नीतीश कुमार का हनुमान बन कर बिहार पुलिस के पूर्व डी जी पी गुप्तेश्वर पांडेय ने बिना मुंबई गए , पुलिसिया बुद्धि से मुंबई के सिने संसार रूपी लंका में आग लगा कर जिस तरह उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को ड्रग के दुर्ग में घेरा है , इस व्यूह के आगे महाभारत का चक्रव्यूह भी फेल है। मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत , कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना / जीने दो ज़ालिम, बनाओ ना दीवाना ! भी फेल है। इतना कि ठाकरे परिवार मराठी मानुष के नाम पर गुंडई और हिंदुत्व के नाम पर छत्रपति शिवा जी महाराज के नाम का दुरूपयोग भी भूल गया है। वह कहते हैं न कि छठी का दूध याद दिला दिया है पांडेय जी ने। इतना कि लोग कोरोना का दुःख और यह महामारी भूल गए हैं।
पांडेय जी की महिमा देखिए कि ठाकरे परिवार और शिवसेना को पानी पी-पी कर गरियाने वाले सेक्यूलरजन , वामपंथी और मुस्लिम समाज के एक से एक जहरीले और कठमुल्ले लोग ठाकरे परिवार और शिवसेना की पैरवी में लामबंद हो गए हैं। गुप्तेश्वर पांडेय तो वी आर एस ले कर राजनीति का रंग खेलने की तैयारी में हैं , एक साथ दशहरा , दीवाली और होली मनाने की तैयारी में हैं। पर उन का गुप्तेश्वर ऐसा गुप्त हमला कर गया है , महाराष्ट्र सरकार पर कि चाणक्य भी चना चबा गए हैं।
तफ़तीश हो रही थी सुशांत सिंह राजपूत की हत्या की , तफ़तीश शुरू हो गई ड्रग के दुर्ग की। कमाल कर दिया है पांडेय जी आप ने। इतना कमाल तो भाईजान वाले दबंग चुलबुल पांडेय भी किसी फ़िल्म में नहीं कर पाए। और तो और चुलबुल पांडेय की भूमिका करने वाले सलमान खान तक इस कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना की आंच पहुंचती दिख रही है।
और तो और एक ही घर में रहते हुए भी महानायक की उपेक्षिता पत्नी जया बच्चन भी राज्य सभा में भाषण तो अंगरेजी में दे रही थीं पर एक मुहावरा हिंदी में बोल बैठीं , जिस थाली में खाते हैं , उसी में छेद करते हैं , उन्हीं पर चस्पा हो गया। उन्हीं पर भारी पड़ गया। इतना कि गांजा सेवन के लिए मशहूर अभिनेता और सांसद रवि किशन ही उन पर राशन पानी ले कर चढ़ बैठे। जया बच्चन की स्थिति सांप-छछूंदर जैसी हो गई। उलटे लोग इतना नाराज हो गए उन से कि उन की बेटी की आपत्तिजनक फोटुएं , नातिन की आपत्तिजनक वीडियो अलग वायरल हो गईं। जया बच्चन ने अभी तक किसी बात पर कोई प्रतिवाद नहीं किया है किसी भी बात का। दुष्यंत कुमार याद आ गए हैं :
जले जो रेत में तलवे तो हमने ये देखा
बहुत से लोग वहीं छटपटा के बैठ गए ।
खड़े हुए थे अलावों की आंच लेने को
सब अपनी अपनी हथेली जला के बैठ गए ।
दुकानदार तो मेले में लुट गए यारों
तमाशबीन दुकानें लगा के बैठ गए ।
लहू लुहान नज़ारों का ज़िक्र आया तो
शरीफ लोग उठे दूर जा के बैठ गए ।
So true
ReplyDeleteपान्डेजी ने वो किया कि कोई सोचा भी न था।
ReplyDeleteपान्डेजी ने वो किया कि कोई सोचा भी न था।
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