Friday, 20 April 2018

कठुआ की पीड़िता बच्ची के बहाने नफ़रत और जहर बो कर लाखों-करोड़ों का खेल

पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 

महबूबा मुफ्ती ने टेम्पल , रिचुवल एंड रेप की इबारत 

लिख कर जम्मू के हिंदुओं में आतंक का भय पैदा कर दिया है


महबूबा मुफ़्ती 
ऊपर की फ़ोटो कठुआ में पीड़िता बच्ची की पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। जम्मू के कठुआ में नन्हीं बच्ची के साथ बलात्कार का मामला दुःख , और शर्म का सबब है। पूरा देश घायल है। लेकिन इस मामले को ले कर राजनीतिक और वैचारिक लड़ाइयों ने , हिंदू , मुसलमान की मूर्खताओं ने इस पूरे मामले को विवादास्पद बना दिया है। मजाक बना दिया है। हिंदू , मुसलमान बना दिया है। पीड़िता का घाव भूल कर सब अपनी-अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अपने-अपने ईगो की , अपनी-अपनी रणनीति की। अपने-अपने एजेंडे की। अब इस बारे में इतने सारे विवाद और इतनी सारी कहानियां गढ़ दी गई हैं , इतनी नफ़रत और इतना जहर भर दिया गया है कि इस मामले का ज़िक्र करना भी पत्थर को दावत देना हो गया है। अब लोग कतरा रहे हैं इस बाबत बात करने से भी। फंडिंग का रैकेट अलग खड़ा हो गया है। नरेंद्र मोदी से नफ़रत करने वालों को लगता है कि उन की तो चांदी हो गई है। अब इसी मसले पर नरेंद्र मोदी को गिरा लो। मामला संयुक्त राष्ट्र तक चला गया है। भले भारतीय मीडिया की खबरों में यह बात उभर कर सामने नहीं आई है लेकिन लंदन में भी नरेंद्र मोदी को इस बाबत विरोध झेलना पड़ा है।  कुछ मुस्लिम लोगों ने नारों की लिखी तख्तियां ले कर इस बाबत विरोध किया। निश्चित रूप से इस बाबत सरकार को जहां से भी बने घेरा जाना चाहिए। इस पर कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन ऐतराज तब होता है जब यही विरोध करने वाले लोग कश्मीर की मुख्य मंत्री महबूबा मुफ्ती का घेराव करना , उन के खिलाफ बोलना भूल जाते हैं। क्या जम्मू कश्मीर के क़ानून का मसला केंद्र का विषय है ? क्या कश्मीर की महबूबा सरकार की इस के लिए कोई जवाबदेही नहीं है ?

लंदन में विरोध  , फोटो सौजन्य : तेजेंद्र शर्मा 
यह हमारे देश और समाज का दुर्भाग्य ही है कि रोज ही कहीं न कहीं से बलात्कार की कई सारी घटनाएं सामने आती हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर पंद्रह मिनट में एक बलात्कार होता है। ऐसी खबर आती है। बहुत सारी बलात्कार की घटनाएं स्थानीय स्तर पर ही विवाद का विषय बनती हैं।  राजनीतिक रूप से बहुत कम ऐसी घटनाएं चर्चा का विषय बनती हैं। जैसे 16 दिसंबर, 2012 को  दिल्ली में ज्योति नाम की लड़की जिसे दामिनी नाम से जाना गया। इस भयानक बलात्कार की देशव्यापी चर्चा और विरोध हुआ।  तब की दिल्ली की तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार ने मामले को बहुत संभाला पर शीला दीक्षित और मनमोहन की केंद्र सरकार के विदा होने में इस बलात्कार कांड ने बड़ी भूमिका निभाई। इस दामिनी सामूहिक बलात्कार कांड में भी मुस्लिम बलात्कारी शामिल थे लेकिन उस बलात्कार को हिंदू , मुस्लिम रंग नहीं दिया गया। दामिनी की वीभत्स घटना को देखते हुए सरकार ने पाक्सो जैसा कानून बनाया गया। लेकिन बलात्कार की वीभत्स घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। अब केंद्र सरकार ने बलात्कार को ले कर फांसी की सज़ा खातिर क़ानून बनाने के लिए कवायद शुरू कर दिया है। कठुआ से लेकर सूरत, एटा, छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों में हर रोज़ बच्चियों के साथ बलात्कार के जो दिल दहला देने वाले मामले आ रहे हैं, इस तरह की घटनाओं के बाद पूरे देश में जो गुस्सा है उसे देखते हुए केंद्र सरकार ने आज 12 साल से कम उम्र के बच्चियों से रेप के मामले में मौत की सज़ा के प्रावधान को मंज़ूरी दे दी है । यह अच्छी बात है लेकिन क्या बलात्कार की घटनाएं इस से रुक जाएंगी ? यह सोचने का विषय है।

