फ़ोटो : शायक आलोक |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
किसान भूख से मर रहा है वह विकास की बात करते हैं
मनी लांड्रिंग बढ़ती जाती है देशभक्ति की बात करते हैं
सरकार वही संशय वही शहर व जहर का दाम भी वही
वह आत्महत्या करता है यह अस्पताल की बात करते हैं
गांव जहां थे वहां अब नहीं हैं गेहूं नहीं शहर उगते हैं वहां
बिल्डरों की खेती है वह तो स्मार्ट सिटी की बात करते हैं
सब्जी मंहगी होती है दाल मंहगी होती है तो हुआ करे
सोना चांदी सस्ता हो रहा है विश्व मुद्रा की बात करते हैं
वायदा कारोबार बड़ा डाकू लूटने का लाइसेंस दे दिया है
मंहगाई कम हो नहीं सकती जी एस टी की बात करते हैं
ब्लैक मनी का झुनझुना जब पुराना पड़ गया तो घबरा कर
मेकिंग इंडिया स्टार्ट अप जैसे ढेरों झांसों की बात करते हैं
इंडेक्स शेयर जी डी पी आंख में धूल झोंकने के नुस्खे हैं
कारपोरेट कंपनियों के हाथ देश बेचने की बात करते हैं
[ 18 फ़रवरी , 2016 ]
बातें है बातों का क्या ?
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