंडित हो जाती। रेन कोट उतर जाती। मुंह पर कोयला पुत जाता मनमोहन सिंह के। ऐसी कई कहानियां हैं यू पी ए सरकार के भ्रष्टाचार की।
लेकिन चुनी हुई चुप्पियों और चुने हुए विरोध के तलबगार , बौद्धिक बवासीर के मारे वामपंथी लेखकों , पत्रकारों को यह सब नहीं मालूम। मालूम भी हो जाए तो भी सहन नहीं कर पाएंगे। ख़ामोश रह जाएंगे। क्यों कि रेन कोट इन की भी उतर जाएगी और मुंह पर कालिख इन के भी लग जाएगी। हजामत बन जाएगी इन की। फ़िलहाल यह ढपोरशंखी अभी विनोद राय की हजामत बनाने में व्यस्त हैं। रेन कोट पहन कर। वैसे एक पूर्व सी ए जी टी एन चतुर्वेदी भी हुए हैं। जिन्हों ने बोफ़ोर्स में कमीशन उजागर किया था। जिसे राजीव गांधी सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ले उड़े। और यही बोफोर्स राजीव गांधी सरकार की पतन का कारण बना। गरज यह कि सी ए जी लोग कांग्रेस सरकारों की भ्रष्टाचार की जड़ों में मट्ठा डालने में पीछे नहीं रहते। रिकार्ड तो यही कहता है।
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