लंदन में पीड़िता के बाबत मोदी विरोधी नारे लगते समय नमाज का समय हो गया तो नमाज पढ़ते लोग 

तालिब हुसैन 
मेरी जानकारी में कठुआ में बच्ची से बलात्कार का देश का ऐसा पहला मामला है जिसे हिंदू , मुसलमान के चश्मे से देखने की घृणित चालबाजी और धूर्तता सामने आई है। तब जब कि बेटियां साझी होती हैं।  हिंदू , मुसलमान नहीं। लेकिन इस बलात्कार मामले में हिंदू , मुसलमान की पहल महबूबा सरकार ने ही शुरू की। कठुआ में हुए इस बलात्कार की जांच श्रीनगर की क्राईम ब्रांच के संदिग्ध पुलिस कर्मियों से इस की जांच करवा कर। तब जब कि जम्मू में भी क्राइम ब्रांच है। तीन बार जांच टीम बदली गई। स्थानीय पुलिस की फाइंडिग कुछ और थी , क्राईम ब्रांच की कुछ और। आरोप है कि इस क्राईम ब्रांच ने तफ्तीश में महबूबा सरकार के इशारे पर न सिर्फ़ हिंदू , मुसलमान का रंग भरा बल्कि बहुत सारे ग़लत तथ्य भी अपनी चार्जशीट में डाल कर इस पूरे मामले को विवादास्पद बना दिया। इस टीम में शामिल एक पुलिस अधिकारी साल भर की जेल काट चुका है।  उस पर अनगिन आरोप हैं। नहीं , जनवरी के दूसरे हफ़्ते की यह बलात्कार की घटना अब बीच अप्रैल में चर्चा के शिखर पर क्यों आई। कठुआ और जम्मू के स्थानीय लोगों का आरोप है कि जैसे नब्बे के दशक में श्रीनगर से कश्मीरी पंडितों को जलील कर के , मार कर , हत्या कर , लूट कर , बलात्कार कर , घर जला कर , मंदिर तोड़ कर , सब कुछ नदियों में बहा कर , भगा दिया गया , अब उसी की पुनरावृत्ति महबूबा सरकार जम्मू और कठुआ से डोगरा पंडितों और हिंदुओं को भगा कर करना चाहती है। रोहिंग्या मुसलमानों को बसाना चाहती है। इस काम के लिए महबूबा सरकार ने क्राईम ब्रांच से बिस्मिल्ला करवाई है। टेम्पल , रिचुवल एंड रेप की इबारत लिख कर जम्मू के हिंदुओं में आतंक का भय पैदा किया है। इस भय का ही जम्मू और कठुआ के लोगों ने विरोध किया है। लेकिन महबूबा सरकार और क्राईम ब्रांच ने इन विरोध प्रदर्शनों को कुछ ऐसे पेंट किया कि यह सारे विरोध प्रदर्शन बलात्कारियों के समर्थन में हो रहे हैं। न्यूज़ चैनलों ने इस आग में घी डाल कर पूरे जम्मू को बलात्कारियों के पक्ष में बता कर खड़ा कर दिया। कांग्रेसियों और वामपंथियों ने इस आग को उठा लिया और इस भोंथरे हथियार से मोदी को निपटाने में सारी ऊर्जा खर्च कर दी। इस सब के खिलाफ जम्मू की बार एसोसिएसन खुल कर सामने आ गई। भाजपाई , कांग्रेसी सब एक मंच पर आ गए। इतना कि सुप्रीम कोर्ट को इस में दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन जम्मू इस बाबत जांच के लिए आई। इस सब में सब से ज़्यादा जहर दो लोगों ने फैलाया। एक तालिब हुसेन , जो वकील है और गूजरों का नेता भी। तालिब हुसेन ने लाखो रुपए की फंडिंग बटोर ली।  कुछ लोगों का कहना है कि दो करोड़ रुपए से ज़्यादा बटोर लिया है तालिब हुसेन ने। अब तो बाकायदा एक अकाउंट नंबर भी सार्वजनिक कर दिया गया है। जिस में लोगों से पैसा जमा करने की अपील की गई है।


