पेंटिंग : विनोद शर्मा |
ग़ज़ल
न्याय बिकता है , बोलो ख़रीदोगे
बिकती है संसद , बोलो ख़रीदोगे
अमरीका , लंदन ,चीन , दुबई और जापान
प्रधान मंत्री ख़ुद बाज़ार में है , बोलो ख़रीदोगे
यह ओबामा , अंबानी , अडानी और कैमरून
सब ज़िम्मेदार हैं इस फ़ज़ीहत के बोलो ख़रीदोगे
बिल्ड़रों , दलालों , भडुओं का है इंडिया
कृषि प्रधान वाला भारत बोलो ख़रीदोगे
मीडिया सरे आम नीलाम करती है ख़ुद को
मां भी नहीं छोड़ी यह कहानी बोलो ख़रीदोगे
पर्यावरण , विकास , काला धन हा हा
बस झुनझुना है बाकी , बोलो ख़रीदोगे
बिक चुकी धरती , नदियां और जंगल
तारे, चांद , सूरज बाक़ी हैं , बोलो ख़रीदोगे
सूखा हो कि बाढ़ किसान जाए भाड़ में
असहिष्णुता खड़ी है , बोलो ख़रीदोगे
हर अंग का दाम यहां लग चुका है
किडनी कि लीवर , बोलो ख़रीदोगे
तुम एस पी , कलेक्टर में ही उलझे हो
मुख्य मंत्री बिकता है , बोलो ख़रीदोगे
बेटी योग्य है , सुंदर है , सजीली है
दूल्हा बिकता है , बोलो ख़रीदोगे
मंदिर , मस्जिद , गिरिजा , मनुष्यता
सब के सब बाज़ार में , बोलो ख़रीदोगे
बिकने को सब लाईन से तैयार खड़े हैं
देह , आत्मा , भगवान भी , बोलो ख़रीदोगे
भावना , वेदना सब कुछ रेडीमेड है यहां
प्रेम ,सेक्स , शहनाई भी , बोलो ख़रीदोगे
खाद नहीं , पानी नहीं , खेत है , खलिहान भी
साहूकार का बड़ा सा क़र्ज़ है , बोलो ख़रीदोगे
सूखा कल आया था , बाढ़ अभी गई है
बीमारी सिर पर है , बोलो ख़रीदोगे
गद्दा है , रजाई है पर अन्न नहीं खाने को
मुस्कान है , रुलाई भी , बोलो ख़रीदोगे
दवाई भले न हो , विज्ञापन का दौर है
अमिताभ बच्चन की बीमारी बोलो ख़रीदोगे
ईमानदारी , मेहनत , देशभक्ति पागलपन है
बिकता है पूरा देश यहां , बोलो ख़रीदोगे
After bipolar system of world only one system nowadays capitalism. So every leadership is in role of brandambassdor of capitalism in favor of his boss American policy of marketing
ReplyDeleteAfter bipolar system of world only one system nowadays capitalism. So every leadership is in role of brandambassdor of capitalism in favor of his boss American policy of marketing
ReplyDeleteकतील शिफाई की भी एक नज्म है इसी तेवर की कभी मिले तो पढ़ना। इसे नज्म कहते है गजल नही
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