Sunday, 14 October 2018

लेकिन मोदी सरकार का सब से बड़ा घपला है म्युचुवल फंड घोटाला , पर सब के सब चुप हैं

सब का साथ , सब का विकास नारा
कारपोरेट का साथ , कारपोरेट का विकास में तब्दील हो चुका है


कांग्रेस की कोर्निश बजाते-बजाते कम्युनिस्टों  ने अपनी ज़मीन गंवा दी । इमरजेंसी जैसी फासिस्ट कार्रवाई पर भी वह कांग्रेस से बच्चों की तरह चिपके रहे । सो प्रतिरोध की कमान समाजवादियों ने संभाली। लेकिन धीरे-धीरे मुलायम और लालू जैसे परिवारवादी , भ्रष्ट और अराजक लोगों ने समाजवादी चोला पहन कर समाजवादियों की कमान संभाल लिया । सी बी आई के फंदे में आते ही इन दोनों ने भी कांग्रेस की कोर्निश बजानी शुरु कर दी । कांग्रेस ने भी सेक्यूलरिज्म का कुपाठ इस कदर किया कि अपनी ज़मीन गंवा बैठी । तिस पर भ्रष्टाचार की उस की आदत ने उसे जनता की नज़र में गिरा दिया । भाजपा विकल्प बन कर उभरी और कांग्रेस की ताबूत में अंतिम कील ठोंक दी । दिलचस्प यह कि अब भाजपा भी कांग्रेस की सारी खामियां ओढ़ कर अपनी ज़मीन बहुत तेज़ी से गंवाती जा रही है ।

नरेंद्र मोदी सरकार ने देश की समूची अर्थव्यवस्था कारपोरेट सेक्टर के हवाले कर देश को बेचना शुरू कर दिया है । देश में यह पहली बार हुआ है कि शेयर मार्केट की तरह दो-तीन महीने में ही म्युचुवल फंड में भी जनता के अरबो रुपए चुपचाप डूब गए हैं । पहले भरोसा दिया गया , एक अवधारणा बनाई गई कि म्युचुवल फंड में कम से कम मूल धन तो नहीं ही डूबता है । 20 से 22 प्रतिशत की बंपर ग्रोथ दिखाई गई । दूसरी तरफ कारपोरेट सेक्टर की तिजोरी भरने के मकसद से बैंक , पोस्ट आफिस हर जगह इंटरेस्ट रेट इस कदर गिरा दिए गए कि  लोग बैंक और पोस्ट आफिस में पैसा जमा करने से तौबा कर लें। सो सब लोग एक जूनून के साथ म्युचुवल फंड की तरफ दौड़ पड़े और कारपोरेट कंपनियों ने देखते ही देखते अरबो रुपए बटोर लिए कुछ ही महीनों में । बाज़ार में निवेश होने वाला सारा पैसा म्युचुवल फंड में मुड़ गया सब। पांच सौ रुपए से जमा होने वाला पैसा ग्रोथ दिख-दिखा कर शुरुआती डिविडेंड दे कर लोगों से सारी बचत के पैसे जमा करवा लिया। बैंक की सारी बचत म्युचुवल फंड में शिफ्ट हो गई। बैंक खाली हो गए। पोस्ट आफिस खाली हो गए। जब म्युचुवल फंड में जमा पैसा लबालब हो गया तो सारी ग्रोथ थम गई और गरीब लोगों के म्युचुवल फंड में जमा पैसे रातो-रात माईनस में चले गए । 20 से 22 प्रतिशत की ग्रोथ 50 से 60 प्रतिशत माईनस में तब्दील हो गई । शेयर मार्केट की तरह म्युचुवल फंड में जमा पैसे लोगों के रातो-रात डूब गए । और पता भी नहीं चला । क्यों कि म्युचुवल फंड में निवेश कर लोग घोड़ा बेच कर सो गए कि यहां तो पैसा सुरक्षित है । और ग्रोथ तो छोड़िए लोग मूल से भी हाथ गंवा बैठे । म्युचुवल फंड घोटाला मोदी सरकार का सब से बड़ा और संगठित घोटाला है ।