शहला राशीद शोरा और दीपिका राजावत
दूसरी हैं एडवोकेट दीपिका राजावत।  जो अपने को पीड़िता का वकील बताते नहीं थकतीं।  जब कि वह सरकारी वकील नहीं हैं। जानने वाले जानते हैं कि ऐसे मामलों में पीड़ित का पक्ष सरकारी वकील ही देखते और लड़ते हैं। इस मामले में भी पीड़िता बच्ची का केस दो सरकारी वकील भूपेंद्र सिंह और हरेंद्र सिंह देख रहे हैं।  दीपिका राजावत नहीं। लेकिन अंगुली कटवा कर दीपिका भी इस में शहीद बन चुकी हैं। दुनिया भर की नौटंकी पेश करती हुई अपने जान का खतरा बता बता चुकी हैं। जे एन यू छात्र संघ की उपाध्यक्ष रहीं भारत तेरे टुकड़े होंगे , इंशा अल्ला , इंशा अल्ला , नारे लगाने वाली शहला राशीद शोरा की दोस्त और मशहूर वकील और कांग्रेसी इंदिरा जय सिंह के एन जी ओ से जुड़ी दीपिका राजावत ने जम्मू हाईकोर्ट में एक रिट ज़रूर दायर की थी कि क्राइम ब्रांच कोर्ट की देख-रेख में तफ्तीश करे। हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश कर भी दिया था। तफ्तीश कोर्ट की देख-रेख में ही हुई। चार्जशीट फाइल हो भी गई। लेकिन दीपका का झूठ पूरी उछल-कूद के साथ अभी कायम है कि उन्हें धमकी दी जा रही है। ज़िक्र ज़रूरी है कि जम्मू बार एसोसिएशन ने दीपिका को चार साल पहले ही निष्कासित कर दिया था। लेकिन दीपिका के इस ड्रामे ने न्यूज चैनलों को मसाला दिया। न्यूज चैनलों ने इस घटना को राष्ट्रीय बना दिया । न सिर्फ राष्ट्रीय बना दिया बल्कि हिंदू , मुसलमान बना दिया। क़ानून है कि बलात्कार पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित नहीं करना चाहिए , सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। लेकिन पीड़िता चूंकि मुस्लिम थी सो सेक्यूलरिज्म की हलवा-पूड़ी भी खानी-खिलानी थी। पीड़िता का नाम और फोटो दिखाने की जैसे होड़ सी लग गई। अंतत: हाईकोर्ट ने जब एक दर्जन मीडिया हाऊसों को नोटिस दे कर दस-दस लाख रुपए जुर्माना लगा दिया तो यह कुत्ता दौड़ अब जा कर बंद हुई है। मीडिया से लगायत फेसबुक के सेनापतियों तक ने पीड़िता का नाम बेचा। अब खैर पीड़िता मुस्लिम घोषित हो गई तो मुस्लिम संगठनों , मुस्लिम देशों से हवाला के मार्फत पैसे आने लगे। पैसे की जैसे बाढ़ आ गई। तालिब हुसेन नाम के वकील और गूजर नेता ने खूब पैसा बटोरा। इतना पैसा आ गया है कि पैसे की  बंदर बांट का झगड़ा शुरू हो गया है। जम्मू के अख़बारों में इस पैसे के झगड़े को ले कर ख़बरें भी छपने लगीं। कहते हैं इंडो अमरीकन इस्लामिक एसोसिएशन ने सब से ज़्यादा पैसा भेजा है , हवाला के मार्फत। और भी मुस्लिम देशों से पैसा आया है । फिल्म इंडस्ट्री से भी पैसा आया । इस सारी घटना में यह भी हुआ कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों के घाव फिर से हरे हो गए। नतीजा यह हुआ कि डोंगरा पंडित जिन से कश्मीरी पंडितों की पहले पटती नहीं थी , अब एक हो गए  हैं।

