Monday, 28 December 2015

अम्मा तुम्हारी गोद में दौड़ कर छुप जाने को जी करता है


पेंटिंग : डाक्टर लाल रत्नाकर

ग़ज़ल / दयानंद पांडेय 

बचपन गुहराता बहुत  है बच्चा हो जाने को जी करता है
अम्मा तुम्हारी गोद में दौड़ कर छुप जाने को जी करता है 

बेईमान जालसाज दलाल  कुटिल लोगों से घबरा गया हूं 
अम्मा तुम्हारा आंचल ओढ़  कर सो जाने को जी करता है 

ख़बर रोज छपती है अख़बार में बच्ची से बलात्कार की 
अब तो  हर बेटी के हाथ बंदूक दे देने को जी करता है

देश लूटने वालों के साथ अदालत पुलिस सब धोखा है
इन सब को चौराहे पर गोली मार देने को जी करता है 

भारत में सब से बड़ा धोखा है संसद और सुप्रीम कोर्ट 
इन दोनों को आंख मूंद कर दफना देने को जी करता है 

[ 28 दिसंबर , 2015 ]

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