दयानंद पांडेय
आप भूल रहे हैं कि सलमान खान को आनन-फानन ज़मानत दिलवाने वाले भी यही हरीश साल्वे हैं। एक रुपए की फीस पर , जो अभी तक नहीं मिली , अंतरराष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव की फांसी रुकवाने वाले भी यही हरीश साल्वे हैं। फिर अभी उत्तर प्रदेश में चल रहे बुलडोजर को सुप्रीम कोर्ट से क़ानूनी ठप्पा लगवाने वाले भी यही हरीश साल्वे हैं।
हरीश साल्वे की वकालत की चादर अपेक्षतया थोड़ी साफ़-सुथरी है। सलमान खान के दाग़ के बावजूद। अभिषेक मनु सिंधवी की तरह मुख मैथुन के बदले किसी स्त्री को जस्टिस नहीं बनवाते हरीश साल्वे। कपिल सिब्बल की तरह दलाली वाली वकालत नहीं है हरीश साल्वे की। मेरिट पर होती है। कपिल सिब्बल कभी किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत गए हैं ? कि अभिषेक मनु सिंधवी। कि सलमान खुर्शीद या चिदंबरम ? या इन जैसे लोग ? यह लोग तो गमले में गोभी लगा कर अरबपति बन जाने वाले लोग हैं।
तीस्ता सीतलवाड़ के वकील हैं कपिल सिब्बल। जानते ही होंगे कि कितने आतंकियों के वकील हैं कपिल सिब्बल। टू जी , कोयला आदि सभी भ्रष्ट जनों के वकील कपिल सिब्बल। कांग्रेस छोड़ कर सपा के सहयोग से राज्य सभा पहुंचे ही इस शर्त पर हैं कपिल सिब्बल कि अखिलेश को आय से अधिक आय वाले मामले में जेल नहीं जाने देंगे। जैसे कभी बाजवक्त राम जेठमलानी लालू से सौदा कर राज्य सभा गए। कि लालू को जेल से बचाएंगे। पर लालू जेल गए। निश्चिन्त रहिए अखिलेश भी जेल जाएंगे। कपिल सिब्बल बचा नहीं पाएंगे। क्यों कि अखिलेश के भ्रष्टाचार मामले में दर्जनों लोग अभी जेल पहुंच गए हैं। पहुंचते ही जा रहे हैं। निरंतर। दर्जनों यादव इंजीनियर , अफ़सर जेल की हवा काट रहे हैं। ज़मानत नहीं मिल रही। अखिलेश तक आंच आ चुकी है।
अच्छा आप को क्या लगता है , उद्धव ठाकरे सरकार क्या अभी भी बहुमत में है ? मुख्य मंत्री रहते हुए भी ठाकरे बागियों के लिए जो गुंडई , हिंसा , आगजनी करवा रहा है , अपने बाप बाल ठाकरे की तरह , वह जायज है ? संसदीय लड़ाई क्या सड़क पर गुंडों की तरह लड़ी जाती है ? यक़ीन कीजिए हरीश साल्वे एकनाथ शिंदे और शिवसेना के बाग़ी विधायकों के बाबत कल सुप्रीम कोर्ट से अपेक्षित सफलता ले कर लौटेंगे। बाकी आप जैसे मित्र तो भूल ही जाते हैं कि अफजल जैसे आतंकियों के लिए यही सुप्रीम कोर्ट आधी रात भी खुल जाती रही है। कल्याण सिंह के लिए भी खुली थी हाईकोर्ट जब अर्जुन सिंह ने तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी पर दबाव डलवा कर जगदंबिका पाल को कुछ घंटों के लिए मुख्य मंत्री बनवा दिया था।
आज 26 जून है। आज ही की तारीख में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई थी। इस लिए कि जस्टिस जगमोहन सिनहा ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया था। पर आप को कहां याद होगा यह सब। क्यों कि आप की नज़र में यह सुनहरा अध्याय था , काला अध्याय नहीं। संविधान , सुप्रीम कोर्ट की सौगंध खाने और इसे बचाने की गुहार लगाने वाले लोग कैसे तो अगर कुछ नहीं सूट करता तो उस में कोढ़ खोजने लगते हैं। यह सब देख कर सच अब बहुत आनंद आता है। निर्मल आनंद।
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