उन मीडिया हाऊस के नाम जिन पर कोर्ट ने पीड़िता का नाम और फोटो
सार्वजनिक करने के जुर्म में दस-दस लाख का जुर्माना लगा दिया 
जम्मू और कठुआ की जनता क्राइम ब्रांच की जांच में हिंदू , मुसलमान और उस के आतंक से आजिज आ कर सी बी आई जांच की मांग पर अड़ी है। लोगों का कहना है कि क्राइम ब्रांच ने धांधली की है और कि इस टीम में शामिल लोग संदिग्ध लोग हैं। इन लोगों पर पहले भी कई सारे आरोप लगे पड़े हैं। जम्मू के लोगों को सब से ज़्यादा ऐतराज क्राईम ब्रांच के एसीपी नावेद पीरजादा को ले कर है। लेकिन नावेद पीरजादा की तारीफ करने वाले लोग भी हैं। ख़ास कर इस मामले को मुस्लिम रंग देने वाले लोग। तो भी  क्राइम ब्रांच की चार्जशीट में भी बहुत सारे छेद हैं। मेरठ के लड़के विशाल को जिस दिन रेप में संलग्न बताया है , वह उस दिन मेरठ में इम्तहान देने के प्रमाण दे रहा है। उसी दिन खतौली , मेरठ में ए टी एम से पैसे निकलने के प्रमाण दे रहा है।  यहां तक जिन लड़कों से क्राइम ब्रांच ने मार पीट कर उस लड़के के खिलाफ बयान लिया था , कोर्ट में वही लड़के अपने बयान से मुकर गए। इन लड़कों ने कोर्ट में सेक्शन 164 के तहत अपने बयान में कहा है कि पुलिस ने मार-पीट कर गलत बयान ले लिया। चार्जशीट में ऐसे ढेर सारे और छेद हैं। पहला छेद तो यह कि चार्जशीट के साथ पीड़िता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं संलग्न की। इस लिए कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पर्म मिलने का ज़िक्र नहीं है। सामूहिक बलात्कार का ज़िक्र नहीं है। और भी कई सारी बातें हैं। नब्बे के दशक में मैं लखनऊ , स्वतंत्र भारत अख़बार में रिपोर्टर था। तब इस के संपादक एक हिंदूवादी राजनाथ सिंह थे। संघ के स्वयंसेवक थे। वह जब कोई हिंदुत्ववादी खबर छापते तो एक मुस्लिम रिपोर्टर ताहिर अब्बास के नाम से छापते। ताकि लोग उस खबर को एथेंटिक मान लें। जैसे कि एक खबर उन्हों ने ताहिर अब्बास के नाम से छापी कि अयोध्या में कर सेवकों पर गोली चलवाने वाले पुलिस अफ़सर की एक आंख बह गई। वह पुलिस अफसर थे ए डी जी राम आसरे वर्मा। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के प्रिय। उन्हें आंख पर कैप लगा कर घूमते देखा गया। बाद में पता चला कि उस पुलिस अफ़सर की कोई आंख नहीं बही थी। मोतियाबिंद का आपरेशन हुआ था। तो क्राइम ब्रांच में महबूबा ने भी श्वेतांबरी नाम की एक डिप्टी एस पी रख दी ताकि उन की बात सही लगे। श्वेतांबरी से बयान भी इस बाबत खूब दिलवाए। खैर , तफ्तीश के दौरान क्राइम ब्रांच की दहशत से कठुआ क्षेत्र से बहुत सारे हिंदू लोग पलायन कर गए हैं। जिस मंदिर में बलात्कार की बात कही गई है , तहखाने की बात बताई गई है , उस में भी झूठ है। एक तो वह मंदिर नहीं है। देवी का थान है। दूसरे , उस में कोई तहखाना नहीं है। तीसरे , वह पूरा का पूरा खुला-खुला है। कोई छुप-छुपा नहीं सकता। घटना की तारीखों में मकर संक्रांति , लोहड़ी आदि त्यौहार होने के कारण वहां निरंतर भीड़ थी। लेकिन यह सब कर के महबूबा मुफ़्ती ने टेम्पिल , रिचुवल एंड रेप की इबारत फ़िलहाल लिख दी है। चार्जशीट में ऐसी और भी तमाम सारी बातें हैं जो कोर्ट देखेगी। मुझे इस पर कुछ नहीं कहना। फेसबुक सेनापति लोग , उन के सैनिक और साक्षर मीडिया तो बिना कुछ जाने-समझे , सब कुछ कह ही रहा है।