म्युचुवल फंड के धुआंधर विज्ञापन अब थम गए हैं । लेकिन कोई चैनल , कोई अख़बार , कोई पार्टी इस पर नहीं बोल रही। सब के सब खामोश हैं और कारपोरेट कंपनियों ने जनता की गाढ़ी कमाई बचत के अरबो रुपए चुपचाप बटोर लिए । किसी को पता ही नहीं चला। जनता लुट गई तो अपनी बला से । तब धीरू भाई अंबानी इस खेल को खेल गए थे  , आज मुकेश अंबानी और उन के साथी मिल-जुल कर खेल गए हैं। कहा जा रहा है कि मुकेश अंबानी ने एक ही कंपनी के कई फंड बना रखे थे। जिस को रोकने के लिए सेबी को महीनों लग गए। सब से ज़्यादा घपला इसी कंपनी के मार्फत हुआ। सेबी की फटकार के बाद रिलायंस टॉप टू हंड्रेड और रिलायंस लार्ज कैप फंड को अब इस का नया नाम रिलायंस क्रेडिट रिस्क फंड नाम दे दिया है। कमोवेश सारी कंपनियों ने ज़बरदस्त धांधली की लेकिन सेबी से लगायत मीडिया और राजनीतिज्ञ आंख मूंदे रहे , आंख मूंदे हुए हैं।  क्यों कि कारपोरेट सेक्टर के हाथों यह सभी गिरवी हैं। हर्षद मेहता से भी बड़ा खेल कर दिया गया है। एल एंड टी ने भी बड़ा खेल किया है। धीरू भाई अंबानी के समय सॉफ्टवेयर की तकनीक नहीं थी , मुकेश अंबानी के समय में सॉफ्टवेयर सब से बड़ा डाकू बन कर उपस्थित है। यह सॉफ्टवेयर ही है जो बैंक से ले कर तमाम कॉर्पोरेट और सरकारी संस्थानों में भी गरीबों को लूटने का सब से बड़ा औजार बन चुका है। 

कांग्रेस को बना बनाया भोजन लेने की आदत बन चुकी है। कोई कुछ भी परोस दे मोदी विरोध के नाम पर , वह फट से लपक लेती है। उस के पास अपना कुछ भी नहीं है। राफाल जैसा हवा-हवाई घोटाला ही कांग्रेस को रास आता है। ज़मीनी घोटालों से वह भी आंख मूंद लेती है। कांग्रेस जो खुद घोटालों की सरताज है वह राफाल को ले कर राफाल की भी ज़्यादा गति से उड़ पड़ी है। राफाल घोटाला जो अभी हुआ ही नहीं है , लेकिन कांग्रेस को सूट करता है जिस को ले कर वह तूफ़ान मचाए हुए है लेकिन  म्युचुवल फंड घोटाले का वह नाम भी नहीं लेती क्यों कि एक साथ सारे कारपोरेट हाऊसों से वह भी पंगा नहीं ले सकती। सभी पार्टियों को इन से चंदा लेना है। मीडिया को विज्ञापन ही ज़्यादा कारपोरेट सेक्टर से ज़्यादा मिलता है सो उस को भी चुप ही रहना है। पैसा ज़्यादातर लोगों का डूबा है लेकिन यह छोटे निवेशक है। सिस्टम छोटे निवेशकों की आवाज़ को आवाज़ नहीं मानता। और भारत में अगर सब से ज़्यादा कोई अगर संगठित है तो वह कारपोरेट सेक्टर है और सब से ज़्यादा कोई एक असंगठित सेक्टर है तो वह उपभोक्ता है। उपभोक्ता की कोई सुनने वाला नहीं है । उपभोक्ता भूसे के ढेर में सूई की तरह गुम है ।

लेकिन मोदी सरकार का यह सब से बड़ा घपला है म्युचुवल फंड घोटाला। 

मोदी सरकार की तमाम नाकामियां सिर्फ यही भर नहीं है। तेल के दाम सैकड़ा पार करने को बेताब है। अमरीकी डालर भी सैकड़ा छूने को बेताब है। लेकिन भाजपा सरकार की मूल चिंता है कि औरतबाजी के समुद्र में गहरे फंसे अपने विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर को कैसे थाम लिया जाए। बेरोजगारी से लड़ने और निपटने की चिंता इस भाजपा सरकार को नहीं है। सरकार की पहली चिंता यह है कि आरक्षण की बैसाखी को वह कितना और मज़बूत बना सकती है। मंहगाई की उछाल आकाश छूती है तो आप की बला से मोदी सरकार की चिंता है कि  एस  सी एस टी एक्ट को कितना सबल बना दें ताकि देश की बाक़ी आबादी इन की ब्लैकमेलिंग और उत्पीड़न के आगे मुर्गा बनी रहे। कश्मीर में आतंक और आतंकवादी जितना भी कहर ढाएं  , पिद्दी भर का पाकिस्तान चाहे जितना भारत और उस की अस्मिता से खेले , खेलता रहे लेकिन मोदी सरकार की चिंता है कि देश में हिंदू , मुसलमान वोट किस हद तक एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो कर भाजपा के पक्ष में पोलराइज हो सकते हैं। 

