कुछ लोग अटकल लगा रहे हैं कि कल के संदेश में नरेंद्र मोदी इमरजेंसी लगाने की घोषणा कर सकते हैं। पर मेरा कहना है कि इतनी हिम्मत ? और नरेंद्र मोदी ? तौबा-तौबा ! कायर हो चुके हैं अब श्रीमान नरेंद्र मोदी। नमाज की एक अजान सुन कर ही वह कांपने लगते हैं। और यह जो लोग पुलिस पर पत्थर मारते हैं न , पुलिस पर नहीं , नरेंद्र मोदी पर पत्थर मार रहे होते हैं। जो लोग इन दिनों जगह-जगह डाक्टरों पर थूक रहे हैं न , वह लोग डाक्टरों पर नहीं , नरेंद्र मोदी पर थूक रहे होते हैं। गाज़ियाबाद अस्पताल में अगर कोरोना पॉजिटिव पैंट उतर कर नंगे घूम रहे हैं। अश्लील गाने गए रहे हैं। नर्सों से अश्लील हरकतें कर रहे हैं। सी एम ओ , गाज़ियाबाद द्वारा इस बाबत डी एम , गाज़ियाबाद को लिखी चिट्ठी वायरल है। तो यह अश्लील हरकत यह लोग नरेंद्र मोदी के साथ कर रहे हैं।
आप मानिए , न मानिए। पर आज का क्रूरतम सच यही है। भारत और इंडिया की खाई फांद कर यह नया मुस्लिम भारत है। भारत का यह अराजक पाकिस्तानीकरण है। तालिबानीकरण है। यह अनायास नहीं है कि लोग कसम खा कर खुल्ल्मखुल्ला कहते फिर रहे हैं कि हम तो पूरे मुल्क में कोरोना फैलाएंगे। तो यह आसान नहीं है। यह नरेंद्र मोदी का फेल्योर है। बहुत बड़ा फेल्योर। लोग लॉक डाऊन नहीं , नरेंद्र मोदी को फेल करने में लगे हैं , अपनी जान पर खेल कर। मुस्लिम भारत का यही नंगा सच है। निजामुद्दीन , मरकज का मौलाना मोहम्मद साद कंधलावी अकेला नहीं है। लाखो मौलाना उस के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं। 15 करोड़ , अब सवा सौ करोड़ पर भारी हैं। शाहीनबाग का प्रयोग अब पूरे देश में तारी है। कोरोना की महामारी में असग़र वजाहत जैसे लेखक अपना लीगी चश्मा पहन कर चुप हैं। अपने नाम की कथा लिख रहे हैं। इस खतरे पर नहीं। मुनव्वर राना जैसे लीगी शायर , जावेद अख्तर जैसे 786 के तलबगार भी मोहम्मद साद जैसों के कारनामों पर खामोश हैं।
हर शहर के मस्जिदों से विदेशी लोग कैसे और कितने निकल रहे हैं , यह भी देखने की बात है। कोरोना फैलाना ही इन का मकसद है। और डरपोक मोदी बस अपील दर अपील में संलग्न हैं। ज़रूरत इंदिरा गांधी जैसी किसी लौह महिला की है जो अपनी सख्ती के बुलडोजर तले इस कदर कुचल दे कि यह लोग थूकने लायक न रहें। थूकें भी तो इन्हें अपना थूक चटवाने का हुनर नहीं जानते नरेंद्र मोदी। तकलीफ इसी बात की है। कोरोना कर्मवीरों के लिए थाली , घंटी , शंख बजाने , बजवाने लोग डाक्टरों पर थूकना आखिर बर्दाश्त कर किस के डर से कर रहे हैं।
पहले चीन पर गुस्सा आता था कि 30 लाख उइगर मुसलामानों को नज़रबंद क्यों रखे हुए है। सारे कब्रिस्तान , सारे मजार और सारे मस्जिद क्यों तोड़ दिए हैं। बुरका , दाढ़ी , और सार्वजनिक नमाज पर प्रतिबंध क्यों लगा रखा है पूरे चीन में। अब भारत में कोरोना को ले कर भारत में नमाजियों ने जो रुख अख्तियार किया है , उसे देख कर लगता है कि भारत सरकार को भी सारे खतरे मोल ले कर भी चीन सरकार को फॉलो कर लेना चाहिए। कोरोना , कोरोना है , पोलियो नहीं। सी ए ए नहीं। कोरोना परस्त यह नमाजी लोग चीन के उइगर मुसलमानों की तरह सख्त नज़रबंदी के तलबगार हैं। किसी रियायत के नहीं।
देश बड़ा कि धर्म ! वर्तमान परिदृश्य कहता है धर्म ! अगर आप मुस्लिम हैं तो आप देश के नागरिक नहीं , देश के दामाद हैं । इन की कोई भी बात नहीं मानी गई तो यह देश जला देंगे। इसी लिए विभिन्न सरकारें इन से डरती हैं। यह सुप्रीम कोर्ट , संसद और क़ानून सब से ऊपर हैं । मामले तमाम हैं। पर ताज़ा मामला कोरोना का देखा जा सकता है। यह लोग इलाज कर रहे डाक्टर पर थूक सकते हैं। डाक्टर को दौड़ा-दौड़ा कर पीट सकते हैं। पत्थरबाजी कर सकते हैं। मस्जिदों में विदेशियों को ठहरा सकते हैं। कोरोना फैलाने का लाइसेंस इन के पास है ही। यह कुछ भी कर सकते हैं। कोई सरकार , कोई पुलिस इन का कुछ नहीं कर सकती। कर सकती हो तो आप बताइए भी भला। देश के कायर बुद्धिजीवी , लेखक , पत्रकार आदि सर्वदा इन के साथ खड़े मिलेंगे । देश को बांटने और जलाने में इन के आनंद के क्या कहने । रही बात राजनीतिज्ञों की तो इन की तो यह धर्म ही खुराक हैं ।
अंगरेज भारत आए। भारत को गुलाम बनाया। जुल्म भी बहुत किए। उन को भगाया भी गया। लेकिन एक बार यह भी सोच कर देखिए कि अंगरेज अगर भारत न आए होते तो भारत का क्या हाल हुआ होता ? तय मानिए मुगलिया सल्तनत ने अपनी सनक में इंशा अल्ला , समूचे भारत को तालिबान में कनवर्ट कर दिया होता। सांस नहीं ले पाते आप। शुक्रिया अदा कीजिए अंगरेजों का एक बार कि जैसे भी , गुलाम बना कर ही सही , आप को तालिबानियों के जबड़े में जाने से बचा लिया। नहीं आप भी , जबरिया ही सही इस्लाम क़ुबूल कर अठारहवीं सदी में बिलख-बिलख कर जी रहे होते। जैसे कि अफगानिस्तान। आप भी अपनी सेवा करने वाले डाक्टरों पर थूक रहे होते। पुलिस पर पत्थर बरसा रहे होते। पूरे मुल्क में कोरोना फ़ैलाने की कसम खा रहे होते। शुक्र है कि आप इस सब से बच गए।
धर्म कहता है कि धर्म से बड़ा देश होता है। जब देश ही नहीं रहेगा तो धर्म कैसे बचेगा। वैसे भी वर्तमान परिस्थितियों में जो लोगो की सेवा में लगे हुए हैं वह धर्म देख कर सेवा नहीं कर रहे हैं वह मानवता को ही धर्म मंत्र है।
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