डाक्टर अरुण कुमार  जैन
तीन-चार दिन पहले जम्मू में अपने एक मित्र के मार्फ़त पीड़िता की पोस्टमार्टम  रिपोर्ट और चार्जशीट जब मुझे  मिली तो मैं ने उस पर अपने मित्र और लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल से रिटायर्ड वरिष्ठ डाक्टर अरुण कुमार  जैन से राय मांगी। उन्हों ने रिपोर्ट देखते ही कहा कि बलात्कार तो हुआ है। लेकिन बाडी 5 - 6 दिन नहीं , 3 दिन पुरानी है। बिसरा रिपोर्ट में पीड़िता की सारे अंगों में दवा भी पाई गई है। जांघ पर घाव है , कान में घाव है। वजाइना लेपचर्ड है। वजाइना की दोनों लिप्स लेपचर्ड हैं। हाइमन नाट इंटैक्ट है। हां , स्पर्म का ज़िक्र नहीं है। अपने मित्र और लखनऊ हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील आई बी सिंह से भी इस बाबत राय मांगी। उन्हों ने चार्जशीट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख कर कहा कि यह रेप नहीं है। क्यों कि पोस्टमार्टम में स्पर्म मिलने की बात दर्ज नहीं है । फिर सामूहिक बलात्कार में प्राइवेट पार्ट ज़्यादा डिस्टर्ब होता है । जो नहीं है । सो प्राइवेट पार्ट डिस्टर्ब होने की वजह कुछ और भी हो सकती है , बलात्कार ही नहीं । डाक्टर साहब का कहना है कि कानूनी रुप से तो किसी को टच कर देना भी अब बलात्कार माना जाता है ।


सीनियर एडवोकेट आई बी सिंह 
आसिफ़ा की हत्या वैसे गला दबा कर की गई है । दम घुटने से उस की मौत हुई है । हत्या और उस के शव की बरामदगी की टाइमिंग पर भी सवाल है । आई बी सिंह का कहना है कि हत्या की कहानी तक तो ठीक है लेकिन बलात्कार की कहानी नहीं चलती इस मामले में। जो भी हो इस में एक आरोपी मेरठ के विशाल जंगोत्रा की भी एक दूसरी कहानी है । 11 जनवरी , 2018 को आसिफा की हत्या हुई है और 11 जनवरी , 2018 को वह मेरठ के खतौली के के के जैन पी जी कालेज में इम्तहान देते हुए बताया गया है । ऐसा प्रमाण पत्र प्रिंसिपल ने मय प्रमाण के जारी किया है । इसी दिन खतौली के एक ए टी एम से विशाल के पैसा निकालने की भी बात सामने आई है । वकील साहब का कहना है कि अगर यह एक बात कोर्ट में साबित हो गई तो विशाल को जमानत मिल जाएगी । फिर विशाल के बहाने सब को जमानत मिल जाएगी । पूरा केस फुस्स हो जाएगा।

