फ़ोटो : एम सी शेखर |
ग़ज़ल / दयानंद पांडेय
क़ानून कायर है जालिम भी बहुत लेकिन जनमत आग की नदी है
कामरेड तुम्हारे फासीवाद की नदी से गुज़रती अब यह नई सदी है
किसी विचार का अनुवाद कैसे फासीवाद में होता देखना दिलचस्प
तुम्हारी ज़िद सनक अहंकार में डूबी अभिव्यक्ति की जहरीली नदी है
इतिहास दर्ज रखता है सारे स्याह सफ़ेद बिना किसी रौ रियायत के
हिटलर आज तक अपना चेहरा बदल नहीं पाया समय ऐसी नदी है
ग़ालिब मीर फैज़ नाज़िम सब कराह रहे होंगे अपने-अपने दीवान में
कबीर घायल मीरा का गला अवरुद्ध गीत की यह कौन सी टेढ़ी नदी है
तोड़-फोड़ कितना भी करो धृतराष्ट्र अंधा ही रहता है विवश गांधारी भी
घायल हस्तिनापुर सिसकता है कि मनुष्यता के ख़ून की बेकल नदी है
जिस मां का दूध पिया उसी के दूध को बता दिया है जहरीला अजब है
तुम्हारे कुतर्क के बादल बरसते हैं झुलसता देश है गोया तेजाबी नदी है
[ 23 फ़रवरी , 2016 ]
वाह भैया गज़ब
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