ठीक है कि नरेंद्र मोदी पर अभी व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अब इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि कारपोरेट सेक्टर को खुली लूट के लिए देश को कारपोरेट के चरागाह में तब्दील कर दिया है। वह देश को अनगिन हाथों से लूट रहे हैं और सरकार सिर्फ़ भ्रष्टाचार से लड़ने का स्लोगन देती रहती है। पाकिस्तान जैसे पिद्दी देश के खिलाफ एक पिद्दी सा सर्जिकल स्ट्राइक कर समूचे देश को मूर्ख बना रखा है। किसी अपराधी को आप सजा दें और वह अपराधी अपना अपराध लगातार दुहराता रहे , उसे हम सजा नहीं मान सकते। सर्जिकल स्ट्राइक का हासिल यही है कि पाकिस्तान रोज ही सरहद पर घात लगा कर भारत का नुकसान करता जा रहा है , बेख़ौफ़। कश्मीर के आतंकवादी संभाल में नहीं आ रहे। तो आप की सरकार कर क्या रही है ? सिर्फ़ हिंदू , मुसलमान ? करना ही है तो चीन से सबक लेना चाहिए। जिस तरह चीन ने इस्लामिक आतंकवाद को काबू करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं , उस से भी सख्त कदम उठाने की भारत को ज़रूरत हैं। बंद कर दीजिए कश्मीर में डेमोक्रेटिक प्रासेस। चीन की तरह पूरे कश्मीर में कर्फ्यू लगा कर एक-एक अलगाववादी को चुन-चुन कर अकल ठिकाने लगा दीजिए। जैसे चीन कर रहा है। लेकिन आप तो कश्मीर के अलगाववादियों को सुरक्षा दिए हुए हैं। पैसे की भी और फ़ोर्स की भी। तो कांग्रेस और भाजपा के निजाम में फर्क क्या रहा ? एक के बदले दस सिर लाने का दावा कहां दुबक गया ?

अभी तक पूर्वोत्तर के राज्यों , बंगाल और महाराष्ट्र में ही बिहार और उत्तर प्रदेश के मज़दूरों को मारा पीटा और भगाया जाता था , अब गुजरात में भी यह शुरू हो गया। गुजरात का यह कौन सा मॉडल है भला ? देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है और मोदी सरकार की दिलचस्पी इस गृह युद्ध को रोकने के बजाय कैसे किस राज्य में सरकार बना कर राज करने तक सीमित रह गई है। क्या इसी दिन के लिए सरदार पटेल की विशालकाय प्रतिमा बनाई जा रही है कि उन की प्रतिमा देश को गृह युद्ध में झुलसते हुए देखे ? जिस पटेल ने देश को एक करने में जान लड़ा दी , उस पटेल के राज्य में यह कैसे हो गया जनाब आप के निजाम में ? कश्मीर तो ठीक कर नहीं सके , गुजरात को भी बरबाद कर दिया। हज़ारों , लाखों मज़दूर बेरोजगार , बेघर हो गए। घर में इतना ही पैसा रहा होता तो गुजरात में कमाई करने गए ही क्यों होते भला। 

आप भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीता चुनाव लड़ कर सत्ताशीन हुए थे मिस्टर मोदी। खास कर सोनिया परिवार को फोकस किया था तब। एक राबर्ट वाड्रा का भी आप कुछ नहीं कर पाए। सिर्फ नौटंकी बन कर रह गया राबर्ट वाड्रा का भ्रष्टाचार। नेशनल हेराल्ड में भी सिर्फ तारीखबाजी हो रही है। कोयला , टू जी में भी सिर्फ जुगाली ही है। उलटे देश भर में भ्रष्टाचार के गंदे नाले समुद्र में तब्दील हुए जा रहे हैं। बिना पैसा दिए एक काम नहीं हो सकता किसी भी सरकारी दफ्तर में। नीरव मोदी , विजय माल्या , मेहुल चौकसी की कालिख भी मोदी सरकार के चेहरे से साफ़ नहीं हो रही। नित नए घपले अलग हैं। सब का साथ , सब का विकास नारा कारपोरेट का साथ , कारपोरेट का विकास में तब्दील हो चुका है। बस दिक्कत एक ही शेष रह गई है कि जैसे 2014 में देश को कांग्रेस का विकल्प भाजपा मिल गई थी , आज भाजपा का कोई विकल्प नहीं मिल पा रहा। यकीन मानिए विकल्प मिलते ही कांग्रेस से बुरी दुर्गति भाजपा की होने जा रही है। रही बात कांग्रेस की तो वर्तमान में वह शिखंडी की भूमिका में उपस्थित है। सो कांग्रेस तो भाजपा का विकल्प बनने से रही। 

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-10-2018) को "सब के सब चुप हैं" (चर्चा अंक-3126) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बेहतर जानकारी

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  3. प्रणाम गुरुदेव, अब कहा जाय?

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