फ़ोटो : सुनीता दमयंती |
ग़ज़ल
ट्रैफिक में फंस कर तुम्हारा इंतज़ार करता हूं
दुनिया भर की झंझट है लेकिन प्यार करता हूं
हो जाती हो मुझे देखते ही हरी-भरी एक धरती
हरी हरदम रहो ऐसा जतन आख़िरकार करता हूं
हो जाऊं कैसे तुम्हारे साथ सर्वदा एकाकार निर्विकार
बादल बरसता है धार-धार ख़ुद को ख़ुद्दार करता हूं
हो जाती हो मुझे देखते ही हरी-भरी एक धरती
हरी हरदम रहो ऐसा जतन आख़िरकार करता हूं
हो जाऊं कैसे तुम्हारे साथ सर्वदा एकाकार निर्विकार
बादल बरसता है धार-धार ख़ुद को ख़ुद्दार करता हूं
घड़ी भर मिल कर सुख के सागर में डाल जाती हो
दुनिया भर में जीवन भर तुम्हारी जयकार करता हूं
तुम्हीं गुलाब तुम्हीं गुलमोहर तुम्हीं रजनीगंधा
तुम्हारी चाहत में ख़ुद को जांनिसार करता हूं
तुम्हारी मुहब्बत के जादू में जागती रहती है रात
तुम से मिलने की आरजू में ही भिनसार करता हूं
तुम से मिलना सिर्फ़ मिलना नहीं जीना होता है
तुम्हारी हर मुलाक़ात को अपना त्यौहार करता हूं
[ 19 अप्रैल , 2016 ]
बढ़िया
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