Tuesday, 6 February 2024

इंद्र पुत्र और व्यास नंदन का मर्म

दयानंद पांडेय 

महाभारत में एक क़िस्सा आता है , जो कमोवेश सभी लोग जानते हैं। कि श्रीकृष्ण के पास पहले दुर्योधन पहुंचा था। मारे घमंड के श्रीकृष्ण के सिरहाने बैठा। अर्जुन बाद में पहुंचे और पैताने बैठे। श्रीकृष्ण ने पहले अर्जुन से बात शुरु की और दुर्योधन के पहले आने के हस्तक्षेप को मुल्तवी करते हुए तर्क दिया कि पहले उन्हों ने अर्जुन को देखा , सो वह पहले अर्जुन से बात करेंगे। और की भी। पर श्रीकृष्ण जब सोए हुए थे तब एक घटना और घटी। जो कम लोग जानते हैं। हुआ यह कि दुर्योधन तो पहले ही से पहुंचा हुआ था। पर जब अर्जुन आए तो दुर्योधन ने अर्जुन पर तंज करते हुए पूछा , कहिए इंद्र पुत्र कैसे आना हुआ ? अर्जुन तिलमिला कर रह गए पर चुप रहे। 

गौरतलब है कि कुंती के तीन पुत्र थे , युधिष्ठिर , भीम और अर्जुन। कर्ण को मिला लें तो चार पुत्र। कर्ण विवाह पूर्व सूर्य के पुत्र हैं। जब कि अर्जुन , कुंती-पाण्डु विवाह के बाद भी इंद्र पुत्र हैं। तो दुर्योधन ने इसी बात पर तंज किया। ख़ैर , बाद में श्रीकृष्ण की बात जब अर्जुन से हो गई तो दुर्योधन की तरफ मुखातिब होते हुए श्रीकृष्ण ने दुर्योधन से कहा कि कहिए व्यास नंदन , आप का कैसे आना हुआ ? यह सुन कर दुर्योधन तिलमिला गया। पर चुप रहा। कोई प्रतिक्रिया नहीं दी श्रीकृष्ण को। असल में श्रीकृष्ण दुर्योधन और अर्जुन के आने के समय सोए ज़रुर थे पर दोनों का संवाद सुन लिया था। 

सब जानते हैं कि धृतराष्ट्र , पाण्डु और विदुर महर्षि व्यास की संतान थे। लंबी कथा है , यह भी। तो इसी बिंदु पर कटाक्ष करते हुए श्रीकृष्ण ने दुर्योधन को इंगित किया कि अगर अर्जुन इंद्र पुत्र हैं तो बेटा दुर्योधन , तुम भी पाक-साफ़ नहीं हो। हो तो व्यास नंदन ही। तो आज एक पोस्ट पर इसी तरह की बात करते हुए कुछ मित्रों ने वर्ण संकर पर विमर्श शुरु कर दिया। कुछ ज़्यादा ही उछृंखल हुए मित्र लोग। तो मन हुआ कि यह कथा भी बांच दी जाए। क्यों कि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी।

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