Tuesday, 15 January 2019

उत्तर प्रदेश और बिहार के दोनों यादव परिवार सचमुच बहुत मुश्किल में हैं


उत्तर प्रदेश और बिहार के दोनों यादव परिवार सचमुच बहुत मुश्किल में हैं । एक तो भ्रष्टाचार की लत के चलते सी बी आई की मार , दूसरे अस्तित्व का संकट। तो एक यादव परिवार के रौशन चिराग अखिलेश यादव ने पिता मुलायम के अपमान को दरकिनार कर मायावती के जन्म-दिन के पहले ही मायावती शरणम गच्छामि किया तो दूसरे यादव परिवार के रौशन चिराग तेजस्वी यादव ने जन्म-दिवस की पूर्व संध्या पर पटना से आ कर सीधे मायावती के चरण थाम लिए , मांग कर आशीर्वाद लिया । इतना ही नहीं तमाम सपाई अखिलेश की पत्नी से ज़्यादा आज मायावती का जन्म-दिन बड़े उत्साह से कूद-कूद कर मना रहे हैं । लाल टोपी लगाए , सपा का झंडा लिए , मायावती की फोटो को मिठाई और केक खिलाते हुए जगह-जगह फ़ोटो खिंचवा रहे हैं। उड़े हुए चेहरे के साथ अखिलेश अपने गुंडा कार्यकर्ताओं को काबू करने के लिए पहले ही प्रेस कांफ्रेंस में कह ही चुके हैं कि आदरणीय मायावती जी का अपमान मेरा अपमान है। सो वह लोग मायावती का खूब सम्मान कर , अखिलेश का सम्मान कर रहे हैं। 

जाने मायावती को कितने करोड़ की थैली दोनों यादव बंधुओं ने गिफ्ट दी है , अभी पता नहीं चल पाया है । क्यों कि मायावती तो बिना करोड़ो की थैली लिए जन्म-दिन मनाती नहीं । दो दिन पहले ताज होटल में प्रेस कांफ्रेंस , पोस्टर , बैनर आदि का खर्च तो समाजवादी पार्टी ने अकेले उठाया था । जन्म-दिन की बात और है पर गठबंधन की बात और है । इस गठबंधन में यादव लोग तो कुलांचे मारते साफ़ दिख रहे हैं लेकिन दलित लोग अभी तटस्थ हैं । चुपचाप तमाशा देख रहे हैं । जब कि मुस्लिम समाज के लोग बुरी तरह बिदके हुए हैं । गठबंधन में कांग्रेस को साथ न लेने से , अजित सिंह के दूर रहने से , भाजपा की निश्चित हार से मुस्लिम समाज के लोग तनिक भी आश्वस्त नहीं दिख रहे । जैसे भी हो मुस्लिम समाज को नरेंद्र मोदी की निश्चित हार चाहिए। नो इफ बट। फिर सिर्फ़ 38 सीट पर लड़ने की बात करने वाला प्रधान मंत्री पद का दावेदार भी कैसे हो सकता है । ठंड कितनी भी हो , गलन कितनी भी हो पर सूरज अगर निकलता और चमकता रहता है तो ठंड बेअसर हो जाती है । तो मुस्लिम समाज की राय में मोदी की चमक के आगे इस गठबंधन की कोई बिसात फ़िलहाल नहीं है । ज़रूरत मोदी की चमक फीकी करने की है , जो इस गठबंधन से पूरी होती नहीं दिखती। फिर शिवपाल सिंह भी यादव हैं और आज़म खान भी मुसलमान । अगर यह दोनों साथ आ कर कांग्रेस के साथ कंधा से कंधा मिला बैठते हैं , जैसे कि आसार दिख रहे हैं तो साईकिल की हवा खुद ब खुद निकल जाएगी । हाथी की स्थिति वैसे भी बहुत अच्छी नहीं है । चुनाव में सीट न भी मिले हाथी को तो भी कोई बात नहीं , उस ने अपने लिए गन्ने की व्यवस्था कर ली है , गठबंधन कर के ।

तेजस्वी बिहार में राम विलास पासवान को न तोड़ पाने की भरपाई करने के लिए मायावती की शरण में आ कर आशीर्वाद मांगने आए हैं । लेकिन उत्तर प्रदेश में जो हैसियत राम विलास पासवान की है , ठीक वही स्थिति मायावती की बिहार में है । यानी बिहार में मायावती की कोई हैसियत नहीं है । इसी एक बात से समझा जा सकता है कि तेजस्वी राजनीति के कितने कच्चे खिलाड़ी हैं । या कि बिहार में वह कितने बड़े गड्ढे में हैं । यह भी है कि लालू जेल से जैसा कह रहे हैं , तेजस्वी वैसा ही कर रहे हैं । फिर बिहार में तेजस्वी कांग्रेस से गठबंधन कर चुके हैं । और मायावती को कांग्रेस से एलर्जी है । कुल मिला कर मायावती और अखिलेश का गठबंधन भी अभी पूरी तरह गड्ढे में है। मुलायम भी अभी इस पर ख़ामोश क्यों हैं , समझा जा सकता है । खैर , मुलायम के बोलने न बोलने का भी अब कोई मतलब नहीं रह गया है । अभी तो रामगोपाल और शिवपाल की अंत्याक्षरी सुनिए और मजा लीजिए । फिर गठबंधन के गड्ढे से बाहर निकलने की प्रतीक्षा कीजिए । इस लिए भी कि यह गठबंधन घोषित होने के बावजूद पूरी तरह अभी गर्भ में है । इस के गर्भपात की आहट भी अभी से मिलने लगी हैं । सी बी आई की दहशत और अस्तित्व की अभिलाषा के कारण यह गर्भ जैसे तैसे बच भी जाए तो जब तक सीट दर सीट बात फाइनल न हो जाए , और दिल भले न मिले , लेकिन बाकी दल भी न मिल जाएं तब तक इस गठबंधन को बर्थ डे गिफ्ट मान कर चलिए । ज़्यादा सपने मत जोड़िए । अभी बहुत कुछ पकना शेष है । फ़िलहाल खिचड़ी बना कर , खा कर सो जाइए । अभी बस इतना ही ।

2 comments:

  1. सही आकलन सर,

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  2. सारगर्भित आकलन आदरणीय

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