पेंटिंग : पिकासो |
मैं ने तुम्हें सुंदर कहा
और तुम मगरूर हो गई
किसी पापा की दुलारी बेटी की तरह
और इस तरह मशहूर हो गई
तुम हमारे प्यार में
और हम इतराने लगे
मैं ने तुम्हें जान कहा
और तुम मदहोश हो गई
नदी की किसी धार की तरह
और इस तरह बहने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम ललचाने लगे
मैं ने तुम्हें अपना सब से बड़ा अरमान कहा
और तुम अकड़ कर चूर हो गई
सागर में मिलती किसी नदी की तरह
और इस तरह छलकने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम हकलाने लगे
मैं ने तुम्हें ज़िंदगी कहा
और तुम चमक कर शमशीर हो गई
किसी युद्ध में विजयी सेना की तरह
और इस तरह जीतने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम जगमगाने लगे
मैं ने तुम्हें नशा कहा
और तुम रूप की बारिश बन कर नूर हो गई
किसी जिस्म में उतरती धूप की तरह
और इस तरह किलकने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम मकलाने लगे
मैं ने तुम्हें कहा चांद
और तुम ठुमक कर चांदनी हो गई
किसी आंगन में खेलती बच्ची की तरह
और इस तरह खिलखिलाने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम हंसने , हंसाने लगे
मैं ने हुमक कर कहा मेरी बच्ची
और तुम झूम कर गले लिपट कर सचमुच बच्ची बन गई
किसी वृक्ष के कोटरों में छुपती गिलहरी की तरह
और इस तरह गुनगुनाने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम ख़ुद को ख़ुद से भुलाने लगे
मैं ने कहा ओ मेरी लौंग कली
और तुम दांतों तले होठ दबाती हुई मचल गई
हिचकोले खाती किसी नाव की तरह
और इस तरह इस पार से उस पार जाने लगी
तुम हमारे प्यार में
और हम बार-बार अपने गांव जाने लगे
[ 15 मई , 2015 ]
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