फ़ोटो : अनन्या पांडेय |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
अंबेडकर वोट और नोट देता है तो वह गांधी को भूल जाते हैं
लीगी जिन्ना तो याद रहता है पर सीमांत गांधी को भूल जाते हैं
एक कायर आत्महत्या करता है तो आग लगा देते हैं पूरे देश में
सरहदों पर जान देते हैं बहादुर सैनिक पर उन को भूल जाते हैं
यह पुराने बहरुपिए हैं इन्हें अपने स्वार्थ और सत्ता से मतलब है
हिंदू मुसलमान तो याद रहता है लेकिन मनुष्यता को भूल जाते हैं
दलित पिछड़ा और मुस्लिम इन के राजनीतिक दामाद होते हैं
कश्मीरी पंडित तो वोट बैंक हो नहीं सकता उस को भूल जाते हैं
राजनीति की रात में सूरज उगाने के अभ्यस्त हैं यह सारे लोग
भाजपाई कांग्रेसी और कम्युनिस्ट हैं सो नीति को भूल जाते हैं
जहर घोलने ख़ातिर एन जी ओ चलाते हैं क्रांति का मुखौटा लगाए
फंडिंग दे कर देखिए बहुत जल्दी यह अपने बाप को भूल जाते हैं
[ 21 जनवरी , 2016 ]
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