स्पर्म कितना ज़रूरी होता है कोर्ट में बलात्कार साबित करने के लिए इस बात को क्या श्रीनगर के क्राइम ब्रांच के चैम्पियन नावेद पीरजादा नहीं जानते कि तमाम वह लोग जो पीड़िता के लिए जान लड़ाए पड़े हैं। स्पर्म कोर्ट के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है। यही स्पर्म इस्टैब्लिश करता है कि बलात्कारी कौन-कौन है। पीड़िता अब है नहीं , कोई गवाह है नहीं , सिर्फ कहानियां हैं। और कहानियों से कोर्ट अपराधियों को सज़ा नहीं देता मिस्टर नावेद पीरजादा एंड सेक्यूलर चैम्पियंस। अब कहानी की बात आई है तो बलात्कार में स्पर्म की ताक़त और साक्ष्य का एक किस्सा सुनिए। उत्तर प्रदेश सरकार में  ऊर्जा मंत्री रहे एक नेता का किस्सा है । उन दिनों कोई बड़ा काम करने के लिए मोटा पैसा लेते थे। साथ ही औरतबाजी का भी मजा लेते थे। बाद के दिनों में जब लखनऊ की औरतों से उन का पेट भर गया तो मुंबई से फ़िल्मी हीरोइनों को क्लाइंट से बुलवाने लगे। हीरोइनों को एडवांस पेमेंट और एयर टिकट भेज दिया जाता था। तय तारीख पर वह आ जाती थीं। होटल पहले से बुक रहता था। एक बार एक चर्चित हीरोइन को बुलवाया गया। ऊर्जा मंत्री की खिदमत में। वह आईं और ऊर्जा मंत्री की खिदमत में लगीं भी। लेकिन ऊर्जा मंत्री संभोग में सफल नहीं हो पाए। बावजूद तमाम कोशशों के। होटल के कमरे से निकलते हुए यह बात उन्हों ने शराब के नशे में अपने गुर्गों से जाने किस झोंक में बता भी दिया। अब गुर्गे थे दो। दोनों को लगा कि हीरोइन को पेमेंट जाया नहीं होना चाहिए। सो दोनों गुर्गों ने हीरोइन के बार-ंबार ऐतराज के बावजूद संबंध बना लिया। हीरोइन ने भी बर्दाश्त कर लिया। लेकिन जब यह गुर्गे कमरे से जाने लगे तो वह हीरोइन भी इन के पीछे-पीछे रिसेप्शन पर आ गई। चिल्लाते हुई बोली , पुलिस बुलाओ। इन दोनों लोगों ने मेरे साथ रेप किया है। अपने साथ वह एक चद्दर लिए हुए थी। दिखाते हुई बोली , इस चद्दर में इन दोनों का स्पर्म सुबूत है। अब गुर्गों की हालत ख़राब। बहुत मान-मनौव्वल की। हाथ पैर जोड़े। लेकिन हीरोइन नहीं पसीजी। पुलिस बुलाने की रट लगाए रही। गुर्गों ने घबरा कर ऊर्जा मंत्री को फोन कर सारा किस्सा बताया। मंत्री के भी हाथ-पांव फूल गए। डांटा गुर्गो को कि मेरी राजनीति को क्यों डुबोना चाहते हो। फिर कुछ ख़ास लोगों को होटल भेजा। बीच-बचाव हुआ। हीरोइन को पांच लाख एडवांस मिल चुका था। दस लाख और दिया गया। पांच लाख रुपया प्रति व्यक्ति के हिसाब से। तब यह लोग मुक्त हुए। मामला रफा-दफा हुआ। दिलचस्प यह कि वह चद्दर हीरोइन अपने साथ ले गई। पता नहीं बाद में उस का क्या किया। लेकिन मंत्री और उन के गुर्गों की औरतबाजी को वह हीरोइन बड़ा सबक दे गई।



अखबारी कतरन 

बहरहाल यहां भी पीड़िता के बहाने लाखो-करोड़ो का फंड बटोरने और फिर इस के बंटवारे का किस्सा अलग सामने है । राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों की नीचता अपनी जगह है । सब का अपना-अपना गंदा खेल है , धंधा है । सोशल मीडिया का वार अलग है । सब का अपना-अपना एजेंडा है । अपना-अपना इगो है । संघी हैं , वामपंथी हैं। तरह के आडियो , वीडियो और वेबसाईट हैं। बस नहीं है तो पीड़िता के साथ इंसाफ नहीं है । कहानियां और भी बहुत हैं । कलंक और भी बहुत हैं । बस पीड़िता की सांस नहीं है , उस का सम्मान नहीं है । अभी और भी बातें हैं , और भी तथ्य हैं । फिर लिखूंगा ।

