दयानंद पांडेय
मुसलमानों को भड़काने के लिए ओवैसी तक़रीर बहुत अच्छी कर लेते हैं। संसद से ले कर सड़क तक। मुस्लिम कार्ड ही उन की ताक़त भी है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति वह नहीं जानते। नहीं जानते कि बिहार में खुली लाटरी बार-बार नहीं खुलती। इसी लिए उन पर गोली चली और वह इसे भुना नहीं पाए। कर्नाटक का हिजाब ले कर आए। पर उन की यह दुकान खुलने के पहले ही बंद हो गई। क्यों कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान का क्या पूरे देश के मुसलमान की सारी राजनीति , सारी रणनीति और सारा मक़सद भाजपा को हराना ही है। उत्तर प्रदेश के मुसलमान को पता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को अगर कोई हरा सकता है तो वह अखिलेश यादव है , ओवैसी नहीं।
बस अखिलेश की एकमात्र मुसीबत यह है कि जब मुस्लिम वोट का ध्रुवीकरण उन की तरफ होता है तो अखिलेश तथा उन के पिता मुलायम के पिछले सारे कार्यकाल को देखते हुए हिंदू वोट भी पोलराइज हो जाता है। हिंदू भाजपा के पक्ष में चले जाते हैं। सेक्यूलर चैंपियंस हाय-हाय करने लगते हैं। पहले ऐसा नहीं होता था। मई , 2014 से यह होने लगा है। सो सारा चुनाव , विकास-विकास का पहाड़ा पढ़ते हुए हिंदू-मुसलमान में तब्दील हो जाता है। इस चुनाव में भी फिर यही हो गया है। हिजाब को ले कर मुसलमान गोलबंद हो गए हैं तो उसी ताक़त से हिंदू भी एकजुट हो गया है। जिन्ना का नाम ले कर अखिलेश पहले ही फंस चुके थे।
फिर अखिलेश का एक दुर्भाग्य यह भी है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ यादव और मुस्लिम नहीं रहते। भाजपा ने बड़ी मेहनत से मंडल-कमंडल की दूरी खत्म कर अखिलेश की सांसत कर दी है। पिछड़ी जाति के अधिकांश वोट भाजपा के खाते में आ गए हैं। आंशिक ही सही पर कुछ हद तक यादव और दलित भी। ओमप्रकाश राजभर जैसे कुछ लबार और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे घृणा और नफ़रत की भाषा बोलने वाले भी अखिलेश को हम तो डूबेंगे , सनम तुम को भी ले डूबेंगे की नाव में बिठा कर डुबो रहे हैं। इसी लिए भाजपा 2017 को एक बार फिर दुहराने जा रही है। और ज़्यादा ताक़त और ज़्यादा धार के साथ। सारे सर्वे , सारे सट्टे पर पानी फेरते हुए 325 की संख्या भी पार कर जाए भाजपा तो अचरज नहीं होगा। क्लीन स्वीप।
क्यों कि हिजाब का लाभ सपा से ज़्यादा भाजपा के खाते में गया है। देश और प्रदेश के मुसलमान इतने सालों में एक छोटी सी बात अभी तक नहीं समझ पाए कि वह जितनी ज़्यादा कट्टरता दिखाएंगे , कट्टर बनेंगे , भाजपा उतनी ही मज़बूत होगी। संसदीय राजनीति में उतनी ही ताक़तवर बनेगी। मुसलमानों को मज़बूत करते-करते वामपंथी पार्टियां और कांग्रेस क्रमशः खर-पतवार बन गई। दलित ताक़त के बावजूद बसपा भी। देखिएगा , सपा भी मुसलमानों को मज़बूत बनाते-बनाते दो चुनाव बाद खर-पतवार बन जाएगी।
खेती करने वाले जानते हैं कि खेत से खर-पतवार बाहर करने के लिए निराई-गुड़ाई , सोहनी आदि अब नहीं होती। तरीक़ा बदल गया है। किसिम-किसिम के कीटनाशक आ गए हैं। एक-दो छिड़काव से खेत के सारे सारे खर-पतवार स्वत: साफ़ हो जाते हैं। सब का साथ , सब का विकास , सब का विश्वास , सब का प्रयास वाला नारा लगाने वाली भाजपा वही कीटनाशक है। इस बात को मुस्लिम और मुस्लिम वोट के ठेकेदार जितनी जल्दी समझ लें बेहतर है। नहीं अभी चीन में दाढ़ी , बुरका , नमाज , मस्जिद आदि प्रतिबंधित हैं। अमरीका के एयरपोर्ट पर मुस्लिम नंगे किए जा रहे हैं। उन की कट्टरता अगर ऐसी ही रही तो भारत में भी यह अच्छे दिन आने में बहुत देर नहीं लगेगी। क्यों कि धार्मिक कट्टरता चाहे हिंदू की हो , सिख की हो , मुसलमान की। किसी की शुभ नहीं है। किसी देश या दुनिया के लिए।
कश्मीर में सेना और पुलिस पर पत्थरबाजी करने वाले लोग देखते ही देखते अस्त हो गए। देश में आतंकी घटनाओं पर ब्रेक लग चुका है। फिर यह दाढ़ी , टोपी , सड़क और स्टेशन पर नमाज , हिजाब आदि क्या चीज़ है। मुस्लिम समाज को सभ्य समाज में रहने का सलीक़ा जल्दी से जल्दी सीख कर देश की मुख्य धारा में रहने का अभ्यास करना चाहिए। फ़्रांस , श्रीलंका , चीन , अमरीका आदि देशों में जैसे आए दिन बेईज्ज़त हो रहे हैं , बचना चाहिए। भारत में भाजपा है जिस पर मुस्लिम समाज तोहमत लगा कर मुंह छुपाता है , अपने काले कारनामों पर। पर बाक़ी देशों में ? तो मुसलमानों को सेक्यूलर कही जाने वाली कम्युनिस्ट , कांग्रेस , सपा आदि का औज़ार बनने से बचने का रास्ता खोजना चाहिए। जिस दिन यह रास्ता खोज लेंगे मुस्लिम समाज के लोग , उन की दुश्मन नंबर एक भाजपा और आर एस एस स्वत: समाप्त हो जाएंगी। खर-पतवार की तरह। किसी कांग्रेस , कम्युनिस्ट और सपा आदि चोंचलों की ज़रुरत नहीं पड़ेगी।
सर क्या मुस्लिम वोट की तुलना में हिंदू भी उतना ही पोलराइज हो रहा है??
ReplyDeleteबहुत बढिया सटीक विश्लेषण
ReplyDeleteआपका विश्लेषण सही है पर क्या मुस्लिमों के मुकाबले इस बार हिन्दू बहुल छेत्रो में ज्यादा वोटिंग हो रही है ।
ReplyDeleteबाकी के 4 चरणो में हिन्दुओ को घर से निकलना होगा ।।