दयानंद पांडेय
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव भले कल से शुरु हो रहे हैं पर चुनाव परिणाम सब को पहले ही से मालूम है। अखिलेश यादव को सब से ज़्यादा। उन की पैरोकारी और मुहिम में लगे सेक्यूलर चैंपियंस रुपी चंपुओं को भी। पर टाइमिंग देखिए नरेंद्र मोदी की। कि 7 फ़रवरी को लोकसभा में , 8 फ़रवरी को राज्यसभा में और आज 9 फ़रवरी को ए एन आई टी वी को दिए गए एक घंटे से कुछ अधिक का इंटरव्यू। कोरोना प्रोटोकाल के तहत चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देश के कारण न हुई सारी रैलियों की कसर निकाल ली। वह जो कहते हैं न कि न हर्र लगे , न फिटकरी और रंग चोखा। लगभग वैसी ही बात हो गई है। लोक सभा और राज्यसभा का भाषण जैसे कम पड़ गया था।
अभी कल जब ममता बनर्जी लखनऊ आईं अखिलेश यादव को खेला होबे का ढाढस बंधाने तो इतने सर्द ढंग से वह बोले कि बताइए दीदी कोलकाता से उड़ कर यहां आ गईं लेकिन कुछ लोग दिल्ली से नहीं आ पाए। उन का इशारा नरेंद्र मोदी की तरफ था। जो खराब मौसम के कारण हेलीकाप्टर न उड़ने से बिजनौर नहीं आ पाए थे। जैसे पांच साल मुख्य मंत्री रहने के बावजूद अखिलेश हेलीकाप्टर और हवाई जहाज की सिफ़त और कैफ़ियत नहीं जान पाए। यह कि मौसम जब ख़राब होता है तो एक साथ हर जगह नहीं होता। लेकिन अखिलेश यादव ऐसे कह रहे थे गोया उन के पसंदीदा अंकल नहीं आए और उन्हें उन के हिस्से की टॉफी नहीं मिली। इतने हैरान और परेशान कि पूछिए मत। कल कांग्रेस राज्यसभा से बहिष्कार कर गई। क्या तो मोदी उत्तर प्रदेश चुनाव को एड्रेस कर रहे थे। ग़ज़ब है यह असहिष्णुता भी कि आप प्रधान मंत्री को सुन भी नहीं सकते।
और आज के ए एन आई इंटरव्यू पर एन डी टी वी के रवीश कुमार तो जैसे राशन , पानी ले कर मोदी पर चढ़ बैठे हैं। चुनाव आयोग तक उन की नाराजगी की चपेट में आ गया है। कि यह इंटरव्यू है कि रैली है ? बिलकुल अखिलेश की तरह बौखलेश अंदाज़ में रवीश कुमार ने लेख लिख कर नरेंद्र मोदी को फांसी पर चढ़ा दिया है। उन की चिंता यह भी कि कल वोट के दिन भी यह इंटरव्यू दो-तीन बार चैनलों पर चलाया जा सकता है। अब रवीश कुमार से कोई यह कहने वाला नहीं है कि आप बौखलेश क्यों हुए जा रहे हैं। हुजूरेवाला , आप भी एन डी टी वी पर अखिलेश यादव का एक हाहाकारी इंटरव्यू ले लीजिए। रात भर , और कल दिन भर चलाते रहिए। हम भी देखेंगे। देखते रहेंगे। आप दिखाइए तो सही।
धो कर रख दीजिए , नरेंद्र मोदी को। ऐसी-तैसी कर दीजिए। आप के हाथ भी चैनल का एक हथियार है। ख़ुदा न खास्ता अखिलेश यादव जीत गए तो आप का यश भारती पक्का। पचास हज़ार रुपए महीने की पेंशन अलग। अखिलेश यादव का खुला ऑफर है , हर पत्रकार के लिए। आप पत्रकार न सही , एंकर तो हैं ही। पत्रकारिता स्कूल से पढ़ने के बाद आदमी पत्रकार बन जाए , यह ज़रुरी भी तो नहीं। देखिए न आई एम सी से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले आप ही के बैच के तमाम लोग पत्रकारिता से इतर काम करते दिख रहे हैं। जैसे आप एंकर का। एजेंडा और विष से भरी आप की यह एंकर की भूमिका आप को क्या बना चुकी है , आप को नहीं मालूम। मैगसेसे तो बहुत सारे विभाजनकारी तत्वों को मिल गया है। अलग बात है कि आप उन में चैंपियन हैं।
लेकिन सवाल है आप पूछेंगे क्या अखिलेश यादव से और वह जवाब भी क्या देंगे भला। बहुत कहेंगे तो वही गुजरात के दो गधे ही तो कहेंगे। जैसे पहले कहा था। और गुजरात से इटावा सफारी के लिए शेर ला कर भी गुजरात में गधे मिलते हैं , बता दिया था। सारी बात तो इस पर मुन:सर करती है। फिर इस से भी पेट न भरे तो चाहिए तो राहुल गांधी , प्रियंका , जयंत चौधरी , राकेश टिकैत , ओवैसी आदि का भी इंटरव्यू ले लीजिए। दे दें तो मायावती का भी ले लीजिए एक शानदार इंटरव्यू। क्या पता कुछ फ़र्क़ पड़ जाए। सरकार नहीं , न सही , कुछ सीट ही बढ़ जाए। अगर आप के इंटरव्यू , अखिलेश के जवाब और एन डी टी वी में कुछ ताक़त शेष हो। तो मुमक़िन है। बहुत कुछ मुमक़िन है। क्यों कि चुनाव आयोग को गरियाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। इस लिए कि चिड़िया खेत चुग चुकी है। राकेश टिकैत ने खेत की रखवाली ठीक से की नहीं। चुनी हुई चुप्पियां , चुने हुए विरोध का अवदान भी है यह।
100 प्रतिशत सत्य लेख
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