दयानंद पांडेय
इस आदमी के देश प्रेम , देश प्रेम के ज़ज़्बे को खुला खेल फर्रुखाबादी बना देने का जूनून इस का दीवाना बना देता है। देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का इस का जुनून , इस का जादू कलेजा काढ़ लेता है। न दुनिया की धौंस में आना , न इन की-उन की उंगली चाटना। न किसी से मुफ्त की दोस्ती गांठना। न हार-जीत की चिंता। न यह क्या कहेंगे कि वह क्या कहेंगे की फ़िक्र , न उदार दिखने की हिप्पोक्रेसी। वनली देश हित और देश के खिलाफ खड़े होने वालों , चाहे देश में हों या देश से बाहर , हर किसी का एक ही इलाज। नो हिप्पोक्रेसी। न नोबिल प्राइज की फ़िक्र , न सब को अपना दोस्त बनाने की सनक। वनली डू आर डाई वाला खेल। हमला करने की क्या टाइमिंग , क्या टेक्निक जानता है यह आदमी। छोटा सा देश , छोटी सी आबादी। लेकिन क्या कांफिडेंस है , क्या कंट्रोल है।
इस आदमी से कसम से मुहब्बत हो गई है। बेपनाह मुहब्बत। मेरी मुहब्बत का जहांपनाह बन गया है यह आदमी।
इस आदमी का नाम बेंजामिन नेतान्यहू बताया जाता है। इजराइल का प्रधान मंत्री है। अल्पमत की सरकार है इस की। लेकिन भारी बहुमत वाले लोगों को भी आइना दिखा रहा है। अपने देश प्रेम के ज़ज़्बे के चलते पूरी दुनिया को लूट लिया है। 56 इस्लामिक देशों को छठीं का दूध याद दिला रखा है। समूची दुनिया में आतंक का खौफ फ़ैलाने वाले इन इस्लामिक गुंडों की अकेले दम पर पैंट , पायजामा , लुंगी , गाऊन सब आमूल-चूल गीला कर दिया है। सारे सेक्यूलरिज्म को कुल्ला कर गुल्ला बना दिया है। गुड है यह भी ! काश कि हमारे भारत में भी कोई एक ऐसा बेंजामिन नेतान्यहू होता ! काश !
सोचिए कि अगर यह आदमी या ऐसा ही कोई प्रधानमंत्री होता भारत का तो अब तक पाकिस्तान का भुर्ता बना कर खा न गया होता। और जो यह भारत में शहर-दर-शहर मिनी पाकिस्तान बसे हुए हैं , भुट्टे की तरह भून कर इन्हें खा न गया होता। हम को तो ऐसे ही प्रधान मंत्री की तमन्ना है , विद्या कसम ! बहुत हो गया सब का साथ और सब का विकास का पाखंड। चुन-चुन कर देश के दुश्मनों , चाहे देश में हों या देश से बाहर सब को मार देना ही , मिटा देना ही बेहतर है। रोज-रोज की किचकिच बहुत हो गई। आतंक की खेती बहुत हो गई।
बेहतरीन।
ReplyDeleteसच है दयानंद जी , नेतान्याहू ने स्वाभिमान और देश गौरव की अद्भुत मिसाल पेश की है |
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