बलात्कार वैसे तो बहुत ही घृणित है अपने आप में । मनुष्यता पर गहरा दाग है । लेकिन राजनीति में बलात्कार जैसे फैशन है । आता-जाता रहता है । गोया बलात्कार कोई नदी हो , जिस में जब-तब बाढ़ आती रहती है । 1978-1979 से यह मैं देख रहा हूं । पहले अपराधियों के अलावा पुलिस बल के लोग यह बलात्कार करते थे और सरकारें फंस जाती थीं । विपक्ष को एक कारगर मुद्दा मिल जाता था । अब राजनीतिक लोग भी बलात्कार में फंसने लगे हैं । मुझे याद है जनता पार्टी सरकार में गोरखपुर के सिसवा में पी ए सी वालों ने सामूहिक बलात्कार किया था , तब तत्कालीन सरकार फंस गई थी । 1980 में चौधरी चरण सिंह के क्षेत्र बड़ौत में माया त्यागी कांड हुआ था । 18 जून , 1980 की घटना है । माया त्यागी के साथ आपसी झगड़े में न सिर्फ़ पुलिस ने सिर्फ़ बलात्कार किया , पूरे बड़ौत में उन्हें नंगा घुमाया भी । इस घटना से तब संसद हिल गई थी । 22 सितंबर , 1992 को जयपुर की भंवरी देवी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार ने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया था । भंवरी देवी का गुनाह यह था कि उन्हों ने एक नाबालिग लड़की के विवाह का विरोध कर दिया था । वो भंवरी देवी का मुकदमा ही था जिस की वजह से सुप्रीम कोर्ट को दफ़्तरों में यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी करना पड़ा था । भंवरी देवी को आज तक इंसाफ नहीं मिला है । तीन में से दो अभियुक्त मर चुके हैं । एक दिल्ली की दामिनी ने समूचे देश को हिला दिया था। पाक्सो बना था। लगा था कुछ ब्रेक लगेगा। लेकिन कहां लगा ? आशाराम बापू जैसे बलात्कारी , राम रहीम और रामपाल जैसे बलात्कारी भी जेल का मजा ले रहे हैं। लखनऊ में एक मुस्लिम अपनी ही तीन बेटियों को कैद कर लंबे समय तक बलात्कार करता रहा। अब जेल में है। बताइए कि 68 बरस की फिल्म अभिनेत्री ज़ीनत अमान के साथ 38 वर्ष का व्यक्ति दो साल तक बलात्कार करता रहा और ज़ीनत अमान को दो साल बाद पता तब चला जब उन के कुछ लाख रुपए उस व्यक्ति ने डकार लिए। ऐसे भी तमाम मामले हैं। शायद ही किसी शहर का कोई अख़बार हो जो रोज दो चार बलात्कार की खबर न छापता हो। हत्या ,लूट , चार सौ बीसी और बलात्कार की खबरें जैसे नियमित हो चली हैं। रोज-रोज की बात। अभी उत्तर प्रदेश में उन्नाव के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा अपनी पट्टीदारी की ही एक औरत से बलात्कार का मामला उत्तर प्रदेश सरकार की थुक्का फ़ज़ीहत करवाने में सब से आगे रहा है। विधायक अब सी बी आई चंगुल का लुत्फ़ ले रहे हैं।

अब जम्मू की कठुआ की बच्ची हमारे सामने है। उस की त्रासदी सामने है। पैसा कमाने वाले पैसा कमा रहे हैं। वैचारिकी झाड़ने वाले वैचारिकी झोंक रहे हैं।  राजनीति अपनी चाल चल रही है। एजेंडा वाले एजेंडा चला रहे हैं। हिंदू , मुसलमान नफ़रत अलग है। महबूबा और भाजपा की बिसात अलग है। बस दांव पर है तो सिर्फ़ मनुष्यता। पीड़ित बच्ची के माता-पिता तो सब कुछ भूल कर जंगल चले गए थे घोड़ा चराने। लेकिन पैसे की ताक़त ने उन्हें भी अब जम्मू बुला लिया है।

पीड़िता के माता-पिता 





4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-04-2017) को "पृथ्वी दिवस-बंजर हुई जमीन" (चर्चा अंक-2947) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मतलब बिना बलात्कार के ही इतना तूफान खड़ा कर दिया मीडिया और नेताओं ने। उफ्फ.

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  4. देश की एकता और हमारी संस्कृति को तोड़ने वाले को कड़ी से कड़ी सज़ा देनी चाहिए ताकि ऐसी कभी जुर्रत भी न कर सके।
    भारत माता की जय
    जय श्री राम
    वन्दे मातरम्

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